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SPECIAL: कोरोना ने थामे पहिए, कहां से आएगा अब इन 50 लाख लोगों के लिए खाना?

सड़कों पर दौड़ने वाले ट्रकों की रफ्तार लॉकडाउन ने थाम ली है.राजस्थान में लाखों की संख्या में ट्रक, ट्रोले और पिकअप सामान ढोने का काम करते हैं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से इनमें से सिर्फ 30 प्रतिशत गाड़ियां ही अब सड़कों पर दौड़ रही हैं. बाकी बची हुई गाड़ियां थम गई हैं. जिसकी वजह से इनसे जुड़ें लोगों के लिए अपना पेट पालना भी मुश्किल हो गया है. देखिए ईटीवी भारत की यह स्पेशल रिपोर्ट...

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कोरोना ने थामे पहिए
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Published : Apr 10, 2020, 12:23 PM IST

Updated : Apr 10, 2020, 4:12 PM IST

जयपुर. पूरे देश में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है. ऐसे में हर तबका प्रभावित हो रहा है. इसमें एक तबका वह भी है जो सामान का परिवहन करने एक राज्य से दूसरे राज्य में जाता है. जी हां हम बात कर रहे हैं उन ट्रकों की जो माल का परिवहन देश के कोने-कोने में करते हैं. राजस्थान की बात करें तो यह रहे आंकड़े...

कोरोना ने थामे पहिए

राजस्थान में ट्रकों की संख्या

  • करीब 4 लाख 87 हजार ट्रक पंजीकृत
  • 30% ट्रक आवश्यक सेवाओं में लगे

राजस्थान में बड़े ट्रोलों की संख्या

  • प्रदेश में करीब 1 लाख 77 हजार बड़े ट्रोले पंजीकृत
  • 15% ही कर रहे आवाजाही

राजस्थान में पिकअपों की संख्या

  • प्रदेश में करीब 2 लाख 40 हजार पिकअप हैं
  • 30% ही सड़क पर चल रहे हैं
    ईटीवी भारत ने की ट्रक ड्रायवरों से बातचीत

ट्रकों के हालात तो यह है कि जो जहां था, वहीं रह गया है, राजस्थान के भी करीब 25% ऐसे ट्रक हैं, जो देश के दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं, क्योंकि लॉकडाउन में उन्हें आने-जाने की परमिशन नहीं है. ऐसे में उनके ट्रक ड्राइवर अपना ट्रक छोड़कर नहीं आ रहे हैं और उन्हीं प्रदेशों में रह रहे हैं.

यह भी पढ़ें- SPECIAL: Corona महामारी पर बोले दादाजी, नहीं देखा किसी भी बीमारी का ऐसा प्रकोप

इसके अलावा जो 30% ट्रक, ट्रोले और पिकअप सड़कों पर है. वह जनता को आवश्यक सामान मुहैया कराने के लिए सरकार से परमिशन लेकर चल रहे हैं. चाहे प्रदेश के एक कोने से दूसरे कोने में सब्जियों का परिवहन हो या फिर आटा, दाल, चीनी ,गेहूं जैसे आवश्यक सामानों का, इनके लिए प्रशासन ने इन ट्रकों और पिकअपों को इजाजत दे रखी है.

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ट्रक ड्रायवर

इन्हीं के जरिए लोगों को अपनी आवश्यकताओं का सामान मिल रहा है और किसान हो या व्यापारी अपने आवश्यक सामान को इन्हीं देवदूतों के जरिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा रहे हैं. अगर यह भी रुक जाते तो आज लॉकडाउन का सफल होना नामुमकिन था, क्योंकि ऐसे में लोगों के पास सामान की कमी हो जाती और आवश्यक खाने-पीने की चीजों के बिना शायद लोग सड़कों पर भी आ जाते. लेकिन इन ट्रकों के पहिए थम जाने से इनसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों को खाने के लाले पड़ गए हैं.

इन परिवारों पर सीधा संकट

  • ट्रक ड्राइवर और खलासी
  • मोटर गैराज संचालक
  • मोटर गैराज में काम करने वाले
  • पंचर बनाने वाले

राजधानी जयपुर की बात की जाए, तो इसमें करीब डेढ़ लाख ट्रक 25 हजार ट्रोले और करीब 35 हजार पिकअप हैं. जिनमें से 20 से 30% सड़कों पर हैं. बाकी के पहिए थम गए हैं. एक ट्रक के पहिए थमने से 3 परिवारों पर प्रत्यक्ष तो 7 परिवारों पर अप्रत्यक्ष असर पड़ता है.

