जयपुर. शहर की सरकार में एक बार फिर से भूचाल आ गया है. जयपुर ग्रेटर नगर निगम क्षेत्र में कमिश्नर के साथ बदसलूकी के मामले में राज्य सरकार ने 3 पार्षदों को बर्खास्त कर दिया (3 Councillors of Greater Nigam terminated) है. तीनों पार्षद शंकर शर्मा, अजय सिंह और पारस जैन अब तक निलंबित चल रहे थे. इस मामले में विधिक राय के बाद राज्य सरकार का एक्शन सामने आया है. इन तीनों पार्षदों पर 6 साल के लिए चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया है.
मामले में स्वायत्त शासन विभाग की ओर से आए बर्खास्तगी आदेश पर बर्खास्त हुए पार्षद अजय सिंह ने कहा कि राज्य सरकार क्या फैसला लेगी, ये पहले से पता था. 10 अगस्त को न्यायिक जांच पूरी कर ली गई थी, लेकिन 12 दिन तक जांच की कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई. जांच की कॉपी के लिए अनशन तक पर बैठना पड़ा था, तब जाकर सोमवार सुबह न्यायिक जांच की कॉपी उपलब्ध कराई गई. शाम को आनन-फानन में ये निर्णय ले लिया. उन्होंने आरोप लगाया कि जिस अधिकारी ने मारपीट के आरोप लगाए, वो खुद करप्शन में डूबा हुआ है. एसीबी में प्रकरण लंबित चल रहे हैं. आज तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने कहा कि जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधियों को इस तरह हटाना लोकतंत्र की हत्या है. जनता सब देख रही है. मामले में अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा और पूरी उम्मीद है कि न्यायालय में वो निर्दोष साबित होंगे. क्योंकि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं हो सकता.
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वहीं बर्खास्त हुए अन्य पार्षद पारस जैन ने कहा कि न्यायिक जांच दुर्भावनावश कराई गई. जांच रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई गई, ताकि पार्षद न्यायालय में ना जा सके. उन्होंने कहा कि जयपुर की जनता जानती है कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया. उन्हें बेवजह फंसाया गया है. ये सरकार भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देने वाली सरकार है. वहीं मामले में हुई न्यायिक जांच में मेयर सौम्या गुर्जर भी दोषी पाई गई हैं. जिस पर सरकार विधिक राय के बाद एक्शन लेगी. सरकार उनको किसी भी समय पद से बर्खास्त करने के आदेश जारी कर सकती है. यदि उन्हें पद से हटाए जाने का निर्णय लिया जाता है, तो निश्चित रूप से मेयर को अगले 6 साल के लिए नगर पालिका चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित भी किया जा सकता है. ऐसे में मेयर के दोबारा चुनाव होना तय है.
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आपको बता दें कि ग्रेटर निगम में इस विवाद की शुरुआत 4 जून, 2021 को मेयर सौम्या गुर्जर चैम्बर से हुई थी. तत्कालीन निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव ने चैम्बर में उनके साथ मारपीट और बदसलूकी करने का आरोप लगाया था. इसकी शिकायत राज्य सरकार से करते हुए उन्होंने तीन पार्षदों के खिलाफ ज्योति नगर थाने में मामला भी दर्ज करवाया था. उसके बाद सरकार ने पूरे प्रकरण की जांच करते हुए मेयर और तीनों पार्षदों को निलंबित कर दिया था.