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जालोर: स्मैक का अड्डा बन रहा है सांचोर, कई जगहों पर युवा दिन दहाड़े कर रहे है स्मैक का नशा - स्मैक

जालोर में स्मैक के नशे के सौदागरों पर लगाम लगाने में पुलिस नाकाम साबित हो रही है. कई स्थानों पर युवा स्मैक का नशा करते हुए दिख रहे है, लेकिन इस पर रोकथाम को लेकर किसी भी तरह के कड़े कदम नहीं उठाए जा रहे है.

स्मैक के नशे के सौदागरों पर लगाम
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Published : Jul 24, 2019, 11:47 AM IST

जालोर. जिले के सांचोर उपखण्ड क्षेत्र के युवा स्मैक की लत के शिकार हो रहे है. इनको रोकने के लिए पुलिस व चिकित्सा विभाग ने सयुंक्त रूप से संजीवनी योजना भी चलाई थी, लेकिन अभी तक इस नशे के कारोबार पर रोकथाम नहीं लग पाई हैं. जिसके चलते कई जगहों पर स्मैक के नशे के आदि नशेड़ियों ने कई लावारिस पड़े सरकारी या गैर सरकारी मकानों को अपना अड्डा बना लिया है. जिसमें वह दिन भर स्मैक का सेवन करते रहते है. इसका जीता जागता एक उदाहरण है सांचोर का पशु मेला मैदान, जहां पर दिनभर युवा स्मैक या शराब पीने के लिए एकत्रित होते है. देर रात तक नशेड़ी मेला मैदान में बने कमरों में बैठ कर स्मैक पीते है, लेकिन इसकी रोकथाम को लेकर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे.


सेंकड़ों स्मैक के मामले सांचोर और चितलवाना क्षेत्र
जालोर के सांचोर, चितलवाना, करड़ा और भीनमाल क्षेत्र में युवा स्मैक की लत के शिकार है. जिसके कारण इन क्षेत्र में स्मैक के सबसे ज्यादा मामले सामने आए है. इन मामलों के सामने आने के बाद तत्कालीन एसपी विकास शर्मा ने स्मैक के खिलाफ अभियान भी चलाया था, लेकिन एसपी का ट्रांसफर होने के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई. एसपी विकास शर्मा ने स्मैक के लिए स्पेशल योजना चलाई थी.

इस स्पेशल संजीवनी योजना में स्मैक बेचने वालों पर पुलिस कड़ी नजर रखते हुए कार्यवाही करती थी. वही स्मैक के नशे की लत के शिकार युवाओं को लत छुड़वाने के लिए संजीवनी योजना के तहत पीड़ित का उपचार भी करवाया जाता था, लेकिन अब स्मैक पर लगाम नहीं पाने के कारण ज्यादातर युवा स्मैक की लत की चपेट में आ रहे है.

जालोर. जिले के सांचोर उपखण्ड क्षेत्र के युवा स्मैक की लत के शिकार हो रहे है. इनको रोकने के लिए पुलिस व चिकित्सा विभाग ने सयुंक्त रूप से संजीवनी योजना भी चलाई थी, लेकिन अभी तक इस नशे के कारोबार पर रोकथाम नहीं लग पाई हैं. जिसके चलते कई जगहों पर स्मैक के नशे के आदि नशेड़ियों ने कई लावारिस पड़े सरकारी या गैर सरकारी मकानों को अपना अड्डा बना लिया है. जिसमें वह दिन भर स्मैक का सेवन करते रहते है. इसका जीता जागता एक उदाहरण है सांचोर का पशु मेला मैदान, जहां पर दिनभर युवा स्मैक या शराब पीने के लिए एकत्रित होते है. देर रात तक नशेड़ी मेला मैदान में बने कमरों में बैठ कर स्मैक पीते है, लेकिन इसकी रोकथाम को लेकर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे.


