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#Jagte Raho : रैंसमवेयर वायरस का हो सकता है अटैक, घबराएं नहीं...ऐसे करें बचाव - रैंसमवेयर वायरस

कंप्यूटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को करप्ट करने वाला चर्चित रैंसमवेयर वायरस को लेकर सरकार ने अलर्ट जारी किया (Ransomware virus attack alert) है. इसके अंतर्गत कहा गया है कि सिस्टम अपग्रेड रखें और अननोन ईमेल अटैचमेंट पर क्लिक ना करें. इसके अलावा सिस्टम में अपग्रेड एंटी मॉलवेयर रखकर भी वायरस से बचा जा सकता है. सुनिए, क्या कहते हैं एक्सपर्ट...

Ransomware virus attack alert
#Jagte Raho, रैंसमवेयर वायरस का हो सकता है अटैक
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Published : May 22, 2022, 9:49 PM IST

जयपुर. राजस्थान में वर्ष 2017 में विभिन्न सरकारी विभागों के कंप्यूटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को करप्ट करने वाला रैंसमवेयर वायरस एक बार फिर से चर्चाओं में है. इस वायरस को लेकर एक बार फिर से सरकार की ओर से अलर्ट जारी किया गया है और तमाम सरकारी विभागों के सिस्टम को अपग्रेड रखने व किसी भी अननोन ईमेल अटैचमेंट पर क्लिक करने से बचने के निर्देश दिए गए (How to prevent ransomware attack) हैं.

यह वायरस एक चेन सिस्टम पर काम करता है जो वाईफाई और इंटरनेट कनेक्शन से कनेक्ट तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को करप्ट कर देता है. करप्ट फाइल या डाटा को फिर से हासिल करने के लिए वायरस सरवर पर भेजने वाले साइबर हैकर्स के जरिए डॉलर या बिटकॉइन के रूप में फिरौती मांगी जाती (Cyber crime through virus attacks) है. इसीलिए इस वायरस का नाम रैंसमवेयर वायरस पड़ा है.

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने क्या कहा...

रैंसमवेयर एक तरह का मॉलवेयर: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि रैंसमवेयर वायरस एक तरह का मॉलवेयर है जो सरवर के माध्यम से कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल व अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को प्रभावित करता है. इसके बाद यह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में मौजूद तमाम डाटा को करप्ट कर देता है और उस डाटा को रिकवर करने की एवज में बिटकॉइन के रूप में फिरौती मांगी जाती (Hackers sought ransom in Bitcoin) है. यह वायरस एजुकेशन सिस्टम, प्राइवेट कंपनी के सिस्टम और सरकारी सिस्टम को अपना निशाना बनाता है. यह तमाम डाटा को लॉक कर देता है और उसे फिर से एक्सेस करने की एवज में बिटकॉइन के रूप में 200 से 1000 डॉलर तक की फिरौती हैकर्स मांगते हैं. फिरौती लेने के बाद सिस्टम की तमाम फाइल को हैकर्स अनलॉक कर देते हैं और फिर यूजर उसका फिर से इस्तेमाल कर पाता है.

पढ़ें: 1 भारतीय फर्म ने रैंसमवेयर को सुधारने के लिए औसतन 8 करोड़ रुपये का भुगतान किया: रिपोर्ट

ईमेल स्पूफिंग के जरिए करता है वायरस अटैक: भारद्वाज ने बताया कि रैंसमवेयर वायरस को साइबर हैकर्स ईमेल स्पूफिंग के जरिए किसी बड़ी कंपनी या यूजर के सिस्टम तक पहुंचाते हैं. साइबर हैकर्स भारत सरकार, विभिन्न बैंक, क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट और गूगल नोटिफिकेशन के नाम से असली वेबसाइट से हू-ब-हू मिलती-जुलती वेबसाइट व ईमेल आईडी के माध्यम से यूजर को ईमेल भेजते हैं. उस ईमेल के साथ साइबर हैकर्स एक पीडीएफ फाइल अटैच करके भेजते हैं. इस पीडीएफ फाइल में बाइंडिंग टेक्नोलॉजी के तहत मॉलवेयर को बैंड करके भेजा जाता है. जैसे ही यूजर ईमेल में अटैच फाइल को डाउनलोड करता है वैसे ही वायरस यूजर के सिस्टम और उस सिस्टम से जुड़ी हुई तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर एक साथ अटैक करता है.

