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असामाजिक तत्वों का अड्डा बने अधूरे पड़े राजीव आवास - Rajasthan

राजधानी जयपुर के भट्टा बस्ती में 96 करोड़ की लागत से बनने वाले राजीव आवास असामाजिक गतिविधियों का अड्डा बनते जा रहे हैं. वहीं प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में होने के चलते पक्के मकानों से महरूम जिस जनता को ये मकान आवंटित किए जाने थे उनकी आस तो अधूरी ही पड़ी है.

खंडहरों में तब्दील हुए राजीव आवासो
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Published : May 26, 2019, 7:48 PM IST

जयपुर. शास्त्री नगर भट्टा बस्ती पर राजीव आवास योजना के तहत बनाए गए आवास खंडहर में तब्दील होने लगे हैं. सालों से यहां न तो कोई ठेकेदार पहुंचा. और ना ही कोई कंसलटेंट. योजना के तहत 2212 डुप्लेक्स आवास बनने हैं. लेकिन इन का महज ढांचा ही खड़ा हो सका है. जो फिलहाल गरीबों का नहीं बल्कि असामाजिक तत्वों का घर बना हुआ है.

राजधानी में 96 करोड़ रुपए खर्च कर राजीव आवास योजना के तहत गरीब परिवारों के लिए फ्लैट बनने थे. 2013 में शुरू हुई इस योजना का काम 2017 तक पूरा होना था. लेकिन 2015 से इस योजना के तहत बनने वाले आवासों का काम ठप पड़ा हुआ है. यहां सीमेंट और ईंट से बना ढांचा तो यहां तैयार हो गया, लेकिन यहां पहुंचने के लिए ना तो कोई पक्का रास्ता बनाया गया है. और ना ही इन आवासों को कोई अंतिम स्वरूप दिया गया है. यही वजह है कि इन अधूरे पड़े आवासों में कोई रह नहीं रहा.

वीडियोः जयपुर के भट्टा बस्ती में बने राजीव आवास बने असामजिक तत्वों का अड्डा

स्थानीय लोगों की मानें तो आवास अब असामाजिक तत्वों का ठिकाना बनते जा रहे हैं. क्षेत्रीय लोगों की माने तो प्रशासनिक स्तर का कोई अधिकारी इन आवासों की सुध लेने नहीं आता. और देर रात यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगता है. जो नशे का कारोबार करते हैं. इस संबंध में पुलिस प्रशासन को शिकायत करने के बावजूद भी कार्रवाई नहीं होती. और जब उन्हें रोकने जाते हैं तो कोई अप्रिय घटना होने का अंदेशा बना रहता है.

करोड़ों की लागत से बने इस प्रोजेक्ट की दुर्गति के लिए जिम्मेदार ठेकेदार को निगम ने अब तक कोई नोटिस नहीं दिया. बल्कि करोड़ों रुपए के भुगतान की उसकी फाइल को भी आगे बढ़ा दिया है. ऐसे में फिलहाल ये राजीव आवास गरीबों के लिए एक अधूरा ख्वाब सा बनते जा रहा है.

जयपुर. शास्त्री नगर भट्टा बस्ती पर राजीव आवास योजना के तहत बनाए गए आवास खंडहर में तब्दील होने लगे हैं. सालों से यहां न तो कोई ठेकेदार पहुंचा. और ना ही कोई कंसलटेंट. योजना के तहत 2212 डुप्लेक्स आवास बनने हैं. लेकिन इन का महज ढांचा ही खड़ा हो सका है. जो फिलहाल गरीबों का नहीं बल्कि असामाजिक तत्वों का घर बना हुआ है.

