जयपुर. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल (Sawai Mansingh Hospital) के चिकित्सकों ने एक दुर्लभ सर्जरी को अंजाम दिया है. जहां 14 साल के एक बच्चे की नटक्रैकर सिंड्रोम सर्जरी की गई (Nutcracker Syndrome Surgery) है. चिकित्सकों का कहना है कि यह बीमारी आमतौर पर महिलाओं में पाई जाती है. लेकिन 14 साल के एक बच्चे में इस तरह का यह पहला मामला सामने आया है. चिकित्सकों का कहना है कि बच्चे की महाधमनी और आंतों को खून देने वाली धमनी के बीच नस फंस गई थी. जिसके बाद बच्चे को असहनीय दर्द हो रहा था.
अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि अधिकांशत: महिलाओं में होने वाली यह बीमारी नटक्रैकर सिंड्रोम 14 साल के बच्चे को हो गई. उदयपुर के गिरवा तहसील के शिवम को गुर्दे में तेज दर्द रहने लगा. ऐसे में बच्चे को उदयपुर और आसपास के डॉक्टर्स को दिखाया, लेकिन आराम नहीं मिला. दिन में कई बार पेन किलर और इंजेक्शन लेने के बाद भी आराम नहीं मिला तो आखिर में परिजन बच्चे को एसएमएस अस्पताल लेकर आए और जांच में सामने आया कि उसे नटक्रैकर सिंड्रोम नामक डिजीज हो गई थी. इस डिजीज में गुर्दे का खून ले जाने वाली वेन, महाधमनी और आंतों को खून देने वाली नस के बीच फंस जाती है. ऐसे में इसकी सर्जरी भी काफी जटिल होती है. लेकिन एसएमएस के सीटीवीएस (कार्डियोथोरेसिक व वेेस्क्युलर सर्जन) ने सर्जरी कर न केवल बीमारी दूर की बल्कि बच्चेे को नई जिंदगी दी है. डॉक्टर्स ने दावा किया है कि राजस्थान में पहली बार इस डिजीज की सर्जरी की गई है.
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एसएमएस के कार्डियोथोरिसिक सर्जन डॉ. संजीव देवगढ़ा ने बताया कि सीटी स्केन, रीनल वेनोग्राम और एंजियोग्राफी जांच में पता चला कि बायां गुर्दा पूरा फूला हुआ है और लेफ्ट रीनल वेन (गुर्दे का खून ले जाने वाली) गुर्दे से ब्लड ले जाते समय महाधमनी और आंतों को खून देने वाली नस के बीच फंस जाती है. इस वजह से ब्लड सप्लाई पूरी तरह प्रभावित हो जाती है और गुर्दे में सूजन और तेज दर्द होता है. कोई भी दवा और इंजेक्शन इस फंसी हुई नस को नहीं खोल पाती और मरीज दर्द से तड़पने लगता है. ऐसे में शिवम की सर्जरी करने का निर्णय किया गया. तीन घंटे से अधिक समय तक चली सर्जरी में लेफ्ट रीनल वेन को आईवीसी से हटाकर नीचे की आईवीसी से जोड़ा गया. लेकिन इन वेन को इस तरह से जोड़ना होता है कि कोई भी एंगल घुमाव वाला नहीं हो. सर्जरी करते ही किडनी की सूजन कम हो गई और ब्लड सप्लाई भी आसानी से होने लगी. ऑपरेशन टीम में डॉ. संजीव देवगढ़ा, डॉ. अनूला सिसोदिया, डॉ. संदीप महला, डॉ. रीमा मीणा, डॉ. अंजुम, डॉ. अरूण और सुरेश रहे.