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भाजपा के अविश्वास प्रस्ताव लाने के एलान ने कयासों को दिया बल...चर्चाओं में सरकार का संकट बरकरार

कहते हैं सियासत में जो कुछ दिखता है वो होता नहीं और जो होता है उसका अंदेशा बहुत कम रहता है. प्रदेश की राजनीति में भी इन दिनों कुछ ऐसा ही हो रहा है. भाजपा ने गुरुवार को जिस तरह विधानसभा के भीतर प्रदेश सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान किया. इससे इस बात का संकेत है कि पॉलिटिकल ड्रॉमा कि कुछ पिक्चर अभी बाकी है. या यूं भी कह सकते हैं कि सचिन पायलट गुट के विधायकों के वापस कांग्रेस में आने के बाद प्रदेश सरकार से संकट टल गया हो इसकी कोई गारंटी नहीं है.

No confidence motion against government, Satish Poonia press conference
बीजेपी लाएगी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव
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Published : Aug 13, 2020, 8:01 PM IST

Updated : Aug 13, 2020, 10:40 PM IST

जयपुर. कहते हैं सियासत में जो कुछ दिखता है वो होता नहीं और जो होता है उसका अंदेशा बहुत कम रहता है. प्रदेश की राजनीति में भी इन दिनों कुछ ऐसा ही हो रहा है. भाजपा ने गुरुवार को जिस तरह विधानसभा के भीतर प्रदेश सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान किया. ये इस बात का संकेत है कि पॉलिटिकल ड्रामे की कुछ पिक्चर अभी बाकी है, या फिर कहें कि सचिन पायलट गुट के विधायकों के वापस कांग्रेस में आने के बाद प्रदेश सरकार से संकट टल गया हो इसकी कोई गारंटी नहीं है.

बड़ा सवाल अब भी यही है कि पहले जब सचिन पायलट ने अपने पत्ते नहीं खोले थे, तब तक भाजपा नेता सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने को लेकर कोई वक्तव्य देने से बच रहे थे. लेकिन अब जब सचिन पायलट खेमे से जुड़े विधायक वापस कांग्रेस से जुड़ गए हैं और सरकार गिरने की संभावना बिल्कुल क्षीण हो चुकी है, तब भाजपा गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान कर रही है.

मीडिया से बातचीत करते सतीश पूनिया

पढ़ें- 1 महीने के राजनीतिक संघर्ष के बाद एक मंच पर नजर आए पायलट-गहलोत, दिखाया Victory Sign

प्रेस वार्ता के दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि अंतरात्मा की आवाज सुनकर कोई निर्दलीय या कांग्रेस का विधायक अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में कांग्रेस के खिलाफ वोट दे दे, ऐसी संभावना हो सकती है. साथ ही पूनिया ये भी कह रहे हैं कि जिस प्रकार की स्थिति कांग्रेस में चल रही है उसके बाद यह सरकार ज्यादा लंबी चले इसकी संभावना बिल्कुल नहीं है.

प्रेस वार्ता के दौरान गुलाबचंद कटारिया

अवसर तलाश रही बीजेपी

सचिन पायलट जब अपने समर्थक विधायकों के साथ जयपुर आए तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसलमेर चले गए. वहीं, जब जैसलमेर से गहलोत खेमे के विधायक जयपुर आए तो उन्हें वापस बाड़ेबंदी में पुलिस की सुरक्षा में लेकर जाया गया. खास बात यह भी रही कि इस दौरान सचिन पायलट और उनसे जुड़े विधायक होटल फेयरमाउंट नहीं गए और ना ही उस दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनकी मुलाकात हुई.

मौजूदा परिस्थितियों को भापते हुए भाजपा ने तय कर लिया कि सरकार विश्वास मत प्रस्ताव लाए या ना लाए लेकिन हम पहले दिन ही अविश्वास प्रस्ताव सदन में रख देंगे. क्योंकि अगर कांग्रेस में बाहरी तौर पर दिख रही एकजुटता अंदर से खोखली हुई तो उसका फायदा भाजपा को मिल जाएगा.

कांग्रेस पर राजेंद्र राठौड़ ने साधा निशाना

पढ़ें- विधानसभा सत्र में भाजपा लाएगी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, विधायक दल की बैठक में निर्णय

निर्दलीयों से भाजपा को उम्मीद

भारतीय जनता पार्टी को निर्दलीय और छोटी पार्टियों के विधायकों से भी काफी उम्मीद है, जिन्हें प्रदेश सरकार ने अब तक होटलों में कैद करके रखा था. भाजपा के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि इन विधायकों पर सरकार का दबाव है जिसके चलते यह खुलकर अपने मन की बात नहीं रख पा रहे. ऐसे में जब सदन चलेगा तो छोटी पार्टी के जिस विधायकों के मन में पीड़ा होगी वह खुलकर सामने आएगी और संभवत: अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वह भाजपा का साथ दे दे.