राजधानी में 96 करोड़ रुपए खर्च कर राजीव आवास योजना के तहत गरीब परिवारों के लिए फ्लैट बनने थे. 2013 में शुरू हुई इस योजना का काम 2017 तक पूरा होना था. लेकिन 2015 से इस योजना के तहत बनने वाले आवासों का काम ठप पड़ा हुआ है. यहां सीमेंट और ईंट से बना ढांचा तो यहां तैयार हो गया, लेकिन यहां पहुंचने के लिए ना तो कोई पक्का रास्ता बनाया गया है. और ना ही इन आवासों को कोई अंतिम स्वरूप दिया गया है. यही वजह है कि इन अधूरे पड़े आवासों में कोई रह नहीं रहा.

वीडियोः जयपुर के भट्टा बस्ती में बने राजीव आवास बने असामजिक तत्वों का अड्डा

स्थानीय लोगों की मानें तो आवास अब असामाजिक तत्वों का ठिकाना बनते जा रहे हैं. क्षेत्रीय लोगों की माने तो प्रशासनिक स्तर का कोई अधिकारी इन आवासों की सुध लेने नहीं आता. और देर रात यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगता है. जो नशे का कारोबार करते हैं. इस संबंध में पुलिस प्रशासन को शिकायत करने के बावजूद भी कार्रवाई नहीं होती. और जब उन्हें रोकने जाते हैं तो कोई अप्रिय घटना होने का अंदेशा बना रहता है.

करोड़ों की लागत से बने इस प्रोजेक्ट की दुर्गति के लिए जिम्मेदार ठेकेदार को निगम ने अब तक कोई नोटिस नहीं दिया. बल्कि करोड़ों रुपए के भुगतान की उसकी फाइल को भी आगे बढ़ा दिया है. ऐसे में फिलहाल ये राजीव आवास गरीबों के लिए एक अधूरा ख्वाब सा बनते जा रहा है.

Intro:शास्त्री नगर भट्टा बस्ती पर राजीव आवास योजना के तहत बनाए गए आवास खंडहर में तब्दील होने लगे हैं। सालों से यहां न तो कोई ठेकेदार पहुंचा। और ना ही कोई कंसलटेंट। योजना के तहत 2212 डुप्लेक्स आवास बनने है। लेकिन इन का महज ढांचा ही खड़ा हो सका है। जो फिलहाल गरीबों का नहीं बल्कि असामाजिक तत्वों का घर बना हुआ है।


Body:राजधानी में 96 करोड़ रुपए खर्च कर राजीव आवास योजना के तहत गरीब परिवारों के लिए फ्लैट बनने थे। 2013 में शुरू हुई इस योजना का काम 2017 तक पूरा होना था। लेकिन 2015 से इस योजना के तहत बनने वाले आवासों का काम ठप पड़ा हुआ है। यहाँ सीमेंट और ईंट से बना ढांचा तो यहां तैयार हो गया, लेकिन यहां पहुंचने के लिए ना तो कोई पक्का रास्ता बनाया गया है। और ना ही इन आवासों को कोई अंतिम स्वरूप दिया गया है। यही वजह है कि इन अधूरे पड़े आवासों में कोई रह नहीं रहा। आलम ये है कि ये आवास अब असामाजिक तत्वों का ठिकाना बनते जा रहे हैं। क्षेत्रीय लोगों की माने तो प्रशासनिक स्तर का कोई अधिकारी इन आवासों की सुध लेने नहीं आता। और देर रात यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगता है। जो नशे का कारोबार करते हैं। इस संबंध में पुलिस प्रशासन को शिकायत करने के बावजूद भी कार्रवाई नहीं होती। और जब उन्हें रोकने जाते हैं तो कोई अप्रिय घटना होने का अंदेशा बना रहता है।


Conclusion:करोड़ों की लागत से बने इस प्रोजेक्ट की दुर्गति के लिए जिम्मेदार ठेकेदार को निगम ने अब तक कोई नोटिस नहीं दिया। बल्कि करोड़ों रुपए के भुगतान की उसकी फाइल को भी आगे बढ़ा दिया है। ऐसे में फिलहाल ये राजीव आवास गरीबों के लिए एक अधूरा ख्वाब सा बनते जा रहा है।
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