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राजस्थान हाईकोर्ट: दिव्यांग को गृह जिले में नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब - Third Grade Teacher Recruitment 2018

राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती 2018 में चयनित दृष्टिहीन दिव्यांग को गृह जिले में नियुक्ति नहीं देने पर प्रमुख शिक्षा सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक से जवाब तलब किया है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश टोंक निवासी विभा शर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती 2018 में चयनित दृष्टिहीन दिव्यांग को गृह जिले में नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब
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Published : Jun 8, 2020, 5:29 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती 2018 में चयनित दृष्टिहीन दिव्यांग को गृह जिले में नियुक्ति नहीं देने पर प्रमुख शिक्षा सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक से जवाब तलब किया है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश टोंक निवासी विभा शर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने अदालत को बताया कि दिव्यांग याचिकाकर्ता का भर्ती में चयन होने के बाद विभाग ने उसे स्वयं के गृह जिले में नियुक्ति देने के बजाय 400 किलोमीटर दूर जोधपुर जिला आवंटित कर दिया. जबकि याचिकाकर्ता से कम अंक वाले अभ्यर्थियों को आसपास के जिले आवंटित किए गए हैं.

पढ़ें: SPECIAL : पक्षियों के लिए 'भागीरथ' बना राजसमंद का ललित, कर रहा ये बेमिसाल काम

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता 100 फीसदी दृष्टिबाधित होने के चलते स्वयं के कार्य भी अकेले करने में असमर्थ है. वहीं, प्रशासनिक सुधार विभाग ने 21 अगस्त, 2008 को परिपत्र जारी कर दिव्यांग को इच्छित स्थान पर पदस्थापित करने के निर्देश दे रखे हैं.

इसके बावजूद भी याचिकाकर्ता को उसके गृह जिले में पदस्थापित नहीं किया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती 2018 में चयनित दृष्टिहीन दिव्यांग को गृह जिले में नियुक्ति नहीं देने पर प्रमुख शिक्षा सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक से जवाब तलब किया है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश टोंक निवासी विभा शर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने अदालत को बताया कि दिव्यांग याचिकाकर्ता का भर्ती में चयन होने के बाद विभाग ने उसे स्वयं के गृह जिले में नियुक्ति देने के बजाय 400 किलोमीटर दूर जोधपुर जिला आवंटित कर दिया. जबकि याचिकाकर्ता से कम अंक वाले अभ्यर्थियों को आसपास के जिले आवंटित किए गए हैं.

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याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता 100 फीसदी दृष्टिबाधित होने के चलते स्वयं के कार्य भी अकेले करने में असमर्थ है. वहीं, प्रशासनिक सुधार विभाग ने 21 अगस्त, 2008 को परिपत्र जारी कर दिव्यांग को इच्छित स्थान पर पदस्थापित करने के निर्देश दे रखे हैं.

इसके बावजूद भी याचिकाकर्ता को उसके गृह जिले में पदस्थापित नहीं किया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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