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Rajasthan high court: आरोपियों को दी जा रही अस्पष्ट चार्जशीट, हाईकोर्ट ने डीजीपी को समाधान करने के दिए निर्देश - राजस्थान हाईकोर्ट ने अस्पष्ट चार्जशीट देने पर जताई नाराजगी

राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर खंडपीठ ( Rajasthan high court) ने अहम आदेश में कहा कि आरोपियों अस्पष्ट चार्जशीट दी जा रही है. डीजीपी और मजिस्ट्रेट को समस्या का समाधान करना चाहिए.

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राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Dec 10, 2021, 9:29 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan high court charge sheet news)की जयपुर खंडपीठ ने कहा है कि यह आरोपी का मूल अधिकार है कि वह जाने की उसकी स्वतंत्रता में कटौती करते हुए उसे मुकदमें की ट्रायल का सामने करने के लिए बाध्य किया जा रहा है. ऐसे में उसे आरोप पत्र की साफ और स्पष्ट कॉपी मिलनी चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि वह इस संबंध में सभी थाना अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करें.

वहीं अदालत ने अधीनस्थ अदालतों के मजिस्ट्रेट को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि अभियोजन पक्ष की ओर से आरोप पत्र को दी जाने वाली आरोप पत्र की कॉपी पठनीय हो. जस्टिस फरजंद अली ने यह आदेश मनोज और पिंकेश की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

पढ़ें- बड़ी खबर : स्टेनोग्राफर भर्ती-2018 का अतिरिक्त परिणाम होगा जारी...

हत्या से जुड़े इस मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने बचाव पक्ष के वकील से कहा कि उनकी ओर से पेश आरोप पत्र के कई पेश अस्पष्ट हैं और उन्हें नहीं पढ़ा जा सकता. इस पर याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से उन्हें ऐसी की कॉपी दी गई है. इस पर अदालत ने कहा कि विभिन्न जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान देखने को मिला है कि बचाव पक्ष को मुहैया कराई गई आरोप पत्र की कॉपी अस्पष्ट और अपठनीय होती है. जबकि नियमानुसार उन्हें पठनीय कॉपी उपलब्ध कराई जानी चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने डीजीपी और निचली अदालत में मजिस्ट्रेट को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan high court charge sheet news)की जयपुर खंडपीठ ने कहा है कि यह आरोपी का मूल अधिकार है कि वह जाने की उसकी स्वतंत्रता में कटौती करते हुए उसे मुकदमें की ट्रायल का सामने करने के लिए बाध्य किया जा रहा है. ऐसे में उसे आरोप पत्र की साफ और स्पष्ट कॉपी मिलनी चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि वह इस संबंध में सभी थाना अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करें.

वहीं अदालत ने अधीनस्थ अदालतों के मजिस्ट्रेट को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि अभियोजन पक्ष की ओर से आरोप पत्र को दी जाने वाली आरोप पत्र की कॉपी पठनीय हो. जस्टिस फरजंद अली ने यह आदेश मनोज और पिंकेश की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

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हत्या से जुड़े इस मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने बचाव पक्ष के वकील से कहा कि उनकी ओर से पेश आरोप पत्र के कई पेश अस्पष्ट हैं और उन्हें नहीं पढ़ा जा सकता. इस पर याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से उन्हें ऐसी की कॉपी दी गई है. इस पर अदालत ने कहा कि विभिन्न जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान देखने को मिला है कि बचाव पक्ष को मुहैया कराई गई आरोप पत्र की कॉपी अस्पष्ट और अपठनीय होती है. जबकि नियमानुसार उन्हें पठनीय कॉपी उपलब्ध कराई जानी चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने डीजीपी और निचली अदालत में मजिस्ट्रेट को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं.

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