जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जल संसाधन सचिव, करौली कलेक्टर और मुख्य जल संसाधन अभियंता (not releasing the water of Panchna Dam) सहित अन्य से पूछा है कि पांचना बांध के पानी को गंभीर नदी में क्यों नहीं छोड़ा जा रहा है?. जस्टिस प्रकाश गुप्ता और जस्टिस अनूप ढंड की खंडपीठ ने यह आदेश गंभीर नदी जल बचाओ समिति की जनहित याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता राजेश मूंडिया ने अदालत को बताया कि गंभीर नदी करौली से केवलादेव बर्ड सेंचुरी तक जाती है. जिसके दोनों ओर बसे करीब 360 गांव में लाखों लोग और मवेशी रहते हैं. दोनों तरफ करीब एक लाख हेक्टर कृषि भूमि है. स्थानीय ग्रामीण इस नदी का पानी उपयोग में लेते थे. याचिका में कहा गया कि वर्ष 1972 में गंभीर नदी में आई बाढ़ से कई लोग प्रभावित हुए थे और बर्ड सेंचुरी को भी काफी नुकसान हुआ था. इसे देखते हुए पांचना बांध के साथ ही चार छोटे बांध बनाना तय किया गया. वहीं वर्ष 1977 में पांचना बांध का निर्माण किया गया. राजनीतिक कारणों से अन्य छोटे बांधों का निर्माण नहीं किया गया. पांचना बांध बनाने का उद्देश्य यह भी था कि भीषण गर्मी के दिनों में इस बांध से पानी की सप्लाई की जाएगी.
वहीं बांध से नदी में पानी छोड़ना पूरी तरह बंद कर दिया गया है. इसके कारण नदी पूर्णतः सूख गई है. जिसके चलते स्थानीय लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है. याचिका में कहा गया कि बांध से निकाली गई नहर भी विपरीत दिशा में बना दी गई है. जिसके चलते नहर का लाभ भी इन गांवों के लोगों को नहीं मिल पा रहा है. स्थानीय निवासियों ने संबंधित अधिकारियों को कई बार लिखित में गंभीर नदी में पानी छोडने की मांग की है, लेकिन अधिकारियों ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की. याचिका में गुहार की गई है कि संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए जाए कि वह वर्ष भर पांचना बांध से गंभीर नदी में पानी छोड़ने की व्यवस्था करें. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.