जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आयुर्वेद विभाग से पूछा है कि अभ्यर्थियों की बीएएमएस की इंटर्नशिप में देरी के कारण इन्हें आयुर्वेद चिकित्सक भर्ती में शामिल क्यों नहीं किया जा रहा है. न्यायाधीश अरुण भंसाली की एकलपीठ ने यह आदेश डॉ. अजय कुमार व अन्य की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता हनुमान चौधरी और अधिवक्ता तरुण चौधरी ने अदालत को बताया कि आयुर्वेद विभाग ने दिसंबर 2020 को आयुर्वेद चिकित्सकों की भर्ती निकाली थी. वहीं गत जून माह में भर्ती का संशोधित विज्ञापन जारी किया गया. भर्ती नियमों के तहत बीएएमएस के अंतिम वर्ष में शामिल अभ्यर्थियों को भी दस्तावेज सत्यापन के दौरान पात्रता पूरी होने की शर्त के साथ पात्र माना गया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं को भर्ती से पूर्व ही प्रोविजनल डिग्री मिल चुकी है, लेकिन कोरोना के चलते इंटर्नशिप में तीन माह की देरी हुई है. अब उनकी इंटर्नशिप अक्टूबर 2021 में पूरी होगी.
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विभाग याचिकाकर्ताओं को इंटर्नशिप पूरी नहीं होने का हवाला देकर दस्तोवज सत्यापन की प्रक्रिया में शामिल नहीं कर रहा है. जबकि कोरोना को देखते हुए दूसरी कई भर्तियों में छूट दी जा रही है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.