जयपुर. देश की लोग भाषाएं बचेगी तो देश बचेगा और देश की संस्कृति भी बचेगी. वहीं, राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित किया जाए तो बेरोजगार से भी जुड़ेगी. जयपुर में आयोजित पीएलएफ में पहुंचे साहित्यकारों ने यह बात कही है.
राजधानी के जवाहर कला केंद्र में आयोजित हो रहे तीन दिवसीय समानांतर साहित्य उत्सव में राजस्थानी भाषा को लेकर साहित्यकारों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा, कि राजस्थानी भाषा को बचाना बहुत जरूरी है.
पढ़ें- विराटनगर: युवाओं ने छेड़ा जवानपुरा पंचायत में स्वच्छता अभियान
साहित्यकार संपत सरल ने बताया कि राजस्थानी भाषा की स्थिति किसी से छिपी हुई नहीं है. राजस्थानी भाषा का स्तर पहले से भी नीचे हो गया. राजस्थानी भाषा को पढ़ना लिखना तो दूर लोगों ने घर में भी राजस्थानी भाषा बोलना बन्द कर दिया. उन्होंने कहा कि अगर राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित कर लिया जाए तो वह रोजगार से भी जुड़ेगी.
साथ ही उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा पाठ्यक्रम में आएगी तो लोगों का रुख राजस्थानी भाषा की तरफ होगा. पीएलएफ में राजस्थानी भाषा को लेकर कई सत्र आयोजित किए गए. जहां पर साहित्यकारों ने राजस्थानी भाषा के बारे में चर्चा की. इस अवसर पर लोगों को राजस्थानी भाषा सुनने को मिली.
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को भी राजनीति से ऊपर उठकर देश की लोक भाषाओं के बारे में विचार करना चाहिए. देश की लोक भाषाएं बचेगी तो देश बचेगा और देश की संस्कृति भी बचेगी. साहित्यकार फारुख ने बताया कि राजस्थानी भाषा को जिस तरह से सम्मान मिलना चाहिए वह सम्मान नहीं मिल पाया. लोगों में इस बात को लेकर भी काफी चिंता है कि राजस्थानी भाषा को लेकर कोई उचित कदम उठाया जाना चाहिए. ताकि राजस्थानी भाषा बचाई जा सके.
पढ़ें- शाहपुरा में निकाली गई आरक्षण बचाओ रैली, कार्यकर्ताओं ने SDM को सौंपा ज्ञापन
बता दें, कि राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से जयपुर के जवाहर कला केंद्र में समानांतर साहित्य उत्सव का आयोजन किया गया. तीन दिवसीय समारोह में देश भर के कई राज्यों से साहित्यकार, लेखक और फिल्मकारों ने भाग लिया.