जयपुर. लक्ष्मीनारायण जी के मंदिर से जुड़े विवाद मामले में (Case of Inciting Religious Sentiments in Jaipu) हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ ने यह आदेश भारत शर्मा की आपराधिक याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता दिनेश पाठक ने कहा कि याचिकाकर्ता पर मंदिर के ऊपर स्थित शिव मंदिर के शिखर पर षड्यंत्र पूर्वक कपड़ा लगाकर धर्म विशेष का धार्मिक स्थल बनाने के विरोध में सोशल मीडिया पर वीडियो चलाने का आरोप है. इसके चलते उसके खिलाफ माणक चौक थाना पुलिस ने गत 31 जनवरी को धार्मिक भावनाएं भड़काने का मामला दर्ज कर लिया, जबकि इससे पूर्व याचिकाकर्ता ने भी 18 जनवरी को थाने में इस संबंध में शिकायत दर्ज कर घटना की जानकारी दी थी.
याचिका में कहा गया कि प्रकरण में धार्मिक भावनाएं भड़काने का मामला (HC on Temple Dispute) नहीं बनता है. ऐसे में उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने जिम्मेदार अधिकारी से जानकारी मांगते हुए याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.
औद्योगिक क्षेत्र के लिए जमीन अवाप्ति को लेकर यथास्थिति के आदेश...
एक और मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने किशनगढ़ औद्योगिक क्षेत्र के छठे फेज के लिए जमीन अवाप्ति के मामले में विवादित 135 बीघा जमीन पर कब्जे और टाइटल पर दोनों पक्षों को यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं. सीजे अकील कुरैशी और जस्टिस सुदेश बंसल की खंडपीठ ने यह आदेश रामगोपाल यादव की अपील पर दिए. अपील में कहा गया कि राज्य सरकार ने 3 जुलाई 2013 को रीको के औद्योगिक पार्क के लिए 541 बीघा जमीन अवाप्ति का नोटिफिकेशन जारी किया. इसके साथ ही अपीलार्थी की 135 बीघा जमीन अवाप्ति की भी प्रक्रिया शुरू कर दी.
इसी दौरान एक अप्रैल 2014 से नया भूमि अवाप्ति कानून लागू हो गया, लेकिन भूमि अवाप्ति अधिकारी ने एक जुलाई 2015 को अवार्ड आदेश जारी किया. इसे एकलपीठ में चुनौती देते हुए कहा कि एक्ट 2013 के सेक्शन 25 के तहत यदि एक साल की अवधि में अवार्ड जारी नहीं होता है तो उस स्थिति में भूमि अवाप्ति की कार्रवाई रद्द हो जाती है. इस मामले में भी एक साल की तय अवधि में भूमि अवाप्ति का अवार्ड जारी नहीं किया है. वहीं, एकलपीठ ने अपीलार्थी की याचिका को खारिज कर दिया. ऐसे में एकलपीठ के आदेश को रद्द करते हुए अवाप्ति को अवैध घोषित किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मामले में यथास्थिति के आदेश दिए हैं.
कल्याण कोष में अनियमितता को लेकर होमगार्ड डीजी को पेश होने के आदेश...
राजस्थान हाईकोर्ट ने होमगार्ड के कल्याण निधि कोष के उपयोग में अनियमितता के मामले में होमगार्ड डीजी को 7 मार्च को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए हैं. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश होमगार्ड्स समन्वय समिति की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता डॉ. अभिनव शर्मा ने अदालत को बताया कि वर्ष 1988 के केंद्रीय कानून के तहत प्रदेश में होमगार्ड के दैनिक वेतन में से दस फीसदी राशि की कटौती कर इसका उपयोग होमगार्ड के कल्याण के लिए किया जाता है.
इस कोष में करीब 26 करोड रुपए जमा हुए हैं. याचिका में कहा गया कि इस कोष कोई ऑडिट नहीं किया जाता और इसकी राशि को पुलिस विभाग के अधिकारियों पर खर्च की जाती है. याचिका में आरटीआई में मिली जानकारी का हवाला देते हुए कहा गया कि विभाग ने इस कोष से वाटर कूलर, टीनशेड, बेंच और आलाधिकारियों के लिए टेबल-कुर्सी और कारें खरीदी हैं. याचिका में आरोप लगाया गया होमगार्ड कल्याण के नाम पर काटे गए पैसे अधिकारी अपने साज सज्जा के काम में ले रहे हैं. इसके अलावा होमगार्ड को पीपीएफ का लाभ भी नहीं दिया जा रहा है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने होमगार्ड डीजी को पेश होकर इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण देने को कहा है.