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राजस्थान पुलिस की पहलः अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए गांव-गांव में बनाए गए ग्राम रक्षक - Village guards in jaipur

राजस्थान पुलिस ने प्रदेश में बढ़ते अपराध पर लगाम लगाने के लिए गांव में ग्राम रक्षक बनाए गए हैं. राजधानी जयपुर में डीसीपी नॉर्थ परिस देशमुख ने आमेर थाने से ग्राम रक्षक योजना की शुरुआत की है.

गांव में बनाए गए ग्राम रक्षक, Village guards created in the village
गांव-गांव में बनाए गए ग्राम रक्षक
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Published : Aug 7, 2021, 3:41 PM IST

Updated : Aug 7, 2021, 5:39 PM IST

जयपुर. राजस्थान पुलिस ने एक अभिनव पहल की शुरुआत की है. अब गांव-गांव, ढाणी-ढाणी में अपराध पर लगाम लगेगी. अपराधियों पर लगाम कसने के लिए पुलिस ने गांव-गांव में ग्राम रक्षक बनाए हैं.

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राजधानी जयपुर में डीसीपी नॉर्थ परिस देशमुख ने आमेर थाने से ग्राम रक्षक योजना की शुरुआत की है. डीसीपी नॉर्थ परिस देशमुख ने आमेर थाना इलाके के प्रत्येक गांव में 2 साल के लिए ग्राम रक्षक बनाए हैं. ग्राम रक्षक आमजन और पुलिस के बीच सेतु का कार्य करेंगे.

गांव-गांव में बनाए गए ग्राम रक्षक

राजस्थान पुलिस की ग्राम रक्षक योजना के तहत आमेर थाने में ग्राम रक्षकों को बेच और ग्राम रक्षक पुस्तक बांटी गई. इसके साथ ही सभी ग्राम रक्षकों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की शपथ दिलाई गई. डीसीपी नॉर्थ परिस देशमुख के साथ एडिशनल डीसीपी सुमित गुप्ता और आमेर थानाधिकारी शिवनारायण यादव भी मौजूद रहे.

पुलिस ने योग्यता के आधार पर 40 साल से 55 साल के लोगों को ग्राम रक्षक बनाया है. सभी ग्राम रक्षक आठवीं पास होना अनिवार्य है. इसके साथ ही ग्राम रक्षक बनाने से पहले अपराधिक रिकॉर्ड भी देखा गया है. जिस व्यक्ति के किसी प्रकार का कोई अपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, उन्हीं को ग्राम रक्षक नियुक्त किया गया है. ग्राम रक्षक नियुक्त होने से अपराध नियंत्रण में सहायता मिलेगी.

डीसीपी नॉर्थ पारिस देशमुख ने बताया कि राज्य सरकार ने नया आदेश पारित करके ग्राम रक्षकों का नियोजन किया है. ग्राम रक्षक पुलिस और आमजन के बीच में सेतु का कार्य करेंगे. प्रत्येक रेवेन्यू विलेज में एक व्यक्ति को ग्राम रक्षक के पद के लिए संबंधित थाने की ओर से नियुक्त किया गया है. अधिनियम के अनुसार योग्यता के आधार पर ग्राम रक्षकों को चिन्हित किया गया है.

नियुक्त किए गए ग्राम रक्षक 2 साल के लिए ग्राम रक्षक के रूप में तैनात रहेंगे. ग्राम रक्षक अपने गांव में फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में काम करेंगे. यह किसी भी तरह के अपराध की पुलिस को सूचना दे सकते हैं.

अपराध होने पर घटनास्थल को सुरक्षित रख सकते हैं. जनता की पीड़ा को पुलिस तक ले जाना और पुलिस की योजनाएं जनता तक पहुंचाने का काम ग्राम रक्षक करेंगे. एडिशनल डीसीपी सुमित गुप्ता ने बताया कि ग्राम रक्षक की नियुक्ति में पूर्व सैनिकों को भी प्राथमिकता दी जाएगी.

शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और आठवीं पास लोगों को ही नियुक्ति दी जा रही है. आमेर थाना क्षेत्र में 37 ग्राम रक्षक नियुक्त किए गए हैं. चयनित ग्राम रक्षकों की आवे थाने में मीटिंग रखी गई. पुलिस मुख्यालय के दिशा निर्देश अनुसार सभी ग्राम रक्षकों को पुलिस बेज और कार्य निष्पादन के लिए पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी पुस्तक का वितरण किया गया.

