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स्पीकर सीपी जोशी की एसएलपी पर SC आज करेगा सुनवाई, पायलट गुट ने भी दाखिल की कैविएट

राजस्थान में कांग्रेस के अंदर चल रही लड़ाई उच्चतम न्यायालय पहुंच गई है. राज्य के विधानसभा अध्यक्ष ने सचिन पायलट और पार्टी के 18 अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही 24 जुलाई तक रोके जाने के उच्च न्यायालय के आदेश को स्पीकर सीपी जोशी चुनौती दी है. जिस पर आज सुनवाई होगी.

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स्पीकर सीपी जोशी की एसएलपी पर SC आज करेगा सुनवाई
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Published : Jul 23, 2020, 7:23 AM IST

Updated : Jul 23, 2020, 8:33 AM IST

जयपुर/ नई दिल्ली. पायलट नोटिस प्रकरण में राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से बागी विधायकों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने के आदेश को राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. बुधवार को स्पीकर जोशी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई थी जिस पर आज सुनवाई होगी.

शीर्ष न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध 23 जुलाई (बृहस्पतिवार) की कार्यसूची के अनुसार न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ इस याचिका पर सुनवाई करेगी.

स्पीकर जोशी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के स्पीकर को कार्यवाही से रोकने का आदेश गलत है. एसएलपी में स्पीकर की ओर से सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के किहोतो होलां केस का हवाला देते हुए कहा गया कि कोर्ट स्पीकर के निर्णय लेने या कार्यवाही में दखल नहीं कर सकता. स्पीकर ने राजस्थान हाईकोर्ट के 21 जुलाई को दिए गए निर्णय पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की है.

पढ़ें- सीपी जोशी ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा...कहा- बागी विधायकों को नोटिस भेजने का मुझे पूरा हक

विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) सी पी जोशी ने शीर्ष न्यायालय में दायर की गई अपनी याचिका में कहा कि न्यायपालिका से कभी भी यह अपेक्षा नहीं की गई थी कि वह ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करेगी, जिससे संवैधानिक गतिरोध पैदा हो.

उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना शीर्ष अदालत का कर्तव्य है कि संवैधानिक प्राधिकारी अपनी-अपनी सीमाओं में रहते हुए अपने अधिकारों का इस्तेमाल करें और संविधान में प्रदत्त 'लक्ष्मण रेखा' का पालन करें. उनकी याचिका में दलील दी गई है कि संविधान की 10 वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता कार्यवाही विधानमंडल का कामकाज है और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता.

सचिन पायलट गुट ने दाखिल की कैविएट

स्पीकर जोशी की ओर से एसएलपी दायर होने के बाद सचिन पायलट गुट ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है. कैविएट में यह गुहार लगाई गई है कि उनका पक्ष सुने बिना कोई एक तरफा आदेश ना जारी किया जाए.

राजस्थान हाईकोर्ट का 21 जुलाई का आदेश

पायलट गुट की स्पीकर को नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट की सीजे इंद्रजीत महांति की खंडपीठ ने सुनवाई पूरी कर ली है. यह सुनवाई 21 जुलाई को पूरी हुई जिसपर फैसला 24 जुलाई को सुनाया जाएगा. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने अपने 21 जुलाई के आदेश में स्पीकर सीपी जोशी से 24 जुलाई तक बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई ना करने का आग्रह किया था.

पढ़ें- Rajasthan political crisis: सचिन पायलट खेमे ने कोर्ट से केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाने की मांग की

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने पार्टी व्हिप की अवज्ञा करने को लेकर विधायकों को राजस्थान विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के लिये विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत कर रखी है. इसी शिकायत पर अध्यक्ष ने बागी विधायकों को नोटिस जारी किए थे. हालांकि, पायलट खेमे की दलील है कि पार्टी का व्हिप तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो. कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को दी गई अपनी शिकायत में पायलट और अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है.

जयपुर/ नई दिल्ली. पायलट नोटिस प्रकरण में राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से बागी विधायकों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने के आदेश को राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. बुधवार को स्पीकर जोशी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई थी जिस पर आज सुनवाई होगी.

शीर्ष न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध 23 जुलाई (बृहस्पतिवार) की कार्यसूची के अनुसार न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ इस याचिका पर सुनवाई करेगी.

स्पीकर जोशी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के स्पीकर को कार्यवाही से रोकने का आदेश गलत है. एसएलपी में स्पीकर की ओर से सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के किहोतो होलां केस का हवाला देते हुए कहा गया कि कोर्ट स्पीकर के निर्णय लेने या कार्यवाही में दखल नहीं कर सकता. स्पीकर ने राजस्थान हाईकोर्ट के 21 जुलाई को दिए गए निर्णय पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की है.

पढ़ें- सीपी जोशी ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा...कहा- बागी विधायकों को नोटिस भेजने का मुझे पूरा हक

विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) सी पी जोशी ने शीर्ष न्यायालय में दायर की गई अपनी याचिका में कहा कि न्यायपालिका से कभी भी यह अपेक्षा नहीं की गई थी कि वह ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करेगी, जिससे संवैधानिक गतिरोध पैदा हो.

उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना शीर्ष अदालत का कर्तव्य है कि संवैधानिक प्राधिकारी अपनी-अपनी सीमाओं में रहते हुए अपने अधिकारों का इस्तेमाल करें और संविधान में प्रदत्त 'लक्ष्मण रेखा' का पालन करें. उनकी याचिका में दलील दी गई है कि संविधान की 10 वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता कार्यवाही विधानमंडल का कामकाज है और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता.

सचिन पायलट गुट ने दाखिल की कैविएट

स्पीकर जोशी की ओर से एसएलपी दायर होने के बाद सचिन पायलट गुट ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है. कैविएट में यह गुहार लगाई गई है कि उनका पक्ष सुने बिना कोई एक तरफा आदेश ना जारी किया जाए.

राजस्थान हाईकोर्ट का 21 जुलाई का आदेश

पायलट गुट की स्पीकर को नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट की सीजे इंद्रजीत महांति की खंडपीठ ने सुनवाई पूरी कर ली है. यह सुनवाई 21 जुलाई को पूरी हुई जिसपर फैसला 24 जुलाई को सुनाया जाएगा. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने अपने 21 जुलाई के आदेश में स्पीकर सीपी जोशी से 24 जुलाई तक बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई ना करने का आग्रह किया था.

पढ़ें- Rajasthan political crisis: सचिन पायलट खेमे ने कोर्ट से केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाने की मांग की

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने पार्टी व्हिप की अवज्ञा करने को लेकर विधायकों को राजस्थान विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के लिये विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत कर रखी है. इसी शिकायत पर अध्यक्ष ने बागी विधायकों को नोटिस जारी किए थे. हालांकि, पायलट खेमे की दलील है कि पार्टी का व्हिप तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो. कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को दी गई अपनी शिकायत में पायलट और अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है.

Last Updated : Jul 23, 2020, 8:33 AM IST
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