जयपुर. यूनेस्को ने परकोटे को विश्व विरासत सूची में शामिल तो किया है. लेकिन परकोटे में हो रहा स्मार्ट सिटी का काम यूनेस्को टीम को रास (Unesco team unhappy with smart city work) नहीं आया. खास करके यूनेस्को टीम ने दरबार स्कूल नानाजी की हवेली और दूसरे कई बड़े निर्माण को लेकर आपत्ति जताई है. 9 दिन तक जयपुर में विभिन्न क्षेत्रों का दौरा करते हुए यूनेस्को टीम ने अपेक्षा जताई कि जयपुर परकोटे की चारदीवारी दोबारा पूरी बनाई जाए और परकोटे पर हुए अतिक्रमण और अवैध निर्माण को हटाया जाए. तभी इसका प्राचीन गौरव वापस लौट पाएगा.
साथ ही परकोटे की मैपिंग दोबारा करने के निर्देश दिए गए हैं. ताकि परकोटे की वास्तविक तस्वीर में कोई बदलाव न हो. यूनेस्को की टीम ने हर काम को हेरिटेज की आंख से देखने की बात कहते हुए स्पष्ट किया कि डेवलपमेंट के नाम पर विरासत को छेड़ा जाना उचित नहीं है. साथ ही सड़क का निर्माण ऊंचा होने की वजह से घरों में पानी जाने और क्षेत्र में लगे डीपी जंक्शन/ट्रांसफार्मर को लेकर भी मार्गदर्शन दिया.
2019 में मिला था विश्व विरासत का तमगा
6 जुलाई 2019 को जयपुर के परकोटे को यूनेस्को की विश्व विरासत का तमगा मिला था. तब यूनेस्को ने ही यहां से अतिक्रमण हटाने और हेरिटेज इमारतों का संरक्षण करने की गाइडलाइन दी थी. हालांकि यूनेस्को टीम की ओर से 9 दिन तक किए गए निरीक्षण के दौरान ऐसी कई अनियमितताएं और अवैध निर्माण सामने आए, जिसे लेकर यूनेस्को टीम ने आपत्ति जताई. इन्हें जल्द दुरुस्त करने के निर्देश भी दिए. साथ ही उन हवेलियों को भी संरक्षित करने के निर्देश दिए गए जो वास्तुकला और नियोजन से परिपूर्ण है.
यूनेस्को साउथ एशिया की कल्चर हैड यूनी हान ने बताया कि बीते 9 दिन से हेरिटेज सेल के साथ काम कर रहे हैं. जयपुर पूरे भारत में सुनियोजित शहर का अनूठा उदाहरण है. जयपुर की विरासत को संरक्षित करने के लिए शहर राज्य सरकार के साथ मिलकर कठिन परिश्रम कर रहा है. दूसरे पुराने शहरों की तुलना में जनसंख्या घनत्व ज्यादा होने के बावजूद भी यहां हेरिटेज इमारतें संरक्षित हैं. लेकिन यूनेस्को टीम बहुत ज्यादा आशावादी है और यहां सुधार की गुंजाइश भी है. ताकि इस शहर को इंटरनेशनल लेवल पर शोकेस किया जा सके.
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यूनेस्को ने कई प्रोजेक्ट पर की चर्चा
एलएसजी सचिव डॉ जोगाराम ने बताया कि यूनेस्को टीम ने हेरिटेज क्षेत्र में चल रहे अलग-अलग प्रोजेक्ट की अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की. उन्होंने धरोहर का संरक्षण कैसे किया जाए, फसाड़ के काम में पारंपरिक सामग्री का इस्तेमाल करते हुए उसे मेंटेन करने, चौकड़ी वाइस एसेसमेंट करने को लेकर अपेक्षा जताई है. साथ ही नया निर्माण हेरिटेज बायलॉज के अनुसार करने को लेकर अपेक्षा जताई है. ऐसे में यूनेस्को से किए गए कमिटमेंट को लेकर स्टेट हेरिटेज एक्शन प्लान, मैकेनिज्म और बायलॉज पर काम किया जाएगा.
आर्किटेक्चरल कंट्रोल गाइडलाइन तय
हेरिटेज सेल्स कंसलटेंट ने बताया कि आर्किटेक्चरल कंट्रोल गाइडलाइन अब तय हो चुकी है. जिसे हिंदी भाषा में भी ज्ञापित किया जाएगा ताकि आम जनता इसे समझ सके कि किस हवेली को किस रूप में सजाया जाना है. इसकी अनुमति कैसे मिलेगी. साथ ही कंजर्वेशन आर्किटेक्ट को एंपैनलमेंट किया जा रहा है. इसके लिए 25 आवेदन आए हैं. इसमें जो अच्छे कंजर्वेशन आर्किटेक्ट हैं, उन्हें पैनल पर रखा जाएगा. बाकी को डोमेन में डाल दिया जाएगा. ताकि आवश्यकता पड़ने पर यदि सेवाएं लेनी हो तो, ऐसे आर्किटेक्ट की सेवाएं ली जा सके. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने भी 10 करोड़ हेरिटेज फंड की घोषणा की है, साथ ही हेरिटेज सेल को मजबूत किए जाने की बात कही है. जिसकी यूनेस्को टीम ने तारीफ की.
यूनिफाइड अथॉरिटी बनाने का दिया सुझाव
यूनेस्को टीम ने राजस्थान के लिए यूनिफाइड अथॉरिटी बनाने का भी सुझाव दिया है. उन्होंने बताया कि राजस्थान में विरासत बिखरी पड़ी है. कई विरासत ऐसी है जिसके बारे में लोग जानते ही नहीं. ऐसे में कुछ बड़े इंटरप्रिटेशन सेंटर बने. जहां इनकी जानकारी को समायोजित किया जा सके. यूनेस्को टीम ने ये भी स्पष्ट किया कि यहां की भवन- इमारत ही नहीं बल्कि लोकगीत और लोकनृत्य भी विरासत का हिस्सा है. यूनेस्को टीम ने अपेक्षा जताई कि यदि उनकी गाइडलाइन कि समय पर पालना सुनिश्चित की जाती है, तो बेहतर होगा. अन्यथा यूनेस्को टीम के अगले दौरे पर प्रोग्रेस रिव्यू करनी पड़ सकती है. बताया जा रहा है कि दिसंबर तक यूनेस्को की टीम का दोबारा दौरा हो सकता है.