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सब्जियां लेकर जाता हुआ वाहन

अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित परिवार

  • प्रदेश में करीब 40 से 50 लाख लोग प्रभावित
  • ऑटो पार्ट्स से जुड़े लोग
  • टायर बाजार से जुड़े लोग
  • छोटे-मोटे रिपेयरिंग से जुड़े लोग
  • ढाबा चलाने वाले लोग
  • गेस्ट हाउस

वैसे तो लोगों ने सरकार के कहने के बाद और लगातार बढ़ते केसों के चलते अपने आप को घरों में कैद कर लिया है. लेकिन ऐसे माहौल में वह ट्रक ड्राइवर और कंडक्टर जो आवश्यक सामग्री की ढुलाई कर रहे हैं. वह अपने काम में जुटे हैं. हालांकि उन्हें डर लगता है कि कहीं वह किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में ना आ जाए जो कोरोना वायरस से संक्रमित है. लेकिन फिर भी वह जनता के हितों के लिए सड़कों पर उतरे हुए हैं. यही कारण है कि राजस्थान में अभी आवश्यक सामग्री की कोई कमी नहीं हुई है. लेकिन जो बाकी बचे हुए लोग हैं वो अपने खाने की व्यवस्था कहां से करें. ये विकराल समस्या उनके साथ आ खड़ी हुई है.

यह भी पढ़ें- SPECIAL: 'जिंदगी' और 'मौत' के बीच तालमेल बिठाने वाली एंबुलेंस कितनी मुस्तैद..

जयपुर से ही सब्जियां प्रदेश के कोने-कोने तक पहुंचाई जा रही है, ताकि लोगों को इस लॉकडाउन के दौरान परेशानी ना हो. इसी तरीके से गेहूं, दाल, चावल चीनी, दूध समेत आवश्यक सामग्रियों को भी इन्हीं ट्रकों और पिकअप के माध्यम से प्रदेश के कोने-कोने में पहुंचाया जा रहा है. इसी तरीके से दूध का परिवहन राशन की सामग्री का परिवहन भी सरकार द्वारा इन्हीं के माध्यम से किया जा रहा है, ताकि लोग अपने घरों में रहे और उन्हें आवश्यक सामग्री मिल जाए. लेकिन इस काम से जुड़े करीब 50 लाख लोगों को अब खाने के लाले पड़ गए हैं. ऐसे में ये ट्रक, ड्राइवर कंडक्टर और इनसे जुड़े लोग जिनके सामने इस विकराल समस्या खड़ी हो गई है. वो जाएं तो जाएं कहां?

जयपुर. पूरे देश में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है. ऐसे में हर तबका प्रभावित हो रहा है. इसमें एक तबका वह भी है जो सामान का परिवहन करने एक राज्य से दूसरे राज्य में जाता है. जी हां हम बात कर रहे हैं उन ट्रकों की जो माल का परिवहन देश के कोने-कोने में करते हैं. राजस्थान की बात करें तो यह रहे आंकड़े...

कोरोना ने थामे पहिए

राजस्थान में ट्रकों की संख्या

  • करीब 4 लाख 87 हजार ट्रक पंजीकृत
  • 30% ट्रक आवश्यक सेवाओं में लगे

राजस्थान में बड़े ट्रोलों की संख्या

  • प्रदेश में करीब 1 लाख 77 हजार बड़े ट्रोले पंजीकृत
  • 15% ही कर रहे आवाजाही

राजस्थान में पिकअपों की संख्या

  • प्रदेश में करीब 2 लाख 40 हजार पिकअप हैं
  • 30% ही सड़क पर चल रहे हैं
    ईटीवी भारत ने की ट्रक ड्रायवरों से बातचीत

ट्रकों के हालात तो यह है कि जो जहां था, वहीं रह गया है, राजस्थान के भी करीब 25% ऐसे ट्रक हैं, जो देश के दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं, क्योंकि लॉकडाउन में उन्हें आने-जाने की परमिशन नहीं है. ऐसे में उनके ट्रक ड्राइवर अपना ट्रक छोड़कर नहीं आ रहे हैं और उन्हीं प्रदेशों में रह रहे हैं.