कुल मिलाकर मौजूदा परिस्थितियां यही कह रही हैं कि प्रदेश में चल रहे सियासी ड्रामे में अभी पिक्चर बाकी है. क्योंकि ऊपरी तौर पर भले ही कांग्रेस नेता एकजुट नजर आ रहे हों, लेकिन उनके बयानों के जरिए मनभेद की स्थिति को भाजपा ने भांप लिया है और वो अविश्वास प्रस्ताव का दाव भी खेलने को तैयार है. इसमें सफलता मिलेगी या नहीं यह तो समय ही बताएगा. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में इसकी संभावना थोड़ी कम ही नजर आ रही है. लेकिन यह भी सही है कि राजनीति में ऊंट किस करवट बैठ जाए, इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता.

जयपुर. कहते हैं सियासत में जो कुछ दिखता है वो होता नहीं और जो होता है उसका अंदेशा बहुत कम रहता है. प्रदेश की राजनीति में भी इन दिनों कुछ ऐसा ही हो रहा है. भाजपा ने गुरुवार को जिस तरह विधानसभा के भीतर प्रदेश सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान किया. ये इस बात का संकेत है कि पॉलिटिकल ड्रामे की कुछ पिक्चर अभी बाकी है, या फिर कहें कि सचिन पायलट गुट के विधायकों के वापस कांग्रेस में आने के बाद प्रदेश सरकार से संकट टल गया हो इसकी कोई गारंटी नहीं है.

बड़ा सवाल अब भी यही है कि पहले जब सचिन पायलट ने अपने पत्ते नहीं खोले थे, तब तक भाजपा नेता सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने को लेकर कोई वक्तव्य देने से बच रहे थे. लेकिन अब जब सचिन पायलट खेमे से जुड़े विधायक वापस कांग्रेस से जुड़ गए हैं और सरकार गिरने की संभावना बिल्कुल क्षीण हो चुकी है, तब भाजपा गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान कर रही है.

मीडिया से बातचीत करते सतीश पूनिया

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प्रेस वार्ता के दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि अंतरात्मा की आवाज सुनकर कोई निर्दलीय या कांग्रेस का विधायक अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में कांग्रेस के खिलाफ वोट दे दे, ऐसी संभावना हो सकती है. साथ ही पूनिया ये भी कह रहे हैं कि जिस प्रकार की स्थिति कांग्रेस में चल रही है उसके बाद यह सरकार ज्यादा लंबी चले इसकी संभावना बिल्कुल नहीं है.

प्रेस वार्ता के दौरान गुलाबचंद कटारिया

अवसर तलाश रही बीजेपी

सचिन पायलट जब अपने समर्थक विधायकों के साथ जयपुर आए तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसलमेर चले गए. वहीं, जब जैसलमेर से गहलोत खेमे के विधायक जयपुर आए तो उन्हें वापस बाड़ेबंदी में पुलिस की सुरक्षा में लेकर जाया गया. खास बात यह भी रही कि इस दौरान सचिन पायलट और उनसे जुड़े विधायक होटल फेयरमाउंट नहीं गए और ना ही उस दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनकी मुलाकात हुई.

मौजूदा परिस्थितियों को भापते हुए भाजपा ने तय कर लिया कि सरकार विश्वास मत प्रस्ताव लाए या ना लाए लेकिन हम पहले दिन ही अविश्वास प्रस्ताव सदन में रख देंगे. क्योंकि अगर कांग्रेस में बाहरी तौर पर दिख रही एकजुटता अंदर से खोखली हुई तो उसका फायदा भाजपा को मिल जाएगा.

कांग्रेस पर राजेंद्र राठौड़ ने साधा निशाना

पढ़ें- विधानसभा सत्र में भाजपा लाएगी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, विधायक दल की बैठक में निर्णय

निर्दलीयों से भाजपा को उम्मीद

भारतीय जनता पार्टी को निर्दलीय और छोटी पार्टियों के विधायकों से भी काफी उम्मीद है, जिन्हें प्रदेश सरकार ने अब तक होटलों में कैद करके रखा था. भाजपा के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि इन विधायकों पर सरकार का दबाव है जिसके चलते यह खुलकर अपने मन की बात नहीं रख पा रहे. ऐसे में जब सदन चलेगा तो छोटी पार्टी के जिस विधायकों के मन में पीड़ा होगी वह खुलकर सामने आएगी और संभवत: अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वह भाजपा का साथ दे दे.

कुल मिलाकर मौजूदा परिस्थितियां यही कह रही हैं कि प्रदेश में चल रहे सियासी ड्रामे में अभी पिक्चर बाकी है. क्योंकि ऊपरी तौर पर भले ही कांग्रेस नेता एकजुट नजर आ रहे हों, लेकिन उनके बयानों के जरिए मनभेद की स्थिति को भाजपा ने भांप लिया है और वो अविश्वास प्रस्ताव का दाव भी खेलने को तैयार है. इसमें सफलता मिलेगी या नहीं यह तो समय ही बताएगा. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में इसकी संभावना थोड़ी कम ही नजर आ रही है. लेकिन यह भी सही है कि राजनीति में ऊंट किस करवट बैठ जाए, इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता.

Last Updated : Aug 13, 2020, 10:40 PM IST
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