ग्राम रक्षकों को उनके कर्तव्य और दायित्व के बारे में जानकारी दी गई. प्रत्येक ग्राम रक्षको का बीट कांस्टेबल से परिचय कराया गया. सभी ग्राम रक्षकों को उनके कर्तव्य की शपथ भी दिलाई गई. इस योजना के प्रत्येक गांव में पुलिस का सहयोग करने वाला व्यक्ति तैयार किया गया है. ग्राम रक्षकों की नियुक्ति से ग्रामीण क्षेत्रों में आंतरिक सुरक्षा मजबूत होगी और पुलिस और प्रभावी कार्रवाई कर सकेगी. ग्राम रक्षक गांव में रहने वाले लोगों की जान माल की सुरक्षा में सजग रहना, समाज कंटक और अपराधिक तत्वों की निगरानी रखना, पुलिस में निरंतर संपर्क करने का काम करेंगे.

पढ़ेंः भीलवाड़ा में दो कांस्टेबलों की हत्या का मामला, पुलिस ने एक लाख के इनामी बदमाश को किया गिरफ्तार

इसके साथ ही गांव में अजनबीयों के आवागमन पर निगरानी रखना और संदेह होने पर पुलिस को सूचना करना, गांव में अपराध घटित होने पर अपराधियों की तलाश में पुलिस की हर संभव सहायता करना, अपराधों की रोकथाम और अपराधियों पर नियंत्रण के लिए गश्त नाकाबंदी निगरानी में पुलिस का सहयोग करना, गांव और उसके आसपास की ऐसी समस्या है, जिसमें कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका है, उसकी सूचना तुरंत स्थानीय पुलिस को देना, गांव में बुजुर्ग, महिलाओं, बच्चों और कमजोर वर्गों से निरंतर संपर्क करना और उनके समस्याओं से स्थानीय पुलिस को समय-समय पर अवगत कराने की जिम्मेदारी होगी.

आमेर थाना अधिकारी शिवनारायण यादव ने बताया कि ग्राम रक्षक सहभागिता के माध्यम से ग्राम वासियों में आपसी सहयोग बढ़ाना, विवादित मामलों की शिकायत और परिवाद प्राप्त होने पर अविलंब पुलिस को सूचित कर संबंधित बीट कांस्टेबल को परिवाद उपलब्ध कराने का काम करेंगे.

जयपुर. राजस्थान पुलिस ने एक अभिनव पहल की शुरुआत की है. अब गांव-गांव, ढाणी-ढाणी में अपराध पर लगाम लगेगी. अपराधियों पर लगाम कसने के लिए पुलिस ने गांव-गांव में ग्राम रक्षक बनाए हैं.

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राजधानी जयपुर में डीसीपी नॉर्थ परिस देशमुख ने आमेर थाने से ग्राम रक्षक योजना की शुरुआत की है. डीसीपी नॉर्थ परिस देशमुख ने आमेर थाना इलाके के प्रत्येक गांव में 2 साल के लिए ग्राम रक्षक बनाए हैं. ग्राम रक्षक आमजन और पुलिस के बीच सेतु का कार्य करेंगे.

गांव-गांव में बनाए गए ग्राम रक्षक

राजस्थान पुलिस की ग्राम रक्षक योजना के तहत आमेर थाने में ग्राम रक्षकों को बेच और ग्राम रक्षक पुस्तक बांटी गई. इसके साथ ही सभी ग्राम रक्षकों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की शपथ दिलाई गई. डीसीपी नॉर्थ परिस देशमुख के साथ एडिशनल डीसीपी सुमित गुप्ता और आमेर थानाधिकारी शिवनारायण यादव भी मौजूद रहे.

पुलिस ने योग्यता के आधार पर 40 साल से 55 साल के लोगों को ग्राम रक्षक बनाया है. सभी ग्राम रक्षक आठवीं पास होना अनिवार्य है. इसके साथ ही ग्राम रक्षक बनाने से पहले अपराधिक रिकॉर्ड भी देखा गया है. जिस व्यक्ति के किसी प्रकार का कोई अपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, उन्हीं को ग्राम रक्षक नियुक्त किया गया है. ग्राम रक्षक नियुक्त होने से अपराध नियंत्रण में सहायता मिलेगी.

