जालोर. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने जालोर बस दुखांतिका मामले में बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. राठौड़ ने पत्र के माध्यम से कहा कि हाल ही में 16 जनवरी की रात को जालोर जिले के महेशपुरा गांव में श्रद्धालुओं की बस के कम ऊंचाई के हाईटेंशन तार की चपेट में आने से 6 लोग जिंदा जल गए और तीन दर्जन से ज्यादा यात्री गंभीर रूप से झुलस गए थे. इस दर्दनाक हादसे का मुख्य कारण कम ऊंचाई के हाईटेंशन लाइनों की चपेट में आने से बस में करंट का दौड़ना माना जा रहा है.
राठौड़ ने कहा कि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण विनियम 2010 के अनुसार रोड क्रॉसिंग पर 11 केवी लाइनों के नीचे गार्डिंग होना जरूरी होता है, जबकि इस हादसे के समय लाइन के नीचे कोई गार्डिंग नहीं लगी थी. गार्डिंग लगी होती तो कंडक्टर एक बार उसके टच में होता एवं लाइन उससे 1 से 2 फीट ऊपर रहती. ऐसे में बड़ा हादसा होने से बचा जा सकता था, साथ ही 11 केवी हाईटेंशन लाइनों की ऊंचाई कम से कम 20 फीट होना जरूरी होता है, लेकिन हादसे के समय हाईटेंशन लाइन कम ऊंचाई पर थे, जिससे यह बड़ा हादसा घटित हो गया. बिजली विभाग की मनमानी का अंजाम यह है कि इस हृदयविदारक हादसे के बाद भी डिस्कॉम अधिकारी ने सारी गलती चालक की बताते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ दिया और स्वयंभू बनकर खुद को इस हादसे में क्लीनचिट दे दी.
राठौड़ ने कहा कि राज्य में लगातार हो रहे ऐसे हादसों के बावजूद बिजली सिस्टम की बदहाली जारी है. लापरवाह बिजली विभाग ऐसे हादसों से सबक लेने की जगह लगातार इनकी अनदेखी करने में लगा हुआ है. इससे पूर्व भी 27 नवंबर 2020 को दिल्ली-जयपुर हाईवे पर अचरोल के पास वीडियो कोच स्लीपर बस के बिजली की 11 केवी हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से 3 लोग जिंदा जल गए थे और 16 लोग गंभीर रूप से झुलस गए थे.
राठौड़ ने कहा कि प्रदेश में जगह-जगह बिजली के क्षतिग्रस्त खंभे व झूलते हुए हाईटेंशन विद्युत तार बिजली विभाग की कारगुजारी को बयां करते हैं, जो आने वाले समय में बड़ी दुर्घटना को खुलेआम निमंत्रण भी दे रहे हैं. बिजली विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से आमजन में किसी बड़े हादसे के घटित होने का डर हमेशा बना रहता है. जगह-जगह बिजली खंभों के नीचे खुले तारों का जाल बिछा हुआ है, जिसके कारण कभी भी लोग काल के गाल में समा सकते हैं. विद्युत विभाग से शिकायत करने के बाद भी आमजन को इस समस्या से निजात नहीं मिल रही है.
राठौड़ ने कहा कि जालोर में हुए हादसे के बाद पुनः जांच कमेटी गठित की जा रही है, जबकि पूर्व में अचरोल हादसे में भी जांच कमेटी बनाई गई थी, उसकी रिपोर्ट भी आई लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा. प्रदेश में बिजली सिस्टम के मेंटेनेंस व हाईटेंशन लाइन के तारों को ऊंचा करने के नाम पर विभाग द्वारा करोड़ों रुपये खर्च करने के दावे किये जाते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि बिजली सिस्टम में सुधार कार्य केवल कागजों तक ही सीमित है और धरातल पर कुछ नहीं किया जा रहा है. प्रदेश में लगातार हो रहे इन हादसों से न तो सबक लिये जा रहे हैं और न ही सुधार की दिशा में कोई ठोस कदम उठाये जा रहे हैं. जांच कमेटी गठित होने के बावजूद भी इन हादसों की पुनरावृत्ति नहीं रुक पाना डिस्कॉम प्रबंधन की घोर लापरवाही को दर्शाता है. इसी कारण बदहाल बिजली सिस्टम लोगों के लिए जानलेवा बना हुआ है