ETV Bharat / city

Special : कच्ची उम्र में विवाह का दंश, बाल विवाह रोकने में राजस्थान सरकार नाकाम

कभी निरक्षरता, कभी परंपरा तो कभी अंध विश्वास का हवाला देकर समाज में बाल विवाह जैसी कुप्रथा को अंजाम दिया जा रहा है. प्रदेश में तमाम जागरूकता कार्यक्रमों, प्रचार और कानून बनाए जाने के बाद भी बाल विवाह पर रोक नहीं लग पा रही है. ग्रामीण इलाकों में अभी भी लोग सामाजिक प्रथा और पारिवारिक दबाव में बाल विवाह करा रहे हैं. यही कारण है कि देश में बाल विवाह के मामले भी राजस्थान में तेजी से बढ़ रहे हैं.

Increasing cases of child marriage
बाल विवाह के बढ़ रहे मामले
author img

By

Published : Nov 22, 2020, 6:17 PM IST

जयपुर. बाल विवाह सामाजिक कुरीति ही नहीं, एक बहुत बड़ा अपराध भी है. यह ऐसा अपराध है जो न केवल बच्चों से उनके शिक्षा का अधिकार, बल्कि उनका बचपन भी छीन लेता है. देश में राजस्थान बाल विवाह के मामलों में शीर्ष पर है. इसके बाद भी बाल विवाह के खिलाफ दर्ज होने वाले प्रकरणों में राजस्थान पूरे देश में फिसड्डी साबित हो रहा है. जानकारों की माने तो बाल विवाह के मामले प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन पुलिस तक उनकी शिकायतें काफी पहुंच रही है, जो कि काफी चिंता का विषय है.

बाल विवाह के बढ़ रहे मामले

जागरूकता की कमी के चलते जबरन बाल विवाह कराने की शिकायतें प्रशासन को काफी कम मिलती हैं. बाल विवाह का विरोध करने वालों को भी डरा-धमका कर चुप करा दिया जाता है जिस कारण भी शिकायतें प्रशासन तक नहीं पहुंच पाती हैं.

राजस्थान के ग्रामीण इलाके और पिछड़े इलाकों में 18 वर्ष से कम उम्र के किशोर और किशोरी की शादी समाज और पारिवारिक दबाव के चलते जबरन करवाई जाती है. पूरे भारत में राजस्थान बाल विवाह कराने के मामले में पहले स्थान पर है तो वहीं आसाम, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, गुजरात समेत विभिन्न राज्यों में भी इस तरह के मामले देखने को मिलते हैं. राजस्थान की तुलना में अन्य राज्यों में बाल विवाह को लेकर लोग अधिक जागरूक हैं जिसके चलते प्रशासन को इसकी शिकायतें भी ज्यादा प्राप्त होती हैं. प्रशासन भी जबरन बाल विवाह कराने वाले लोगों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करता है.

यह भी पढ़ें: Special: लव जिहाद कानून को लेकर भड़की सियासत के बीच क्या सोचता है बुद्धिजीवी वर्ग, आप भी जानिए...

2006 में चाइल्ड मैरिज एक्ट आने के बावजूद राजस्थान में शिकायतें बेहद कम

समाजसेवी विजय गोयल ने बताया कि वर्ष 2006 में चाइल्ड मैरिज एक्ट आने के बावजूद राजस्थान में बाल विवाह कराने वाले लोगों के खिलाफ बेहद कम शिकायतें दर्ज की जा रही हैं. जबकि जानकारों की माने तो पूरे देश में सर्वाधिक बाल विवाह राजस्थान में ही हो रहे हैं. राजस्थान की तुलना में अन्य राज्यों में चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत दर्ज होने वाले प्रकरणों की संख्या काफी अधिक है. इसको लेकर सरकार भी काफी चिंतित है और सरकार की ओर से अलग-अलग स्थानों पर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को चाइल्ड मैरिज एक्ट के बारे में बताया जा रहा है और लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है.