डीसीपी नॉर्थ पारिस देशमुख ने बताया कि राज्य सरकार ने नया आदेश पारित करके ग्राम रक्षकों का नियोजन किया है. ग्राम रक्षक पुलिस और आमजन के बीच में सेतु का कार्य करेंगे. प्रत्येक रेवेन्यू विलेज में एक व्यक्ति को ग्राम रक्षक के पद के लिए संबंधित थाने की ओर से नियुक्त किया गया है. अधिनियम के अनुसार योग्यता के आधार पर ग्राम रक्षकों को चिन्हित किया गया है.

नियुक्त किए गए ग्राम रक्षक 2 साल के लिए ग्राम रक्षक के रूप में तैनात रहेंगे. ग्राम रक्षक अपने गांव में फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में काम करेंगे. यह किसी भी तरह के अपराध की पुलिस को सूचना दे सकते हैं.

अपराध होने पर घटनास्थल को सुरक्षित रख सकते हैं. जनता की पीड़ा को पुलिस तक ले जाना और पुलिस की योजनाएं जनता तक पहुंचाने का काम ग्राम रक्षक करेंगे. एडिशनल डीसीपी सुमित गुप्ता ने बताया कि ग्राम रक्षक की नियुक्ति में पूर्व सैनिकों को भी प्राथमिकता दी जाएगी.

शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और आठवीं पास लोगों को ही नियुक्ति दी जा रही है. आमेर थाना क्षेत्र में 37 ग्राम रक्षक नियुक्त किए गए हैं. चयनित ग्राम रक्षकों की आवे थाने में मीटिंग रखी गई. पुलिस मुख्यालय के दिशा निर्देश अनुसार सभी ग्राम रक्षकों को पुलिस बेज और कार्य निष्पादन के लिए पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी पुस्तक का वितरण किया गया.

ग्राम रक्षकों को उनके कर्तव्य और दायित्व के बारे में जानकारी दी गई. प्रत्येक ग्राम रक्षको का बीट कांस्टेबल से परिचय कराया गया. सभी ग्राम रक्षकों को उनके कर्तव्य की शपथ भी दिलाई गई. इस योजना के प्रत्येक गांव में पुलिस का सहयोग करने वाला व्यक्ति तैयार किया गया है. ग्राम रक्षकों की नियुक्ति से ग्रामीण क्षेत्रों में आंतरिक सुरक्षा मजबूत होगी और पुलिस और प्रभावी कार्रवाई कर सकेगी. ग्राम रक्षक गांव में रहने वाले लोगों की जान माल की सुरक्षा में सजग रहना, समाज कंटक और अपराधिक तत्वों की निगरानी रखना, पुलिस में निरंतर संपर्क करने का काम करेंगे.

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इसके साथ ही गांव में अजनबीयों के आवागमन पर निगरानी रखना और संदेह होने पर पुलिस को सूचना करना, गांव में अपराध घटित होने पर अपराधियों की तलाश में पुलिस की हर संभव सहायता करना, अपराधों की रोकथाम और अपराधियों पर नियंत्रण के लिए गश्त नाकाबंदी निगरानी में पुलिस का सहयोग करना, गांव और उसके आसपास की ऐसी समस्या है, जिसमें कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका है, उसकी सूचना तुरंत स्थानीय पुलिस को देना, गांव में बुजुर्ग, महिलाओं, बच्चों और कमजोर वर्गों से निरंतर संपर्क करना और उनके समस्याओं से स्थानीय पुलिस को समय-समय पर अवगत कराने की जिम्मेदारी होगी.

आमेर थाना अधिकारी शिवनारायण यादव ने बताया कि ग्राम रक्षक सहभागिता के माध्यम से ग्राम वासियों में आपसी सहयोग बढ़ाना, विवादित मामलों की शिकायत और परिवाद प्राप्त होने पर अविलंब पुलिस को सूचित कर संबंधित बीट कांस्टेबल को परिवाद उपलब्ध कराने का काम करेंगे.

Last Updated : Aug 7, 2021, 5:39 PM IST
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