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स्पेशल: अव्यवस्थाओं के चलते 'बेपटरी' हुआ राजस्थान रोडवेज क्या फिर से लौट पाएगा 'पटरी' पर!

राजस्थान रोडवेज यानि घाटे की रोडवेज. ऐसा इसलिए, क्योंकि राजस्थान रोडवेज की माली हालत सुधरने का नाम ही नहीं ले रही है. रोडवेज के पास दो हजार 800 बसें हैं. साथ ही 959 बसें अनुबंध पर राजस्थान रोडवेज चला रहा है. बावजूद इसके भी राजस्थान रोडवेज घाटे से नहीं उभर पा रहा है.

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राजस्थान रोडेवज की माली हालत खराब
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Published : Nov 7, 2020, 6:50 PM IST

जयपुर. राजस्थान रोडवेज के आंकड़े खुद रोडवेज की हालत बयां कर रहे हैं. क्योंकि राजस्थान रोडवेज के पास पहले 4 हजार 500 बसें हुआ करती थीं. लेकिन अब धीरे-धीरे राजस्थान रोडवेज की बसों की हालत खराब होती जा रही है. साथ ही कुछ बसें तो कंडम की स्थिति तक पहुंच गई हैं, जिससे राजस्थान रोडवेज को लगातार आर्थिक नुकसान भी हो रहा है. रोडवेज के कुछ अधिकारी तो ऐसे हैं, जो खुद ही राजस्थान रोडवेज को घाटा दिला रहे हैं.

राजस्थान रोडेवज की माली हालत खराब

रोडवेज के सीएमडी राजेश्वर सिंह ने बताया कि निगम ने लॉकडाउन से पहले 875 ब्लू लाइन एक्सप्रेस बसों की खरीद की गई थी. इन बसों की खरीद के लिए रोडवेज ने इलाहाबाद बैंक से लोन लिया था. वर्तमान में कोविड- 19 के चलते निगम का परिचालन नहीं हो पा रहा है. राजस्थान रोडवेज को रोजाना दो करोड़ के राजस्व का नुकसान भी हो रहा है. चूंकि लॉकडाउन से पहले राजस्थान रोडवेज को रोजाना पांच करोड़ का राजस्व अर्जन होता था. लेकिन हाल ही में रोडवेज की पूरी बसें संचालित नहीं हो पा रही हैं. ऐसे में कई बसें कंडम भी हो गई हैं, जिसके चलते रोडवेज की आय घटकर तीन करोड़ ही रह गई है. इससे रोडवेज को रोजाना करोड़ों रुपए का नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. वहीं राजेश्वर सिंह ने बताया कि वर्तमान में रोडवेज की 2 हजार 559 बसें संचालित हो रही हैं. ऐसे में रोडवेज के सभी चीफ मैनेजरों से भी बातकर, अनुबंधित बसों के संचालन की तैयारी की जा रही है.

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मेंटिनेंस बसों का हो रहा संचालन

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राजस्थान रोडवेज पहले करता था 4,500 बसें संचालित

राजस्थान रोडवेज कोरोना से पहले लगभग 4 हजार 500 बसें संचालित करता था. राजस्थान रोडवेज की मांग तहसील, गांव, जिले या शहर के लिए हमेशा होती रही है. वहीं राजस्थान रोडवेज में पैसों की कमी से बसों की खरीद भी नहीं हो पा रही है. ऐसे में निर्धारित किलोमीटर पूरे होने के बाद भी बसों का मेंटेनेंस कर उन्हें संचालित किया जाता है, जिससे उनकी डीजल में खपत ज्यादा होती है और उनका मेंटेनेंस भी ज्यादा आता है. इसी वजह से रोडवेज को जितनी आए होनी चाहिए, वह रोडवेज नहीं कर पाता और नई बसों की खरीद की जगह रोडवेज मेंटेनेंस की हुई बसों का संचालन कर रहा है.

