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राजेंद्र राठौड़ ने CM गहलोत को लिखा पत्र, आयुर्वेद अस्पतालों को कोविड अस्पताल बनाने की मांग - Jaipur News

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कोरोना महामारी को लेकर सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. उन्होंने सीएम गहलोत से आयुर्वेद अस्पतालों में कोविड अस्पताल बनाने की मांग की है.

Corona epidemic, Rajendra Rathore wrote a letter to CM Gehlot
राजेंद्र राठौड़ ने सीएम गहलोत को लिखा पत्र
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Published : May 8, 2021, 3:32 PM IST

जयपुर. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. उन्होंने सीएम गहलोत को पत्र लिखकर आयुर्वेद अस्पतालों को कोविड अस्पताल बनाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड्स और ऑक्सीजन सहित आवश्यक संसाधनों की कमी है, तो वहीं दूसरी ओर कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

राजेंद्र राठौड़ ने सीएम गहलोत से की मांग

पढ़ें- दो राहत भरी खबरें : राजस्थान को अब हर महीने मिलेंगे 8 लाख 40 हजार रेमडेसिविर, रूस से आए 100 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर

राठौड़ ने कहा कि कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी के बाद भी सरकार आयुर्वेद अस्पतालों को कोरोना मरीजों के लिए उपयोग नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार आयुर्वेद अस्पताल का उपयोग करें तो बेड्स की मारामारी में कमी आ सकती है.

कोरोना से पूरा देश बुरे दौर से गुजर रहा है

राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी कोविड-19 से पूरा देश बुरे दौर से गुजर रहा है. राजस्थान में भी कोरोना संक्रमित केसों की संख्या 7 लाख से अधिक हो गई है और प्रदेश में एक्टिव केस की संख्या भी करीब 2 लाख है. राज्य के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड्स, ऑक्सीजन और अन्य आवश्यक संसाधनों में निरंतर कमी बनी हुई है. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में अस्पतालों में निरंतर बढ़ते बोझ के उपरांत भी राज्य सरकार राज्य के आयुर्वेद अस्पतालों का उपयोग कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए नहीं कर रही है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में इन अस्पतालों में बेड्स, चिकित्साधिकारी और नर्सिंगकर्मी सहित अन्य संसाधन पहले से मौजूद है. अस्पतालों में भर्ती होने के लिए बेड्स के लिए जो मारामारी मची हुई है, उसका कुछ संकट आयुर्वेद अस्पतालों के उपयोग से खत्म हो सकता है.

राजस्थान में आयुर्वेद विभाग का देश का सबसे बड़ा ढांचा है

राज्य में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से जनता की उपलब्धता के अनुसार चिकित्सा सेवा की जा रही है, जिसमें आयुर्वेद विभाग का योगदान रेखांकित नहीं हो पा रहा है. जबकि राज्य में आयुर्वेद विभाग का देश का सबसे बड़ा आधारभूत ढांचा वर्तमान में विद्यमान है. आयुर्वेद विभाग में वर्तमान में लगभग 4 हजार चिकित्सालय व औषधालय संचालित है. इनमें से 125 चिकित्सालय जिला ब्लॉक मुख्यालयों पर संचालित है. इनमें करीब 1 हजार शैय्याएं स्वीकृत है.

राठौड़ ने पत्र में लिखा कि आयुर्वेद के 10, यूनानी के 3 और होम्योपैथी के 5 महाविद्यालय भी संचालित है, जिसमें प्रत्येक में 60 शैय्याएं अर्थात 1080 शैय्याएं स्वीकृत व संचालित हो रही है. साथ ही राज्य में आयुर्वेद के 200 से अधिक हाइटेक अस्पताल भी है. आयुर्वेद विभाग में चिकित्साकर्मियों और अन्य स्टाफ भी पर्याप्त संख्या में है, जिनमें सरकार वर्तमान आवश्यकता को देखते हुए बढ़ोतरी भी कर सकती है.

