जयपुर. प्रदेश में नए सीएम को लेकर चल रही सियासी गहमागहमी के बीच अब ग्रेटर नगर निगम के महापौर के अगले चेहरे को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं. ग्रेटर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर को बर्खास्त कर दिया गया है. बर्खास्त होने के बाद सौम्या गुर्जर ने संघर्ष जारी रखने की बात कही है. वहीं पूर्व में बर्खास्त पार्षदों ने न्यायिक जांच रिपोर्ट को झूठा बताया.
ईटीवी भारत से बातचीत में महापौर से पूर्व महापौर बनी सौम्या गुर्जर ने संघर्ष जारी रखने की बात कही है. वहीं पूर्व में बर्खास्त हुए पार्षदों ने न्यायिक जांच को झूठा करार दिया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में बर्खास्त हो चुके पार्षद अजय चौहान ने ग्रेटर नगर निगम के पार्षदों और (Greater Nigam Mayor Soumya Gurjar sacked) महापौर पर की गई कार्रवाई को द्वेषतापूर्ण बताते हुए कहा कि कांग्रेस का अंतिम समय आ गया है. 4 जून 2021 की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब कोविड काल था और लॉक डाउन चल रहा था, उस समय हटा दिया गया. हालांकि मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका लगाई हुई है. निश्चित तौर से वहां से राहत मिलेगी. सच्चाई की जीत होगी. लेकिन आज महापौर सौम्या गुर्जर को बर्खास्त कर दिया गया. महापौर कार्यालय के बाहर से उनका नाम चाकू से कुरेद कर हटा दिया गया.
उन्होंने कहा कि सौम्या गुर्जर ऐसी महापौर हैं जो लगातार शहर के विकास और हित में (Sacked Councillors criticised congress) कार्य कर रही हैं. उनके खिलाफ द्वेषपूर्ण कार्रवाई की गई है. उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के ही मंत्री ये कह रहे हैं कि यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल दिमागी रूप से परेशान हैं. ये बात तय है कि शांति धारीवाल कांग्रेस के लिए काल साबित होंगे. गुर्जर, राजपूत और ब्राह्मण को खत्म करने का जो षड्यंत्र कांग्रेस सरकार ने रचा है, उसका परिणाम 2023 में उन्हें भुगतना पड़ेगा.
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वहीं बर्खास्त हुए पार्षदों में से एक पारस जैन ने कहा कि सफाई की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए नगर निगम गए थे. सरकार ने बीजेपी पार्षद होने के कारण उन पर ये कार्रवाई की. जबकि न्यायिक जांच में जिन धाराओं में दोषारोपण किया गया, उसमें जांच अधिकारी ने दोषमुक्त किया और जिन धाराओं में जांच होनी ही नहीं थी, उसमें दोष सिद्ध किया गया. जो सरकार की एक द्वेषतापूर्ण कार्रवाई है. इसे लेकर हाईकोर्ट में मामला चल रहा है.
उन्होंने कांग्रेस सरकार का चरित्र मंडन करते हुए कहा कि एक तरफ सीएम गहलोत पायलट को नाकारा-निकम्मा कहते हैं. उन्हीं के यूडीएच मंत्री के लिए कहते हैं कि उनकी बुद्धि सठिया गई है. उनका विवेक खत्म हो गया है. यही कांग्रेस का चरित्र है, जो जनता देख रही है. वहीं पार्षदों ने बताया कि आईएएस यज्ञ मित्र सिंह देव की ईडी में भी शिकायत की गई है.
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आरोप लगाया कि ग्रेटर नगर निगम में यज्ञ मित्र कमिश्नर थे तब एसीबी ने कार्रवाई की थी. जिसमें एक अधिकारी और (Soumya Gurjar filed Case in Highcourt) एक ठेकेदार को गिरफ्तार किया गया. उनके बयानों में भी यज्ञ मित्र सिंह को कुछ हिस्सा दिए जाने की बात थी. बावजूद इसके यज्ञ मित्र सिंह से आज तक न तो पूछताछ हुई न ही उन्हें सीट से हटाया गया. जबकि पार्षदों को ये कहकर हटाया गया था कि वो जांच को प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि यज्ञ मित्र सिंह के ऊपर बड़े ब्यूरोक्रेट्स और मंत्रियों का हाथ है. वहीं उन्होंने बताया कि पैसों का जो लेन देन है उसकी शिकायत ईडी में की गई है. इसके कई सबूत जुटाए गए हैं. यज्ञ मित्र सिंह की ऐसी संपत्तियों के दस्तावेज जुटाए हैं, जो आय से अधिक संपत्ति की पोल खोलते हैं. जिन्हें लेकर जल्द ही एक बार फिर ईडी का रुख करेंगे.
वहीं पार्षदों ने 4 जून को कमिश्नर के साथ हुई तथाकथित हाथापाई के आरोप पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यदि हाथापाई हुई थी तो फिर मेडिकल मुआयना क्यों नहीं हुआ. वहां सीसीटीवी कैमरे लगे थे, उसका डाटा गायब करवा दिया गया. न्यायिक जांच में जो बयान हुए वो उनके मातहत कर्मचारियों के हुए. इस पूरे प्रसंग में एक भी स्वतंत्र गवाह नहीं है. आज यदि उनके बयान कराए जाएं तो वो सभी मुकर जाएंगे, क्योंकि उस दौर में ये सभी उनके प्रभाव में थे.