जयपुर. गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजधानी जयपुर का हृदय स्थल कहे जाने वाली बड़ी चौपड़ अनूठी सियासत की साक्षी बनी. यहां सत्तारूढ़ कांग्रेस की तरफ से सीएम अशोक गहलोत ने पूर्व मुखी मंच पर झंडारोहण किया. इस दौरान उन्होंने देश के स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ स्वतंत्रता के बाद इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के बलिदान को भी याद किया.
साथ ही, केंद्र सरकार पर संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए, कांग्रेस की एकता को तोड़ने में नाकाम रहने की बात कही. उन्होंने कहा कि आज लोकतंत्र खतरे में है. लोकतंत्र में असहमति का प्रावधान होता है, लेकिन इस मुल्क में जो असहमति व्यक्त करते हैं, वो देशद्रोही कहलाए जाते हैं. ये देश के लिए खतरनाक संकेत हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में प्रदेश में सबने साथ मिलकर काम किया, जिसकी वजह से पूरे देश में और विश्व स्तर पर राजस्थान का नाम हुआ. अब भले ही वैक्सीन आ गई है, लेकिन लापरवाही अभी भी नहीं बरतनी चाहिए.
सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि चुनौती अभी भी सामने हैं. किसान अभी भी ठंड में बैठे हुए हैं, लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है. आजादी के बाद से देश में ऐसा माहौल कभी नहीं देखा कि अन्नदाता को आंदोलन करना पड़ा हो. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि अविलंब उन कानूनों को रद्द करें. क्योंकि, ये कानून जिनके लिए बनाए गए हैं, उन्हीं को स्वीकार नहीं है. युवाओं के सामने बेरोजगारी की समस्या बनी हुई है. ऐसे में काम वो करना चाहिए, जिससे रोजगार बढ़ सके. जिस पर राजस्थान सरकार काम कर रही है.
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उधर, विपक्ष के दक्षिण मुखी मंच पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने ध्वजारोहण किया. इस दौरान उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया. साथ ही, राम मंदिर बनवाने, धारा 370 हटाने और कोरोना को लेकर देश में निर्मित की गई दो स्वदेशी वैक्सीन को लेकर केंद्र सरकार की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र ही देश की सबसे बड़ी उपलब्धि है, जिसको अक्षुण्ण रखा गया है. जिस भारत को तांत्रिकों का, निरक्षर, कमजोर और जातियों में बंटे हुए देश की उपमा दी जाती थी, आज वहीं भारत दुनिया के सामने स्वाभिमान से आंख से आंख मिला कर खड़ा है.
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2022 में आजादी के 75 वर्ष होंगे, इसी गणतंत्र की परंपरा से आजादी के उस पर्व पर भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के रूप में खड़ा होगा. उन्होंने सीएम पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सीएम को आज कल विस्मृति होती है. कुछ उम्र का भी तकाजा है और कुछ परिस्थितियों का भी. देश पर आजादी के बाद सबसे पहला संकट आपातकाल के रूप में आया था. इस देश में 100 से भी ज्यादा बार अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग लोकतंत्र के परंपराओं को ताक पर रखकर उन्हीं के दल ने किया था. कांग्रेस किसानों के नाम पर पाखंड और सियासत करती है. 50 सालों के शासन के बाद उनकी झोली में किसानों के नाम पर कुछ नहीं है. वाजपेयी सरकार और मोदी सरकार ने ही किसानों के उत्थान को लेकर काम किये हैं. कांग्रेस का ट्रैक्टर रैली निकालना सियासी पाखंड के अलावा कुछ नहीं.
बहरहाल, बड़ी चौपड़ पर सजे मंच से कहे गए शब्दों के सियासी महत्व बरसों से राजधानी के लोग समझ रहे हैं. बावजूद इसके छोटी काशी के दिल में बसी बड़ी चौपड़ पर लहराता तिरंगा कौमी एकता का संदेश देता है. यही आजादी की मूल भावना है. जिसे दलगत राजनीति की दीवारों को तोड़कर जयपुर की बड़ी चौपड़ बरसों से निभा रही है.