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राजस्व कर्मचारियों की सरकार के साथ वार्ता बेनतीजा, प्रशासन गांवों और शहरों के संग अभियान का करेंगे बहिष्कार - Seven point demand of revenue employees

राजस्व कर्मचारी प्रशासन गांवों और शहरों के संग अभियान का बहिष्कार करेंगे. राजस्व कर्मचारियों की मांगों को लेकर सरकार के साथ हुई वार्ता विफल हो गई.

जयपुर न्यूज, jaipur news
सचिवालय
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Published : Sep 30, 2021, 8:18 PM IST

जयपुर. लंबे समय से अपने सात सूत्रीय मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे राजस्व कर्मचारियों की गुरुवार शाम को हुई सरकार से वार्ता विफल हो गई है. हालांकि, सरकार की ओर से सैद्धांतिक सहमति जताई गई लेकिन लिखित में आदेश जारी करने से इंकार कर दिया गया. इसके बाद राजस्थान राजस्व सेवा परिषद के बैनर तले राजस्व कर्मचारियों ने प्रशासन शहरों और प्रशासन गांव के संग अभियान के बहिष्कार का निर्णय किया है. साथ ही 2 अक्टूबर से आमरण अनशन भी करेंगे. गुरुवार शाम को सरकार की ओर से राजस्थान राजस्व सेवा परिषद के पदाधिकारियों को वार्ता के लिए बुलाया था.

राजस्व सेवा परिषद से जुड़े अलग-अलग संगठनों के पदाधिकारियों की गुरुवार शाम को राजस्व विभाग के प्रमुख शासन सचिव आनंद कुमार से वार्ता हुई. वार्ता के दौरान सरकार की ओर से मांगों को लेकर सैद्धांतिक सहमति दी गई, लेकिन कोई आदेश जारी नहीं किया गया.

पढ़ें-उपेन यादव को गिरफ्तार कर बेरोजगारों के आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही है सरकार: राजेंद्र राठौड़

राजस्थान राजस्व सेवा परिषद में पटवारी, कानूनगो गिरदावर, नायब तहसीलदार, तहसीलदार आदि राजस्व कर्मचारी शामिल है. राजस्व कर्मचारियों ने प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान के प्री कैंपों का बहिष्कार किया था साथ ही पेन डाउन हड़ताल कर 29 सितंबर को राजस्व विभाग अजमेर का घेराव भी किया था.

गहलोत सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम

राजस्थान राजस्व सेवा परिषद ने निर्णय किया है कि यदि 24 घंटे में सरकार की ओर से लिखित आदेश जारी नहीं होता है तो 2 अक्टूबर को होने वाले प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान का पूरे प्रदेश में राजस्व कर्मचारी बहिष्कार करेंगे. इसके अलावा अजमेर और सभी तहसील एवं जिला मुख्यालय पर राजस्व कर्मचारी की सत्याग्रह के रूप में आमरण अनशन करेंगे. राजस्व परिषद ने चेतावनी दी है कि यदि किसी कर्मचारी को कुछ होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार और राजस्व विभाग की होगी.

लिखित आदेश जारी करने की मांंग
राजस्थान पटवार संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र कुमार निमिवाल ने कहा कि 3 जुलाई को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में हमारी मांगों को लेकर एक समझौता हुआ था. सरकार ने कोई आदेश जारी नहीं किया गया है. निमिवाल ने कहा कि प्रदेश के तहसील व जिला मुख्यालय पर करीब 400 जगह पर राज्य कर्मचारी भूख हड़ताल पर बैठेंगे और वे खुद राजस्व विभाग अजमेर कार्यालय पर आमरण अनशन करेंगे.

पढ़ें-पीएम मोदी ने की सीएम गहलोत की प्रशंसा, कहा- वे मेरे अच्छे मित्र...उन्हें मुझपर भरोसा

राजस्थान राजस्व सेवा परिषद की प्रमुख मांंगें

राजस्थान राज्य राजस्व सेवा परिषद के साथ-साथ समय-समय पर हुए समझौते के अनुसार पटवारी भू अभिलेख निरीक्षक, नायब तहसीलदार, तहसीलदार के वेतनमान में सुधार किया जाए.3 जुलाई के समझौते के अनुसार पटवारी को 5 वर्ष की सेवा अवधि पूरा करने पर वरिष्ठ पटवारी वेतन श्रंखला एवं 9 वर्ष की सेवा अवधि पूरी करने पर भूअभिलेख निरीक्षक के पद का वेतनमान देने का आदेश जारी किया जाए.

राजस्थान सरकार के स्वायत्त शासन विभाग के पत्र के अनुसार अभियान के दौरान जारी किये जाने वाले पट्टों के पंजीयन का शक्तियां उपपंजीयक के स्थान पर नगरीय निकाय में पदस्थापित आयुक्त और अधिशाषी अधिकारियों को दिए जाने का निर्देश दिया है जो विसंगतिपूर्ण है एवं राजस्व विभाग के अधिकारों पर अतिक्रमण है.

अतः पंजीयन का अधिकार पूर्व की भांति उपपंजीयक को ही दिया जाए. नायब तहसीलदार के पद को राजपत्रित अधिसूचित करते हुए 100 प्रतिशत पदोन्नति और तहसीलदार पद को 50 प्रतिशत पदोन्नति एवं 50 प्रतिशत सीधी भर्ती से भरा जाए. वर्तमान में तहसीलदार के 68 प्रतिशत, नायब तहसीलदार के 54 प्रतिशत एवं भू अभिलेख निरीक्षक के 20 प्रतिशत पद रिक्त हैं जिनको तुरंत नियमित डीपीसी से भरा जाए.परिषद के की सभी घटकों की कैडर स्ट्रेंथ में नवीन पदों का सृजन किया जाए. कोटा संभाग एवं सवाई माधोपुर के राजस्व कर्मियों के आंदोलन के समय के असाधारण अवकाश को उपार्जित अवकाश में बदला जाए. परिषद के घटक संगठनो के सभी कार्यों के लिए स्पष्ट नीति बनाई जाए.