सिस्टम में अपग्रेड रखें एंटी मॉलवेयर: भारद्वाज ने बताया कि अमूमन यह देखा जाता है कि रैंसमवेयर वायरस सरकारी सिस्टम को अपना निशाना बनाते हैं. क्योंकि सरकारी सिस्टम पर आम लोगों का डाटा मौजूद रहता है जिसका उपयोग साइबर हैकर्स गलत तरीके से भी कर सकते हैं. सरकारी सिस्टम में एंटी मॉलवेयर डाउनलोड तो होता है, लेकिन उसे समय-समय पर अपडेट नहीं किया जाता, जिसके चलते यह वायरस बड़ी आसानी से सरकारी सिस्टम पर अटैक कर देता है. इस वायरस के अटैक से बचने का पहला तरीका यही है की सरवर से जुड़े हुए तमाम नेटवर्क व इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में डाउनलोड किए गए एंटी मॉलवेयर को समय-समय पर अपग्रेड किया जाए.

पढ़ें: इस साल छह महीने में हो चुके हैं 300 मिलियन रैंसमवेयर हमले : रिपोर्ट

पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट का यूज करने से बचें: भारद्वाज ने बताया कि रैंसमवेयर वायरस के अटैक से बचने का दूसरा तरीका पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट का प्रयोग करने से बचना है. क्योंकि पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट सभी लोगों के लिए ओपन रहता है. ऐसे में किसी एक भी डिवाइस में यदि रैंसमवेयर वायरस मौजूद है तो वह पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट के जरिए उन तमाम डिवाइस में फैल सकता है जो उस हॉटस्पॉट से कनेक्ट (Dangers of using public wifi hotspots) है. ऐसे में ओपन व पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट का प्रयोग करने से बचें और केवल सिक्योर व लॉक वाईफाई नेटवर्क का ही प्रयोग करें.

पायरेटेड ऑपरेटिंग सिस्टम का ना करें प्रयोग: भारद्वाज ने बताया कि रैंसमवेयर वायरस के अटैक से बचने के लिए यूजर अपने सिस्टम में जेन्युअन ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग करें ना कि पायरेटेड ऑपरेटिंग सिस्टम का. पायरेटेड ऑपरेटिंग सिस्टम इस तरह के वायरस अटैक से सबसे पहले प्रभावित होते हैं. इसलिए अपने सिस्टम में जेन्युअन ऑपरेटिंग सिस्टम का ही प्रयोग (Use genuine operating system to prevent virus attack) करें और उसे समय-समय पर अपग्रेड करते रहें. साथ ही ऐसे किसी भी ईमेल अटैचमेंट पर क्लिक ना करें जो स्पैम फोल्डर में शो हो रहा हो या फिर किसी अननोन सोर्स के जरिए भेजा गया हो. साथ ही ईमेल में आई हुई रार अटैचमेंट फाइल पर बिल्कुल भी क्लिक ना करें.

2017 में इन सरकारी विभागों के सिस्टम पर हुआ वायरस अटैक: मई 2017 में राजस्थान के कोटा में रेलवे के सरवर से जुड़े हुए दर्जनों कंप्यूटर सिस्टम पर रैंसमवेयर वायरस का एक साथ अटैक हुआ. जिसके चलते रेलवे के कई विभागों में कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया और डीआरएम ऑफिस से लेकर अकाउंट सेक्शन तक के तमाम कंप्यूटर इस वायरस की चपेट में आ गए. हालांकि, मामला रेलवे से जुड़ा हुआ था और विभाग के अलावा आम लोगों की भी तमाम जानकारियां सरवर पर मौजूद थीं, जिसे देखते हुए साइबर एक्सपर्ट की विशेष टीम ने इस वायरस से निजात दिलाने में काफी मशक्कत की.

