जयपुर. उर्दू तालीम खत्म करने के विरोध और मदरसा पैराटीचर्स को नियमित करने की मांग को लेकर राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ और राजस्थान मदरसा शिक्षा सहयोगी संघ के बैनर तले जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर सोमवार को एक बड़ा प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन के दौरान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई और अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद, शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को बर्खास्त करने की भी मांग की गई. दोनों ही मंत्रियों को अपने-अपने विभागों में फेल बताया गया.
राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ और राजस्थान मदरसा शिक्षा सहयोगी संघ के बैनर तले उर्दू शिक्षक, मदरसा पैराटीचर्स और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर जमा हुए. लोगों ने विरोध में नारे लिखी हुई तख्तियां भी अपने हाथों में ली हुई थी. सभी लोगों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ की प्रदेश अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने सरकार पर बड़ा आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सरकार इसलिए अल्पसंख्यक समुदाय की मांगे पूरी नहीं कर रही ताकि उस पर तुष्टीकरण का आरोप ना लग जाए. प्रदर्शन में महिलाएं भी काफी संख्या में थी. उर्दू तालीम बंद करने और मदरसा पैराटीचर्स को नियमित करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया गया है. इसके अलावा मदरसा पैराटीचर्स को समान काम समान वेतन लागू करने, उर्दू विवाद प्रकरण में दोषी शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी को निलंबित करने, शिक्षा राज्य मंत्री को बर्खास्त करने, मदरसा शिक्षा सहायक भर्ती 2013 के 6 हजार पदों का परिणाम जारी करने के साथ ही मदरसा शिक्षा सहयोगी भर्ती 2013 की 2500 पदों की रद्द की गयी भर्ती को फिर से पूरी करने की मांग को लेकर उर्दू शिक्षक और मदरसा टीचर्स ने प्रदर्शन किया.
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जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री आवास के घेराव का भी निर्णय किया गया था लेकिन पुलिस अधिकारियों की समझाइश के बाद उर्दू शिक्षकों ने सीएम आवास का घेराव का निर्णय निरस्त कर दिया और यहीं से 5 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल को सीएमओ में वार्ता के लिए ले जाया गया. राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने बताया कि अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद और शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा अपने-अपने विभागों में पूरी तरह से फेल नजर आ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि डोटासरा के विभाग में उर्दू तालीम की बदहाली हो रही है. कक्षा 1 से 5 तक के उर्दू जुबान को बंद किया जा रहा है. उन स्कूलों में उर्दू की किताब तक उपलब्ध नहीं है. उर्दू की 65 हजार स्कूलों में मापदंड के अनुसार टीचर की भर्ती नहीं की जा रही है. ऑनलाइन क्लासेज भी पूरी तरह से बंद हैं. हाल ही में जारी किए गए बोर्ड के मॉडल पेपर में उर्दू का मॉडल पेपर जारी नहीं किया गया. चुनाव घोषणा के अनुसार मदरसा पैराटीचर्स को नियमित नहीं किया जा रहा.
उन्होंने कहा कि उर्दू की बदहाली के मामले में गोविंद सिंह डोटासरा पूरी तरह से दोषी हैं. इसलिए या तो उनसे इस्तीफा दिया लिया जाए या उन्हें बर्खास्त किया जाए और अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद भी अपने विभाग में ही रुचि नहीं ले रहे हैं. वे मदरसा पैराटीचर्स की कोई बात नहीं सुन रहे. उनके तबादलों को लेकर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे.
समाज सेविका मैमूना नरगिस ने बताया की उर्दू भाषा पर धर्मवाद का ठप्पा लगा दिया गया है. वे खुद उर्दू का इतिहास नहीं जानते. उर्दू हिंदी के साथ ही हिंदुस्तान में पनपी है, ना तो कोई मुगल और ना ही मुस्लिम शासक उर्दू को लेकर आया है. हिंदुस्तान के लोगों ने ही उर्दू को बनाया है. यहां तक की रजवाड़ों के पौथीखाने में भी उर्दू आज भी मौजूद है.