जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह वर्ष 1983 में अस्थाई तौर पर लगाए गए बागवान को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर मानते हुए उसकी पेंशन और समस्त सेवानिवृत्त परिलाभ तीन माह में अदा करे. अदालत ने सेवाकाल की गणना वर्ष 1983 से ही करने को कहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश लाला राम सैनी की याचिका पर दिए.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार ने 27 फरवरी 2009 को नोटिफिकेशन जारी कर अस्थाई रूप से लगे सभी चतुर्थ श्रेणी और उसके समकक्ष कर्मचारियों को नियमित करने का प्रावधान कर चुकी है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट भी दस साल से अधिक अवधि से काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित करने के निर्देश दे चुकी है. ऐसे में लगातार 37 साल तक काम कर चुके कर्मचारी को नियमित नहीं मानना गलत है.
याचिका में अधिवक्ता हनुमान चौधरी ने कहा कि याचिकाकर्ता को अलवर की बानसूर पंचायत समिति में वर्ष 1983 में अस्थाई तौर पर बागवान लगाया गया था. तब से वह नियमित रूप से अपने पद पर काम कर रहा था. वहीं उसे अस्थाई कर्मचारी मानते हुए गत 31 जुलाई को रिटायर्ड कर दिया गया. याचिका में कहा गया कि उसे नियमित कर्मचारी मानते हुए समस्त परिलाभ अदा किए जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को नियमित कर्मचारी मानते हुए पेंशन परिलाभ देने को कहा है.