पढ़ें- COVID-19 : बढ़ते मरीज और कम पड़ते इंतजाम, जानें कहां कितने खाली बचे हैं ऑक्सीजन बेड, ICU और वेंटिलेटर्स

वर्तमान में आयुर्वेद विभाग में करीब 6200 से ज्यादा पदों पर प्रधान आयुर्वेद चिकित्साधिकारी, वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी ग्रेड-1 व 2, योग एवं प्राकृतिक चिकित्साधिकारी/आयुर्वेद चिकित्साधिकारी/वरिष्ठ प्रदर्शक, होम्योपैथिक नर्सिंग अधीक्षक और II/पेंशनर्स कंपाउंडर वरिष्ठ एवं कनिष्ठ रोड और वरिष्ठ सहायक कार्यरत हैं.

आयुष मंत्रालय भारत सरकार की ओर से भी आयुर्वेद चिकित्सकों/कार्मिकों को कोविड प्रबंधन में चिकित्सा कार्य करने हेतु निर्देशित किया गया है और विभिन्न अनुसंधानों से यह स्पष्ट भी हुआ है कि गिलोय, अश्वगंधा, मुलेठी, आयुष 64 आदि औषधियां लघु एवं अलाक्षणिक कोविड मरीजों क्वॉरेंटाइन व्यक्तियों में अत्यंत कारगर साबित हुई है.

आयुर्वेदिक औषधि भी है कारगर

आयुर्वेदिक औषधियां व्यक्ति की इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करती है, जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा कम हो जाता है. कोराना काल में पूरी दुनिया ने भी आयुर्वेदिक इलाज का लोहा माना है. जब कोरोना के प्रारंभिक दौर में किसी भी चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज नहीं मिला था तब कोरोना संक्रमित मरीजों को आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से सकारात्मक परिणाम आने लगे थे.

उन्होंने सीएम अशोक गहलोत से अपील की है कि वैश्विक महामारी कोरोना से प्रदेश के अस्पतालों में अत्यधिक मरीजों के भार को कम करने के लिए राज्य सरकार तत्काल रूप से आयुर्वेद एवं आयुष महाविद्यालयों के चिकित्सालयों को कोविड अस्पतालों में तब्दील करें. साथ ही समस्त जिला आयुर्वेद चिकित्सालयों में कोविड प्रतिरक्षण के लिए हेल्प लाइन शुरू करने और आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों की ओर से दृश्य श्रव्य माध्यमों से कोविड बचाव हेतु व्यापक तौर पर प्रचार-प्रसार कर लोगों को जागरूक करने के लिए निर्देशित करें.

जयपुर. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. उन्होंने सीएम गहलोत को पत्र लिखकर आयुर्वेद अस्पतालों को कोविड अस्पताल बनाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड्स और ऑक्सीजन सहित आवश्यक संसाधनों की कमी है, तो वहीं दूसरी ओर कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

राजेंद्र राठौड़ ने सीएम गहलोत से की मांग

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राठौड़ ने कहा कि कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी के बाद भी सरकार आयुर्वेद अस्पतालों को कोरोना मरीजों के लिए उपयोग नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार आयुर्वेद अस्पताल का उपयोग करें तो बेड्स की मारामारी में कमी आ सकती है.

कोरोना से पूरा देश बुरे दौर से गुजर रहा है

राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी कोविड-19 से पूरा देश बुरे दौर से गुजर रहा है. राजस्थान में भी कोरोना संक्रमित केसों की संख्या 7 लाख से अधिक हो गई है और प्रदेश में एक्टिव केस की संख्या भी करीब 2 लाख है. राज्य के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड्स, ऑक्सीजन और अन्य आवश्यक संसाधनों में निरंतर कमी बनी हुई है. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में अस्पतालों में निरंतर बढ़ते बोझ के उपरांत भी राज्य सरकार राज्य के आयुर्वेद अस्पतालों का उपयोग कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए नहीं कर रही है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में इन अस्पतालों में बेड्स, चिकित्साधिकारी और नर्सिंगकर्मी सहित अन्य संसाधन पहले से मौजूद है. अस्पतालों में भर्ती होने के लिए बेड्स के लिए जो मारामारी मची हुई है, उसका कुछ संकट आयुर्वेद अस्पतालों के उपयोग से खत्म हो सकता है.