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इसके अलावा जो 30% ट्रक, ट्रोले और पिकअप सड़कों पर है. वह जनता को आवश्यक सामान मुहैया कराने के लिए सरकार से परमिशन लेकर चल रहे हैं. चाहे प्रदेश के एक कोने से दूसरे कोने में सब्जियों का परिवहन हो या फिर आटा, दाल, चीनी ,गेहूं जैसे आवश्यक सामानों का, इनके लिए प्रशासन ने इन ट्रकों और पिकअपों को इजाजत दे रखी है.

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ट्रक ड्रायवर

इन्हीं के जरिए लोगों को अपनी आवश्यकताओं का सामान मिल रहा है और किसान हो या व्यापारी अपने आवश्यक सामान को इन्हीं देवदूतों के जरिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा रहे हैं. अगर यह भी रुक जाते तो आज लॉकडाउन का सफल होना नामुमकिन था, क्योंकि ऐसे में लोगों के पास सामान की कमी हो जाती और आवश्यक खाने-पीने की चीजों के बिना शायद लोग सड़कों पर भी आ जाते. लेकिन इन ट्रकों के पहिए थम जाने से इनसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों को खाने के लाले पड़ गए हैं.

इन परिवारों पर सीधा संकट

  • ट्रक ड्राइवर और खलासी
  • मोटर गैराज संचालक
  • मोटर गैराज में काम करने वाले
  • पंचर बनाने वाले

राजधानी जयपुर की बात की जाए, तो इसमें करीब डेढ़ लाख ट्रक 25 हजार ट्रोले और करीब 35 हजार पिकअप हैं. जिनमें से 20 से 30% सड़कों पर हैं. बाकी के पहिए थम गए हैं. एक ट्रक के पहिए थमने से 3 परिवारों पर प्रत्यक्ष तो 7 परिवारों पर अप्रत्यक्ष असर पड़ता है.

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सब्जियां लेकर जाता हुआ वाहन

अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित परिवार

  • प्रदेश में करीब 40 से 50 लाख लोग प्रभावित
  • ऑटो पार्ट्स से जुड़े लोग
  • टायर बाजार से जुड़े लोग
  • छोटे-मोटे रिपेयरिंग से जुड़े लोग
  • ढाबा चलाने वाले लोग
  • गेस्ट हाउस

वैसे तो लोगों ने सरकार के कहने के बाद और लगातार बढ़ते केसों के चलते अपने आप को घरों में कैद कर लिया है. लेकिन ऐसे माहौल में वह ट्रक ड्राइवर और कंडक्टर जो आवश्यक सामग्री की ढुलाई कर रहे हैं. वह अपने काम में जुटे हैं. हालांकि उन्हें डर लगता है कि कहीं वह किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में ना आ जाए जो कोरोना वायरस से संक्रमित है. लेकिन फिर भी वह जनता के हितों के लिए सड़कों पर उतरे हुए हैं. यही कारण है कि राजस्थान में अभी आवश्यक सामग्री की कोई कमी नहीं हुई है. लेकिन जो बाकी बचे हुए लोग हैं वो अपने खाने की व्यवस्था कहां से करें. ये विकराल समस्या उनके साथ आ खड़ी हुई है.

यह भी पढ़ें- SPECIAL: 'जिंदगी' और 'मौत' के बीच तालमेल बिठाने वाली एंबुलेंस कितनी मुस्तैद..

जयपुर से ही सब्जियां प्रदेश के कोने-कोने तक पहुंचाई जा रही है, ताकि लोगों को इस लॉकडाउन के दौरान परेशानी ना हो. इसी तरीके से गेहूं, दाल, चावल चीनी, दूध समेत आवश्यक सामग्रियों को भी इन्हीं ट्रकों और पिकअप के माध्यम से प्रदेश के कोने-कोने में पहुंचाया जा रहा है. इसी तरीके से दूध का परिवहन राशन की सामग्री का परिवहन भी सरकार द्वारा इन्हीं के माध्यम से किया जा रहा है, ताकि लोग अपने घरों में रहे और उन्हें आवश्यक सामग्री मिल जाए. लेकिन इस काम से जुड़े करीब 50 लाख लोगों को अब खाने के लाले पड़ गए हैं. ऐसे में ये ट्रक, ड्राइवर कंडक्टर और इनसे जुड़े लोग जिनके सामने इस विकराल समस्या खड़ी हो गई है. वो जाएं तो जाएं कहां?

Last Updated : Apr 10, 2020, 4:12 PM IST
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