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Rajasthan High Court: बंजर भूमि बताकर निर्माण हटाने की कार्रवाई पर रोक, मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने सीकर जिले के खंडेला तहसील के ग्राम दुल्हेपुरा में विवादित जमीन को बंजर बताकर उस पर हुए पक्के निर्माणों को हटाने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव, प्रमुख पंचायती राज सचिव और सीकर कलेक्टर सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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Published : Aug 23, 2021, 7:53 PM IST

राजस्थान हाई कोर्ट, Rajasthan High Court
राजस्थान हाई कोर्ट

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सीकर जिले के खंडेला तहसील के ग्राम दुल्हेपुरा में विवादित जमीन को बंजर बताकर उस पर हुए पक्के निर्माणों को हटाने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव, प्रमुख पंचायती राज सचिव और सीकर कलेक्टर सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश भोमाराम और अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं को कई दशकों पहले तत्कालीन ग्राम पंचायत होद ने आबादी भूमि पट्टे दिए थे. अब स्थानीय प्रशासन इस भूमि को बंजर श्रेणी की बताकर याचिकाकर्ताओं को अतिक्रमी मानकर कब्जा हटाने के लिए कह रहा है.

यह भी पढ़ेंः सूखे की चपेट में पश्चिमी राजस्थान, वसुंधरा राजे ने की तुरंत गिरदावरी करवा कर किसानों को मुआवजे देने की मांग

याचिका में कहा गया कि प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी के चलते राजस्व रिकॉर्ड में इस भूमि का गलत रूप से बंजर श्रेणी में इन्द्राज हो गया है. ऐसे में स्थानीय प्रशासन को याचिकाकर्ताओं के निर्माण हटाने से रोका जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने निर्माण हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सीकर जिले के खंडेला तहसील के ग्राम दुल्हेपुरा में विवादित जमीन को बंजर बताकर उस पर हुए पक्के निर्माणों को हटाने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव, प्रमुख पंचायती राज सचिव और सीकर कलेक्टर सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश भोमाराम और अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं को कई दशकों पहले तत्कालीन ग्राम पंचायत होद ने आबादी भूमि पट्टे दिए थे. अब स्थानीय प्रशासन इस भूमि को बंजर श्रेणी की बताकर याचिकाकर्ताओं को अतिक्रमी मानकर कब्जा हटाने के लिए कह रहा है.

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याचिका में कहा गया कि प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी के चलते राजस्व रिकॉर्ड में इस भूमि का गलत रूप से बंजर श्रेणी में इन्द्राज हो गया है. ऐसे में स्थानीय प्रशासन को याचिकाकर्ताओं के निर्माण हटाने से रोका जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने निर्माण हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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