राजस्थान में आयुर्वेद विभाग का देश का सबसे बड़ा ढांचा है

राज्य में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से जनता की उपलब्धता के अनुसार चिकित्सा सेवा की जा रही है, जिसमें आयुर्वेद विभाग का योगदान रेखांकित नहीं हो पा रहा है. जबकि राज्य में आयुर्वेद विभाग का देश का सबसे बड़ा आधारभूत ढांचा वर्तमान में विद्यमान है. आयुर्वेद विभाग में वर्तमान में लगभग 4 हजार चिकित्सालय व औषधालय संचालित है. इनमें से 125 चिकित्सालय जिला ब्लॉक मुख्यालयों पर संचालित है. इनमें करीब 1 हजार शैय्याएं स्वीकृत है.

राठौड़ ने पत्र में लिखा कि आयुर्वेद के 10, यूनानी के 3 और होम्योपैथी के 5 महाविद्यालय भी संचालित है, जिसमें प्रत्येक में 60 शैय्याएं अर्थात 1080 शैय्याएं स्वीकृत व संचालित हो रही है. साथ ही राज्य में आयुर्वेद के 200 से अधिक हाइटेक अस्पताल भी है. आयुर्वेद विभाग में चिकित्साकर्मियों और अन्य स्टाफ भी पर्याप्त संख्या में है, जिनमें सरकार वर्तमान आवश्यकता को देखते हुए बढ़ोतरी भी कर सकती है.

पढ़ें- COVID-19 : बढ़ते मरीज और कम पड़ते इंतजाम, जानें कहां कितने खाली बचे हैं ऑक्सीजन बेड, ICU और वेंटिलेटर्स

वर्तमान में आयुर्वेद विभाग में करीब 6200 से ज्यादा पदों पर प्रधान आयुर्वेद चिकित्साधिकारी, वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी ग्रेड-1 व 2, योग एवं प्राकृतिक चिकित्साधिकारी/आयुर्वेद चिकित्साधिकारी/वरिष्ठ प्रदर्शक, होम्योपैथिक नर्सिंग अधीक्षक और II/पेंशनर्स कंपाउंडर वरिष्ठ एवं कनिष्ठ रोड और वरिष्ठ सहायक कार्यरत हैं.

आयुष मंत्रालय भारत सरकार की ओर से भी आयुर्वेद चिकित्सकों/कार्मिकों को कोविड प्रबंधन में चिकित्सा कार्य करने हेतु निर्देशित किया गया है और विभिन्न अनुसंधानों से यह स्पष्ट भी हुआ है कि गिलोय, अश्वगंधा, मुलेठी, आयुष 64 आदि औषधियां लघु एवं अलाक्षणिक कोविड मरीजों क्वॉरेंटाइन व्यक्तियों में अत्यंत कारगर साबित हुई है.

आयुर्वेदिक औषधि भी है कारगर

आयुर्वेदिक औषधियां व्यक्ति की इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करती है, जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा कम हो जाता है. कोराना काल में पूरी दुनिया ने भी आयुर्वेदिक इलाज का लोहा माना है. जब कोरोना के प्रारंभिक दौर में किसी भी चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज नहीं मिला था तब कोरोना संक्रमित मरीजों को आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से सकारात्मक परिणाम आने लगे थे.

उन्होंने सीएम अशोक गहलोत से अपील की है कि वैश्विक महामारी कोरोना से प्रदेश के अस्पतालों में अत्यधिक मरीजों के भार को कम करने के लिए राज्य सरकार तत्काल रूप से आयुर्वेद एवं आयुष महाविद्यालयों के चिकित्सालयों को कोविड अस्पतालों में तब्दील करें. साथ ही समस्त जिला आयुर्वेद चिकित्सालयों में कोविड प्रतिरक्षण के लिए हेल्प लाइन शुरू करने और आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों की ओर से दृश्य श्रव्य माध्यमों से कोविड बचाव हेतु व्यापक तौर पर प्रचार-प्रसार कर लोगों को जागरूक करने के लिए निर्देशित करें.

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