पढ़ें: रैंसमवेयर हमलों से भी जाना गया 2020

वहीं, जून 2017 में राजस्थान के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल के सरवर पर रैंसमवेयर वायरस का अटैक हुआ और अस्पताल के तमाम विभागों के कंप्यूटर ने एक साथ काम करना बंद कर दिया. जिसके चलते मरीजों का पंजीकरण, डिस्चार्ज कार्ड, प्रवेश पत्र, डायग्नोस्टिक टेस्ट, भुगतान पर्ची व अन्य तमाम काम पूरी तरह से ठप हो गए. तमाम व्यवस्थाओं को सुचारू करने में साइबर विशेषज्ञों की टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी और अस्पताल प्रशासन ने मैनुअल रूप से इन व्यवस्थाओं का संचालन किया.

जयपुर. राजस्थान में वर्ष 2017 में विभिन्न सरकारी विभागों के कंप्यूटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को करप्ट करने वाला रैंसमवेयर वायरस एक बार फिर से चर्चाओं में है. इस वायरस को लेकर एक बार फिर से सरकार की ओर से अलर्ट जारी किया गया है और तमाम सरकारी विभागों के सिस्टम को अपग्रेड रखने व किसी भी अननोन ईमेल अटैचमेंट पर क्लिक करने से बचने के निर्देश दिए गए (How to prevent ransomware attack) हैं.

यह वायरस एक चेन सिस्टम पर काम करता है जो वाईफाई और इंटरनेट कनेक्शन से कनेक्ट तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को करप्ट कर देता है. करप्ट फाइल या डाटा को फिर से हासिल करने के लिए वायरस सरवर पर भेजने वाले साइबर हैकर्स के जरिए डॉलर या बिटकॉइन के रूप में फिरौती मांगी जाती (Cyber crime through virus attacks) है. इसीलिए इस वायरस का नाम रैंसमवेयर वायरस पड़ा है.

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने क्या कहा...

रैंसमवेयर एक तरह का मॉलवेयर: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि रैंसमवेयर वायरस एक तरह का मॉलवेयर है जो सरवर के माध्यम से कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल व अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को प्रभावित करता है. इसके बाद यह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में मौजूद तमाम डाटा को करप्ट कर देता है और उस डाटा को रिकवर करने की एवज में बिटकॉइन के रूप में फिरौती मांगी जाती (Hackers sought ransom in Bitcoin) है. यह वायरस एजुकेशन सिस्टम, प्राइवेट कंपनी के सिस्टम और सरकारी सिस्टम को अपना निशाना बनाता है. यह तमाम डाटा को लॉक कर देता है और उसे फिर से एक्सेस करने की एवज में बिटकॉइन के रूप में 200 से 1000 डॉलर तक की फिरौती हैकर्स मांगते हैं. फिरौती लेने के बाद सिस्टम की तमाम फाइल को हैकर्स अनलॉक कर देते हैं और फिर यूजर उसका फिर से इस्तेमाल कर पाता है.

पढ़ें: 1 भारतीय फर्म ने रैंसमवेयर को सुधारने के लिए औसतन 8 करोड़ रुपये का भुगतान किया: रिपोर्ट

ईमेल स्पूफिंग के जरिए करता है वायरस अटैक: भारद्वाज ने बताया कि रैंसमवेयर वायरस को साइबर हैकर्स ईमेल स्पूफिंग के जरिए किसी बड़ी कंपनी या यूजर के सिस्टम तक पहुंचाते हैं. साइबर हैकर्स भारत सरकार, विभिन्न बैंक, क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट और गूगल नोटिफिकेशन के नाम से असली वेबसाइट से हू-ब-हू मिलती-जुलती वेबसाइट व ईमेल आईडी के माध्यम से यूजर को ईमेल भेजते हैं. उस ईमेल के साथ साइबर हैकर्स एक पीडीएफ फाइल अटैच करके भेजते हैं. इस पीडीएफ फाइल में बाइंडिंग टेक्नोलॉजी के तहत मॉलवेयर को बैंड करके भेजा जाता है. जैसे ही यूजर ईमेल में अटैच फाइल को डाउनलोड करता है वैसे ही वायरस यूजर के सिस्टम और उस सिस्टम से जुड़ी हुई तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर एक साथ अटैक करता है.