जयपुर. लंबे समय से अपने सात सूत्रीय मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे राजस्व कर्मचारियों की गुरुवार शाम को हुई सरकार से वार्ता विफल हो गई है. हालांकि, सरकार की ओर से सैद्धांतिक सहमति जताई गई लेकिन लिखित में आदेश जारी करने से इंकार कर दिया गया. इसके बाद राजस्थान राजस्व सेवा परिषद के बैनर तले राजस्व कर्मचारियों ने प्रशासन शहरों और प्रशासन गांव के संग अभियान के बहिष्कार का निर्णय किया है. साथ ही 2 अक्टूबर से आमरण अनशन भी करेंगे. गुरुवार शाम को सरकार की ओर से राजस्थान राजस्व सेवा परिषद के पदाधिकारियों को वार्ता के लिए बुलाया था.

राजस्व सेवा परिषद से जुड़े अलग-अलग संगठनों के पदाधिकारियों की गुरुवार शाम को राजस्व विभाग के प्रमुख शासन सचिव आनंद कुमार से वार्ता हुई. वार्ता के दौरान सरकार की ओर से मांगों को लेकर सैद्धांतिक सहमति दी गई, लेकिन कोई आदेश जारी नहीं किया गया.

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राजस्थान राजस्व सेवा परिषद में पटवारी, कानूनगो गिरदावर, नायब तहसीलदार, तहसीलदार आदि राजस्व कर्मचारी शामिल है. राजस्व कर्मचारियों ने प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान के प्री कैंपों का बहिष्कार किया था साथ ही पेन डाउन हड़ताल कर 29 सितंबर को राजस्व विभाग अजमेर का घेराव भी किया था.

गहलोत सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम

राजस्थान राजस्व सेवा परिषद ने निर्णय किया है कि यदि 24 घंटे में सरकार की ओर से लिखित आदेश जारी नहीं होता है तो 2 अक्टूबर को होने वाले प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान का पूरे प्रदेश में राजस्व कर्मचारी बहिष्कार करेंगे. इसके अलावा अजमेर और सभी तहसील एवं जिला मुख्यालय पर राजस्व कर्मचारी की सत्याग्रह के रूप में आमरण अनशन करेंगे. राजस्व परिषद ने चेतावनी दी है कि यदि किसी कर्मचारी को कुछ होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार और राजस्व विभाग की होगी.

लिखित आदेश जारी करने की मांंग
राजस्थान पटवार संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र कुमार निमिवाल ने कहा कि 3 जुलाई को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में हमारी मांगों को लेकर एक समझौता हुआ था. सरकार ने कोई आदेश जारी नहीं किया गया है. निमिवाल ने कहा कि प्रदेश के तहसील व जिला मुख्यालय पर करीब 400 जगह पर राज्य कर्मचारी भूख हड़ताल पर बैठेंगे और वे खुद राजस्व विभाग अजमेर कार्यालय पर आमरण अनशन करेंगे.

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राजस्थान राजस्व सेवा परिषद की प्रमुख मांंगें

राजस्थान राज्य राजस्व सेवा परिषद के साथ-साथ समय-समय पर हुए समझौते के अनुसार पटवारी भू अभिलेख निरीक्षक, नायब तहसीलदार, तहसीलदार के वेतनमान में सुधार किया जाए.3 जुलाई के समझौते के अनुसार पटवारी को 5 वर्ष की सेवा अवधि पूरा करने पर वरिष्ठ पटवारी वेतन श्रंखला एवं 9 वर्ष की सेवा अवधि पूरी करने पर भूअभिलेख निरीक्षक के पद का वेतनमान देने का आदेश जारी किया जाए.

राजस्थान सरकार के स्वायत्त शासन विभाग के पत्र के अनुसार अभियान के दौरान जारी किये जाने वाले पट्टों के पंजीयन का शक्तियां उपपंजीयक के स्थान पर नगरीय निकाय में पदस्थापित आयुक्त और अधिशाषी अधिकारियों को दिए जाने का निर्देश दिया है जो विसंगतिपूर्ण है एवं राजस्व विभाग के अधिकारों पर अतिक्रमण है.

अतः पंजीयन का अधिकार पूर्व की भांति उपपंजीयक को ही दिया जाए. नायब तहसीलदार के पद को राजपत्रित अधिसूचित करते हुए 100 प्रतिशत पदोन्नति और तहसीलदार पद को 50 प्रतिशत पदोन्नति एवं 50 प्रतिशत सीधी भर्ती से भरा जाए. वर्तमान में तहसीलदार के 68 प्रतिशत, नायब तहसीलदार के 54 प्रतिशत एवं भू अभिलेख निरीक्षक के 20 प्रतिशत पद रिक्त हैं जिनको तुरंत नियमित डीपीसी से भरा जाए.परिषद के की सभी घटकों की कैडर स्ट्रेंथ में नवीन पदों का सृजन किया जाए. कोटा संभाग एवं सवाई माधोपुर के राजस्व कर्मियों के आंदोलन के समय के असाधारण अवकाश को उपार्जित अवकाश में बदला जाए. परिषद के घटक संगठनो के सभी कार्यों के लिए स्पष्ट नीति बनाई जाए.

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