जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में जिलाध्यक्ष से लेकर ब्लॉक अध्यक्ष तक पर मनोनयन नियुक्ति को लेकर लंबे समय से इंतजार कर रहे पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को झटका लग चुका है. संगठन पीआरओ संजय निरुपम ने हाल के राजस्थान दौरे के दौरान (PRO Sanjay Nirupam on Rajasthan Congress) साफ कर दिया कि कांग्रेस में जिलाध्यक्ष से लेकर ब्लॉक अध्यक्ष तक की नियुक्ति चुनाव के जरिए होगी. उनका ये एलान कइयों की आशा पर पानी फेरने वाला था.
संगठन के चुनाव को आंतरिक रूप दिया जा रहा है. वैसे संगठन के चुनाव (Congress Formula for Organizational Appointments) कांग्रेस में पहली और आखरी बार 1992 में हुए थे. उसके बाद करीब तीन दशक बाद यह चुनाव होने जा रहे हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष ही नहीं, बल्कि पीसीसी मेंबर, एआईसीसी मेंबर, ब्लॉक अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष भी चरणबद्ध रूप से सितंबर महीने तक निर्वाचित होंगे. इसके बाद सितम्बर में ही पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलेगा.
माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी की जो मेंबरशिप चल रही है. 31 मार्च के बाद उसी मेंबरशिप के आधार पर चुनाव करवाए जाएंगे. इसके बाद सितंबर में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करवाया जाएगा. बाकी संगठन में निचले स्तर पर ज्यादातर पदों पर निर्विरोध चुन लिए जाएंगे. लेकिन अगर किसी जिले या ब्लॉक में प्रतिस्पर्धा होगी और किसी पद के लिए एक से ज्यादा कार्यकर्ता दावा पेश करेंगे तो वहां चुनाव भी करवाया जाएगा. राजस्थान में इस बार 50 लाख सदस्य बनाए जाने का टारगेट है.
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यह रहेगी प्रक्रिया...
- प्रदेश में 31 मार्च तक बने सदस्य हर बूथ पर बूथ अध्यक्ष और प्रतिनिधि का चुनाव करेंगे.
- बूथ स्तर के सदस्य ब्लॉक और जिला कार्यकारिणी का चुनाव करते हैं.
- प्रत्येक ब्लॉक से एक पीसीसी सदस्य का चुनाव होता है.
- इस तरह कुल 400 पीसीसी सदस्य चुने जाएंगे.
- प्रत्येक 8 ब्लॉक से एक एआईसीसी सदस्य चुना जाता है.
- इस तरह कुल 50 एआईसीसी सदस्य चुने जाएंगे.
- पीसीसी और एआईसीसी सदस्य का चुनाव भी बूथ स्तर से ही होता है.
- पीसीसी सदस्य प्रदेश कार्यकारिणी का चुनाव लड़ सकते हैं.
- एआईसीसी सदस्य एआईसीसी कार्यकारिणी के लिए चुनाव लड़ने के पात्र हैं.
- राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए एआईसीसी सदस्य के साथ ही पीसीसी सदस्य भी वोट डालते हैं.
तीन दशक बाद पुराना फॉर्मूला...
कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर सभी पदों के लिए चुनाव पहली और आखरी बार 1992 में हुए थे. उस समय राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष परसराम मदेरणा बने थे. लेकिन न तो 1992 से पहले और न ही 1992 के बाद इस प्रक्रिया को कभी अपनाया गया. सभी पदाधिकारी और अध्यक्ष (Membership Campaign of Rajasthan Congress) मनोनयन से ही चुनकर आए.
अब तीन दशक बाद एक बार फिर कांग्रेस पार्टी अपने पुराने फॉर्मूले को इस्तेमाल करने जा रही है. 1992 की चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरेंद्र पूनिया ने बताया कि उस वक्त 25 सदस्य बनाने वाले कार्यकर्ता को एक्टिव मेंबर माना जाता था, जो वोट डाल सकता था. उसी एक्टिव मेंबर को पार्टी की ओर से कार्ड जारी किया जाता था. उस वक्त भी चुनाव के दौरान काफी संघर्ष हुआ था. लेकिन चूंकि कार्यकर्ता अपने मनपसंद के व्यक्ति का चुनाव इस प्रक्रिया से कर सकता है, लिहाजा यह एक अच्छी प्रक्रिया है.