सिस्टम में अपग्रेड रखें एंटी मॉलवेयर: भारद्वाज ने बताया कि अमूमन यह देखा जाता है कि रैंसमवेयर वायरस सरकारी सिस्टम को अपना निशाना बनाते हैं. क्योंकि सरकारी सिस्टम पर आम लोगों का डाटा मौजूद रहता है जिसका उपयोग साइबर हैकर्स गलत तरीके से भी कर सकते हैं. सरकारी सिस्टम में एंटी मॉलवेयर डाउनलोड तो होता है, लेकिन उसे समय-समय पर अपडेट नहीं किया जाता, जिसके चलते यह वायरस बड़ी आसानी से सरकारी सिस्टम पर अटैक कर देता है. इस वायरस के अटैक से बचने का पहला तरीका यही है की सरवर से जुड़े हुए तमाम नेटवर्क व इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में डाउनलोड किए गए एंटी मॉलवेयर को समय-समय पर अपग्रेड किया जाए.

पढ़ें: इस साल छह महीने में हो चुके हैं 300 मिलियन रैंसमवेयर हमले : रिपोर्ट

पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट का यूज करने से बचें: भारद्वाज ने बताया कि रैंसमवेयर वायरस के अटैक से बचने का दूसरा तरीका पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट का प्रयोग करने से बचना है. क्योंकि पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट सभी लोगों के लिए ओपन रहता है. ऐसे में किसी एक भी डिवाइस में यदि रैंसमवेयर वायरस मौजूद है तो वह पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट के जरिए उन तमाम डिवाइस में फैल सकता है जो उस हॉटस्पॉट से कनेक्ट (Dangers of using public wifi hotspots) है. ऐसे में ओपन व पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट का प्रयोग करने से बचें और केवल सिक्योर व लॉक वाईफाई नेटवर्क का ही प्रयोग करें.

पायरेटेड ऑपरेटिंग सिस्टम का ना करें प्रयोग: भारद्वाज ने बताया कि रैंसमवेयर वायरस के अटैक से बचने के लिए यूजर अपने सिस्टम में जेन्युअन ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग करें ना कि पायरेटेड ऑपरेटिंग सिस्टम का. पायरेटेड ऑपरेटिंग सिस्टम इस तरह के वायरस अटैक से सबसे पहले प्रभावित होते हैं. इसलिए अपने सिस्टम में जेन्युअन ऑपरेटिंग सिस्टम का ही प्रयोग (Use genuine operating system to prevent virus attack) करें और उसे समय-समय पर अपग्रेड करते रहें. साथ ही ऐसे किसी भी ईमेल अटैचमेंट पर क्लिक ना करें जो स्पैम फोल्डर में शो हो रहा हो या फिर किसी अननोन सोर्स के जरिए भेजा गया हो. साथ ही ईमेल में आई हुई रार अटैचमेंट फाइल पर बिल्कुल भी क्लिक ना करें.

2017 में इन सरकारी विभागों के सिस्टम पर हुआ वायरस अटैक: मई 2017 में राजस्थान के कोटा में रेलवे के सरवर से जुड़े हुए दर्जनों कंप्यूटर सिस्टम पर रैंसमवेयर वायरस का एक साथ अटैक हुआ. जिसके चलते रेलवे के कई विभागों में कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया और डीआरएम ऑफिस से लेकर अकाउंट सेक्शन तक के तमाम कंप्यूटर इस वायरस की चपेट में आ गए. हालांकि, मामला रेलवे से जुड़ा हुआ था और विभाग के अलावा आम लोगों की भी तमाम जानकारियां सरवर पर मौजूद थीं, जिसे देखते हुए साइबर एक्सपर्ट की विशेष टीम ने इस वायरस से निजात दिलाने में काफी मशक्कत की.

पढ़ें: रैंसमवेयर हमलों से भी जाना गया 2020

वहीं, जून 2017 में राजस्थान के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल के सरवर पर रैंसमवेयर वायरस का अटैक हुआ और अस्पताल के तमाम विभागों के कंप्यूटर ने एक साथ काम करना बंद कर दिया. जिसके चलते मरीजों का पंजीकरण, डिस्चार्ज कार्ड, प्रवेश पत्र, डायग्नोस्टिक टेस्ट, भुगतान पर्ची व अन्य तमाम काम पूरी तरह से ठप हो गए. तमाम व्यवस्थाओं को सुचारू करने में साइबर विशेषज्ञों की टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी और अस्पताल प्रशासन ने मैनुअल रूप से इन व्यवस्थाओं का संचालन किया.

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