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35 साल से काम कर रही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को हटाने पर रोक - जयपुर समाचार

राजस्थान हाईकोर्ट ने राजकीय संस्कृत कॉलेज, सीकर में पिछले 35 साल से काम कर रही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को हटाने के संस्कृत शिक्षा निदेशक के आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव और निदेशक संस्कृत शिक्षा को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश गीता देवी की याचिका पर दिए.

राजस्थान हाईकोर्ट, Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Apr 10, 2021, 9:02 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजकीय संस्कृत कॉलेज, सीकर में पिछले 35 साल से काम कर रही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को हटाने के संस्कृत शिक्षा निदेशक के आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव और निदेशक संस्कृत शिक्षा को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश गीता देवी की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता अनूप ढंड ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को वर्ष 1986 में मौखिक आदेश से 100 रुपए प्रतिमाह में स्वीपर पद पर लगाया गया था, बाद में उसका वेतन बढ़ाकर 240 रुपए प्रतिमाह कर दिया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर न्यूनतम वेतनमान दिलाने और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद का चयनीत वेतनमान दिलाने की गुहार की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता को न्यूनतम वेतनमान देने के आदेश दिए थे.

यह भी पढ़ेंः जोधपुर: चांचलवा गांव में मिला एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से गिरा बारूद का बैरल

याचिका में कहा गया कि अदालत में अवमानना याचिका दायर होने और राज्य सरकार की अपील खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता को न्यूनतम वेतनमान तो अदा कर दिया, लेकिन बाद में उसे बिना कारण सेवा से हटा दिया, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को पद से हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजकीय संस्कृत कॉलेज, सीकर में पिछले 35 साल से काम कर रही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को हटाने के संस्कृत शिक्षा निदेशक के आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख उच्च शिक्षा सचिव और निदेशक संस्कृत शिक्षा को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश गीता देवी की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता अनूप ढंड ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को वर्ष 1986 में मौखिक आदेश से 100 रुपए प्रतिमाह में स्वीपर पद पर लगाया गया था, बाद में उसका वेतन बढ़ाकर 240 रुपए प्रतिमाह कर दिया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर न्यूनतम वेतनमान दिलाने और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद का चयनीत वेतनमान दिलाने की गुहार की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता को न्यूनतम वेतनमान देने के आदेश दिए थे.

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याचिका में कहा गया कि अदालत में अवमानना याचिका दायर होने और राज्य सरकार की अपील खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता को न्यूनतम वेतनमान तो अदा कर दिया, लेकिन बाद में उसे बिना कारण सेवा से हटा दिया, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को पद से हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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