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Rajasthan High Court: एपीओ के आदेश पर स्टे लिया तो विभाग ने किया निलंबित, हाईकोर्ट ने लगाई रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्राम विकास अधिकारी को पूर्व में किए गए एपीओ आदेश के खिलाफ (stayed the execution of the suspension order) रेट से स्टे लेने से खफा होकर विभाग की ओर से किए गए निलंबन आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है.

Rajasthan High Court,  village development officer
राजस्थान हाईकोर्ट.
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Published : Jun 12, 2022, 12:06 AM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्राम विकास अधिकारी को पूर्व में किए गए एपीओ आदेश के खिलाफ (stayed the execution of the suspension order) रेट से स्टे लेने से खफा होकर विभाग की ओर से किए गए निलंबन आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है. साथ ही अदालत ने पंचायती राज आयुक्त और करौली जिला परिषद के सीईओ सहित अन्य से जवाब मांगा है. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश टीकाराम की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ग्राम विकास अधिकारी को विभाग ने गत 22 मार्च को एपीओ कर दिया था. इसके खिलाफ अपील पेश करने पर राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने 31 मार्च को एपीओ आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी थी. याचिका में कहा गया कि विभाग ने अधिकरण में याचिका दायर करने की बात से खफा होकर बिना कोई कारण बताए उसे 29 अप्रैल को निलंबित कर दिया. याचिका में कहा गया कि विभाग ने स्टे लेने के चलते दुर्भावना से कार्रवाई कर उसे निलंबित किया है. याचिकाकर्ता पर कार्रवाई से पहले न तो उसे सुनवाई का मौका दिया गया और ना ही उसके निलंबन का कारण बताया गया. ऐसे में निलंबन आदेश पर रोक लगाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को निलंबित करने के आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्राम विकास अधिकारी को पूर्व में किए गए एपीओ आदेश के खिलाफ (stayed the execution of the suspension order) रेट से स्टे लेने से खफा होकर विभाग की ओर से किए गए निलंबन आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है. साथ ही अदालत ने पंचायती राज आयुक्त और करौली जिला परिषद के सीईओ सहित अन्य से जवाब मांगा है. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश टीकाराम की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ग्राम विकास अधिकारी को विभाग ने गत 22 मार्च को एपीओ कर दिया था. इसके खिलाफ अपील पेश करने पर राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने 31 मार्च को एपीओ आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी थी. याचिका में कहा गया कि विभाग ने अधिकरण में याचिका दायर करने की बात से खफा होकर बिना कोई कारण बताए उसे 29 अप्रैल को निलंबित कर दिया. याचिका में कहा गया कि विभाग ने स्टे लेने के चलते दुर्भावना से कार्रवाई कर उसे निलंबित किया है. याचिकाकर्ता पर कार्रवाई से पहले न तो उसे सुनवाई का मौका दिया गया और ना ही उसके निलंबन का कारण बताया गया. ऐसे में निलंबन आदेश पर रोक लगाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को निलंबित करने के आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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