जयपुर. राजेन्द्र राठौड़ ने आज रीट परीक्षा को लेकर हुई चर्चा में राजीव गांधी स्टडी सर्किल की भूमिका पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि रीट परीक्षा के लिए सीसीटीवी लगाने, सुबह 6 से शाम 6 बजे तक नेटबंदी करने और इस परीक्षा को आवश्यक परीक्षा घोषित करवाई, लेकिन इसके बाद भी रीट की परीक्षा (REET Paper Leak Case) आरोपों में है. उन्होंने कहा कि राजीव गांधी स्टडी सर्किल जो खुद मुख्यमंत्री की सरपरस्ती में चलता है, जिसके नेशनल कन्वीनर राज्य के तकनीकी शिक्षा मंत्री हैं. उन्होंने इस संस्था पर परीक्षा आयोजन की जिम्मेदारी डाली.
उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 2020 और 2021 में 81 करोड़ राजीव गांधी स्टडी सर्किल को गांधियन स्टडीज के माध्यम से दिया गया और इसी संस्थान के पांच रीजनल को-ऑर्डिनेटर को रीट की परीक्षा की जिम्मेदारी थी. राठौड़ ने कहा कि शिक्षा संकुल में सीसीटीवी कैमरे क्यों बंद हुए, क्यों पुलिस वहां से उठी, एक जिला शिक्षा अधिकारी और को-ऑर्डिनेटर प्रदीप पाराशर की दोनों चाबियां एक साथ कैसे मिली ? राठौड़ ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था दुनिया की सबसे बड़ी सफल परीक्षा रीट की परीक्षा हुई है, जिसका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज होना चाहिए.
यह बात सही है. इस परीक्षा में जितनी बड़ी चांदी कुटी गई है, उसका नाम गिनीज बुक में सारी परतें खुलने के बाद जरूर दर्ज होगा. उन्होंने सीकर के कलाम कोचिंग सेंटर और प्रिंस कोचिंग सेंटर का नाम लेते हुए कहा कि ये कोचिंग चलाते हैं. अखबारों में विज्ञापन देते हैं, नौकरी की गारंटी है और फीस 3 महीने के लिए 4 से 5 लाख लेते हैं. खास बात तो ये है कि कलाम कोचिंग की पूरी फैकल्टी में सरकारी नुमाइंदे (BJP Targets Gehlot Government) जो सरकारी नौकर हैं, वही फैकल्टी हैं.
मुख्यमंत्री बताएं ये नॉन इश्यू कैसे ?
रीट पेपर लीक के मानले में सीबीआई की जांच को लेकर सतीश पूनिया ने कहा कि इस सारे घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री जी का स्टेटमेंट आया कि विपक्ष नॉन इश्यू को इशू बना रहा है. मेरा सवाल मुख्यमंत्री से ही है कि (Satish Poonia on CM Gehlot) जब परीक्षा रद्द हुई, एसओजी की जांच में गिरफ्तारियां हुईं तो फिर यह नॉन इश्यू कैसे हुआ. पूनिया ने कहा कि 3 साल में कांस्टेबल, लाइब्रेरियन, रीट, पटवारी, एसआई भर्तियां पेपर आउट होने से रद्द हो गईं और 15 से अधिक भर्तियां अन्य प्रशासनिक कारणों से रद्द हो गईं. यह सरकार के कामकाज की देन है.
उन्होंने कहा कि मुझे अफसोस है कि राजस्थान इस पूरे प्रकरण से शर्मसार और कलंकित हुआ है, क्योंकि कभी इस तरीके से संगठित नकल राजस्थान में नहीं हुई. उन्होंने कहा कि तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोई पेपर लीक नहीं हुआ और कोई, किसी ने पेपर लीक किया है तो विपक्ष साक्ष्य दे. बात सही हुई तो किसी भी एजेंसी से जांच करवा देंगे और पेपर लीक करने वालों को जेल में डालेंगे. पूनिया ने कहा कि वह चाहते हैं कि राजस्थान का नाम पेपर लीक के लिए गिनीज बुक में नहीं आए, बल्कि पेपर लीक करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जाना जाए.
रीट में चीट : अयोग्य लोगों को संवैधानिक पदों पर राजनीतिक नियुक्तियां क्यों ?
आज भी चर्चा में आरएलपी के नारायण बेनीवाल ने भी हिस्सा लेते हुए कहा कि रीट की चीट में राजीव गांधी स्टडी सर्किल के 40 में से 38 लोगों को कन्वीनर क्यों बनाया गया और क्या कारण था कि ब्लैक लिस्टेड सेंटरों को परीक्षा सेंटर बनाया गया. उन्होंने कहा कि बजट का महत्वपूर्ण सेशन चल रहा है और युवा बाहर पूरे प्रदेश के अंदर आंदोलित है. उन्होंने संवैधानिक पदों पर अयोग्य लोगों को राजनीतिक नियुक्ति दिए जाने पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली को चेयरमैन बनाने से पहले क्या उन्हें परीक्षा आयोजन का अनुभव था ? क्या वह परीक्षा नियंत्रक थे ?
अगर नहीं थे तो क्यों चेयरमैन बनाया गया और अब जारोली बड़े मंत्रियों और आईएएस का नाम ले सकते हैं. इसी के चलते उन्हें गायब कर रखा गया है. उन्होंने कहा कि सभी भर्ती परीक्षाओं में राजनीतिक आधार पर नियुक्तियां नहीं होनी चाहिए, अयोग्य व्यक्तियों को योग्य पदों पर बैठाने से युवा कुंठित होता है. उन्होंने कहा कि बड़ी हंसी की बात है कि जिसने कभी किसी की परीक्षा नहीं ली, वह आरपीएससी का चेयरमैन बन जाता है. अधीनस्थ बोर्ड का चेयरमैन बन जाता है.
जब उसकी संस्थान का मुखिया उस प्रक्रिया को जानता ही नहीं है तो बेड़ा गर्क होना तो तय है. बेनीवाल ने कहा कि सरकारी विश्वविद्यालयों में भी यह धंधा बेखौफ चल रहा है. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में कुलपति बनाए गए वह लॉ विषय के ही नहीं हैं, उनके खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. हरदेव जोशी विश्वविद्यालय में थानवी को कुलपति बनाया, वह मामला कोर्ट में चल रहा है.