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रोडवेज को 750 नई बसों की जरूरत

राजस्थान रोडवेज के आंकड़ों को देखा जाए तो 550 बसें पुरानी होने के बाद भी उनका मेंटेनेंस कर उन्हें संचालित किया जा रहा है. राजस्थान लोक परिवहन सेवा की बसें भी लगभग 6 साल पुरानी हो चुकी हैं. लेकिन उन्हें भी रोडवेज के द्वारा नहीं बदला जा रहा है, जिससे रोडवेज की आय को लगातार चपत लग रही है.

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रोडवेज को 750 नई बसों की जरूरत

रोडवेज से जुड़े सूत्र और वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो अभी राजस्थान रोडवेज को 750 नई बसों की खरीद करना आवश्यक है. इसके लिए राजस्थान रोडवेज को 210 करोड़ का खर्च करना भी होगा. लेकिन राजस्थान रोडवेज नई बसों को खरीदने की बजाय पुरानी बसों को ही मेंटेनेंस कर चला रहा है, जिससे कि राजस्थान रोडवेज की आय कम हो रही है. साथ ही साथ यात्रियों के जान को भी खतरा बना रहता है. राजस्थान रोडवेज द्वारा साल 2015 और 16 के अंतर्गत अनुबंध पर बस चलाई थी, जिनमें से वर्तमान में 900 बसें अनुबंध पर संचालित की जा रही हैं.

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8 साल बाद नाकारा हो जाती है बसें

रोडवेज के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो 8 साल पूरे करने के बाद राजस्थान रोडवेज की बसें नाकारा घोषित हो जाती हैं. क्योंकि बस पुरानी होने पर उन पर मेंटेनेंस का खर्चा भी बढ़ जाता है. डीजल औसत कमाता है और प्रदूषण का स्तर भी बसों से बढ़ जाता है. ज्यादा से ज्यादा 8 साल बाद में बस को कबाड़ में दे दिया जाता है. उसकी जगह नई बस खरीद करना आवश्यक होता है. इससे संस्थान की बस प्रॉपर तरीके से बदलती है और नई रहती है. लेकिन इस समय राजस्थान रोडवेज की बसें मेंटेनेंस पर चल रही हैं. प्रदूषण भी ज्यादा हो रहा है. प्रति किलोमीटर भी लागत ज्यादा आ रही है. बस यात्रियों को आकर्षित नहीं करती, जिससे यात्री भार के अंतर्गत बढ़ोतरी नहीं हो रही है. संस्थान की छवि भी खराब हो रही है, जो कि राजस्थान रोडवेज के लिए एक बहुत बड़ा घाटा है.

जयपुर. राजस्थान रोडवेज के आंकड़े खुद रोडवेज की हालत बयां कर रहे हैं. क्योंकि राजस्थान रोडवेज के पास पहले 4 हजार 500 बसें हुआ करती थीं. लेकिन अब धीरे-धीरे राजस्थान रोडवेज की बसों की हालत खराब होती जा रही है. साथ ही कुछ बसें तो कंडम की स्थिति तक पहुंच गई हैं, जिससे राजस्थान रोडवेज को लगातार आर्थिक नुकसान भी हो रहा है. रोडवेज के कुछ अधिकारी तो ऐसे हैं, जो खुद ही राजस्थान रोडवेज को घाटा दिला रहे हैं.

राजस्थान रोडेवज की माली हालत खराब

रोडवेज के सीएमडी राजेश्वर सिंह ने बताया कि निगम ने लॉकडाउन से पहले 875 ब्लू लाइन एक्सप्रेस बसों की खरीद की गई थी. इन बसों की खरीद के लिए रोडवेज ने इलाहाबाद बैंक से लोन लिया था. वर्तमान में कोविड- 19 के चलते निगम का परिचालन नहीं हो पा रहा है. राजस्थान रोडवेज को रोजाना दो करोड़ के राजस्व का नुकसान भी हो रहा है. चूंकि लॉकडाउन से पहले राजस्थान रोडवेज को रोजाना पांच करोड़ का राजस्व अर्जन होता था. लेकिन हाल ही में रोडवेज की पूरी बसें संचालित नहीं हो पा रही हैं. ऐसे में कई बसें कंडम भी हो गई हैं, जिसके चलते रोडवेज की आय घटकर तीन करोड़ ही रह गई है. इससे रोडवेज को रोजाना करोड़ों रुपए का नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. वहीं राजेश्वर सिंह ने बताया कि वर्तमान में रोडवेज की 2 हजार 559 बसें संचालित हो रही हैं. ऐसे में रोडवेज के सभी चीफ मैनेजरों से भी बातकर, अनुबंधित बसों के संचालन की तैयारी की जा रही है.

