जयपुर. 15वीं विधानसभा का तीसरा सत्र 28 नवंबर से शुरू होने जा रहा है. इसके लिए बुधवार को राजस्थान विधानसभा में सर्वदलीय बैठक भी हुई. बता दें कि गुरुवार से शुरू होने वाले सत्र में संभावना है कि यह 2 दिन का होगा, जिसमें कोई विधाई कार्य नहीं होगा और केवल 2 दिनों तक संविधान पर ही चर्चा होगी. दरअसल, 26 नवंबर को संविधान दिवस था जिसके कारण विधायकों के साथ संविधान पर ही 2 दिन चर्चा होगी. जिसमें करीब 36 विधायक वक्ता के तौर पर भाग लेंगे.
हालांकि, पहले माना जा रहा था कि इस सत्र में विधानसभा उपाध्यक्ष का भी चुनाव हो जाएगा. लेकिन इस तरह की चर्चा से विधानसभा के सचेतक महेश जोशी ने इंकार कर दिया है. ऐसे में साफ है कि गुरुवार से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में प्रश्नकाल, सुनने काल जैसे कार्य नहीं होंगे. हालांकि, अति आवश्यक बिलों को विधानसभा में रखा जा सकता है.
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इसे लेकर बुधवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि संविधान को बने हुए 70 साल हो चुके हैं. इसका लेखा-जोखा 2 दिन में लिया जाएगा कि हम लोकतंत्र में संविधान की रक्षा 70 साल में कितनी कर सके हैं और कितनी कमी रह गई. मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताते हुए कहा कि पक्ष और विपक्ष के सदस्य मिलकर संविधान की मर्यादा कैसे बढ़े, इसे लेकर कमेंट करेंगे. एक दूसरे पर कोई आक्षेप नहीं लगाएंगे. हालांकि, अगर कोई गलतियां हुई है तो उनको प्वाइंट आउट भी सदस्यों को करना चाहिए. लेकिन किसी तरीके सभी पार्टियों में बांटने का काम विधानसभा के सदस्य नहीं करेंगे इसकी उन्हें उम्मीद है.
इस बैठक में विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, मुख्य सचेतक महेश जोशी, उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी, आरएलपी के पुखराज और सीपीएम के बलवान पूनिया मौजूद रहे.