सेंकड़ों स्मैक के मामले सांचोर और चितलवाना क्षेत्र
जालोर के सांचोर, चितलवाना, करड़ा और भीनमाल क्षेत्र में युवा स्मैक की लत के शिकार है. जिसके कारण इन क्षेत्र में स्मैक के सबसे ज्यादा मामले सामने आए है. इन मामलों के सामने आने के बाद तत्कालीन एसपी विकास शर्मा ने स्मैक के खिलाफ अभियान भी चलाया था, लेकिन एसपी का ट्रांसफर होने के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई. एसपी विकास शर्मा ने स्मैक के लिए स्पेशल योजना चलाई थी.

इस स्पेशल संजीवनी योजना में स्मैक बेचने वालों पर पुलिस कड़ी नजर रखते हुए कार्यवाही करती थी. वही स्मैक के नशे की लत के शिकार युवाओं को लत छुड़वाने के लिए संजीवनी योजना के तहत पीड़ित का उपचार भी करवाया जाता था, लेकिन अब स्मैक पर लगाम नहीं पाने के कारण ज्यादातर युवा स्मैक की लत की चपेट में आ रहे है.

Intro:स्मेक के नशे के सौदागरों पर लगाम लगाने में पुलिस नाकाम साबित हो रही है। कई स्थानों पर युवा स्मेक का नशा करते आराम से दिख रहे है, लेकिन कोई रोकथाम को लेकर कड़े कदम नहीं उठाए जा रहे है।


Body:स्मेक का अड्डा बन रहा है सांचोर, कई जगहों पर युवा दिन दहाड़े कर रहे है स्मेक का नशा
जालोर
जिले के सांचोर उपखण्ड क्षेत्र के युवा स्मेक की लत के शिकार हो रहे है। इनको रोकने के लिए पुलिस व चिकित्सा विभाग ने सयुंक्त रूप से संजीवनी योजना भी चलाई थी, लेकिन अभी तक इस नशे के कारोबार पर रोकथाम नहीं लग पाई हैं। जिसके चलते कई जगहों पर स्मेक के नशे के आदि नशेड़ियों ने कई लावारिस पड़ी सरकारी या गैर सरकारी मकानों को अपना अड्डा बना लिया है। जिसमें दिन भर स्मेक का सेवन करते है। इसका जीता जागता एक उदाहरण है सांचोर का पशु मेला मैदान, जहां पर दिनभर युवा स्मेक या शराब पीने के लिए एकत्रित होते है। देर रात तक नशेड़ी मेला मैदान में बने कमरों में बैठ कर स्मेक पीते है, लेकिन रोकथाम को लेकर कोई कदम उठाए नहीं जा रहे है।
सेंकडों स्मेक के मामले सांचोर व चितलवाना क्षेत्र के
जालोर के सांचोर, चितलवाना, करड़ा व भीनमाल क्षेत्र में युवा स्मेक की लत के शिकार है। जिसके कारण इन क्षेत्र में स्मेक के सबसे ज्यादा मामले सामने आए है। इन मामलों के सामने आने के बाद तत्कालीन एसपी विकास शर्मा ने स्मेक के खिलाफ अभियान भी चलाया था, लेकिन एसपी का ट्रांसफर होने बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। एसपी विकास शर्मा ने स्मेक के लिए स्पेशल योजना चलाई थी। इस स्पेशल संजीवनी योजना में स्मेक बेचने वालों पर पुलिस कड़ी नजर रखते हुए कार्यवाही करती थी। वही स्मेक के नशे की लत के शिकार युवाओ को लत छुड़वाने के लिए संजीवनी योजना के तहत पीड़ित का उपचार भी करवाया जाता था, लेकिन अब स्मेक पर लगाम नहीं पाने के कारण ज्यादातर युवा स्मेक की लत के चपेट में आ रहे है।
बाईट, बींजाराम मीना, एडिशनल एसपी सांचोर


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