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मेंटिनेंस बसों का हो रहा संचालन

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राजस्थान रोडवेज पहले करता था 4,500 बसें संचालित

राजस्थान रोडवेज कोरोना से पहले लगभग 4 हजार 500 बसें संचालित करता था. राजस्थान रोडवेज की मांग तहसील, गांव, जिले या शहर के लिए हमेशा होती रही है. वहीं राजस्थान रोडवेज में पैसों की कमी से बसों की खरीद भी नहीं हो पा रही है. ऐसे में निर्धारित किलोमीटर पूरे होने के बाद भी बसों का मेंटेनेंस कर उन्हें संचालित किया जाता है, जिससे उनकी डीजल में खपत ज्यादा होती है और उनका मेंटेनेंस भी ज्यादा आता है. इसी वजह से रोडवेज को जितनी आए होनी चाहिए, वह रोडवेज नहीं कर पाता और नई बसों की खरीद की जगह रोडवेज मेंटेनेंस की हुई बसों का संचालन कर रहा है.

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रोडवेज को 750 नई बसों की जरूरत

राजस्थान रोडवेज के आंकड़ों को देखा जाए तो 550 बसें पुरानी होने के बाद भी उनका मेंटेनेंस कर उन्हें संचालित किया जा रहा है. राजस्थान लोक परिवहन सेवा की बसें भी लगभग 6 साल पुरानी हो चुकी हैं. लेकिन उन्हें भी रोडवेज के द्वारा नहीं बदला जा रहा है, जिससे रोडवेज की आय को लगातार चपत लग रही है.

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रोडवेज को 750 नई बसों की जरूरत

रोडवेज से जुड़े सूत्र और वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो अभी राजस्थान रोडवेज को 750 नई बसों की खरीद करना आवश्यक है. इसके लिए राजस्थान रोडवेज को 210 करोड़ का खर्च करना भी होगा. लेकिन राजस्थान रोडवेज नई बसों को खरीदने की बजाय पुरानी बसों को ही मेंटेनेंस कर चला रहा है, जिससे कि राजस्थान रोडवेज की आय कम हो रही है. साथ ही साथ यात्रियों के जान को भी खतरा बना रहता है. राजस्थान रोडवेज द्वारा साल 2015 और 16 के अंतर्गत अनुबंध पर बस चलाई थी, जिनमें से वर्तमान में 900 बसें अनुबंध पर संचालित की जा रही हैं.

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8 साल बाद नाकारा हो जाती है बसें

रोडवेज के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो 8 साल पूरे करने के बाद राजस्थान रोडवेज की बसें नाकारा घोषित हो जाती हैं. क्योंकि बस पुरानी होने पर उन पर मेंटेनेंस का खर्चा भी बढ़ जाता है. डीजल औसत कमाता है और प्रदूषण का स्तर भी बसों से बढ़ जाता है. ज्यादा से ज्यादा 8 साल बाद में बस को कबाड़ में दे दिया जाता है. उसकी जगह नई बस खरीद करना आवश्यक होता है. इससे संस्थान की बस प्रॉपर तरीके से बदलती है और नई रहती है. लेकिन इस समय राजस्थान रोडवेज की बसें मेंटेनेंस पर चल रही हैं. प्रदूषण भी ज्यादा हो रहा है. प्रति किलोमीटर भी लागत ज्यादा आ रही है. बस यात्रियों को आकर्षित नहीं करती, जिससे यात्री भार के अंतर्गत बढ़ोतरी नहीं हो रही है. संस्थान की छवि भी खराब हो रही है, जो कि राजस्थान रोडवेज के लिए एक बहुत बड़ा घाटा है.

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