Lack of education is the main reason for child marriage
शिक्षा का अभाव बाल विवाह मुख्य कारण

समझाइश के साथ कानूनी कार्रवाई बेहद जरूरी

विजय गोयल ने बताया कि प्रदेश में बाल विवाह रोकने के लिए जागरूकता और लोगों से समझाइश के साथ कानूनी कार्रवाई भी बेहद जरूरी है. वर्तमान में बाल विवाह कराने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कम की जा रही है. यही कारण है कि बाल विवाह कराने को लेकर लोगों में कानून या सजा का कोई भय नहीं दिख रहा है. यदि बाल विवाह कराने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए तो प्रदेश में बाल विवाह के प्रकरणों में काफी कमी दर्ज की जा सकती है. एनसीआरबी की ओर से जारी किए गए आंकड़ों पर यदि नजर डाली जाए तो वर्ष 2019 में राजस्थान में चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत जबरन बाल विवाह कराने वालों के विरुद्ध महज 20 प्रकरण ही दर्ज किए गए हैं, जबकि वास्तविकता इससे काफी अलग है.

यह भी पढ़ें: SPECIAL: ये कैसी मजबूरी...करनी पड़ रही मजदूरी, नेशनल खेल चुके जूडो खिलाड़ी ढो रहे बोरियां

एनसीआरबी के चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत वर्ष 2019 में बाल विवाह के दर्ज हुए प्रकरणों की राज्यवार स्थिति

  • आसाम- 115
  • कर्नाटक-105
  • पश्चिम बंगाल-70
  • तेलंगाना- 35
  • गुजरात- 21
  • हरियाणा- 20
  • महाराष्ट्र- 20
  • राजस्थान- 20

जयपुर. बाल विवाह सामाजिक कुरीति ही नहीं, एक बहुत बड़ा अपराध भी है. यह ऐसा अपराध है जो न केवल बच्चों से उनके शिक्षा का अधिकार, बल्कि उनका बचपन भी छीन लेता है. देश में राजस्थान बाल विवाह के मामलों में शीर्ष पर है. इसके बाद भी बाल विवाह के खिलाफ दर्ज होने वाले प्रकरणों में राजस्थान पूरे देश में फिसड्डी साबित हो रहा है. जानकारों की माने तो बाल विवाह के मामले प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन पुलिस तक उनकी शिकायतें काफी पहुंच रही है, जो कि काफी चिंता का विषय है.

बाल विवाह के बढ़ रहे मामले

जागरूकता की कमी के चलते जबरन बाल विवाह कराने की शिकायतें प्रशासन को काफी कम मिलती हैं. बाल विवाह का विरोध करने वालों को भी डरा-धमका कर चुप करा दिया जाता है जिस कारण भी शिकायतें प्रशासन तक नहीं पहुंच पाती हैं.

राजस्थान के ग्रामीण इलाके और पिछड़े इलाकों में 18 वर्ष से कम उम्र के किशोर और किशोरी की शादी समाज और पारिवारिक दबाव के चलते जबरन करवाई जाती है. पूरे भारत में राजस्थान बाल विवाह कराने के मामले में पहले स्थान पर है तो वहीं आसाम, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, गुजरात समेत विभिन्न राज्यों में भी इस तरह के मामले देखने को मिलते हैं. राजस्थान की तुलना में अन्य राज्यों में बाल विवाह को लेकर लोग अधिक जागरूक हैं जिसके चलते प्रशासन को इसकी शिकायतें भी ज्यादा प्राप्त होती हैं. प्रशासन भी जबरन बाल विवाह कराने वाले लोगों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करता है.

यह भी पढ़ें: Special: लव जिहाद कानून को लेकर भड़की सियासत के बीच क्या सोचता है बुद्धिजीवी वर्ग, आप भी जानिए...

2006 में चाइल्ड मैरिज एक्ट आने के बावजूद राजस्थान में शिकायतें बेहद कम

समाजसेवी विजय गोयल ने बताया कि वर्ष 2006 में चाइल्ड मैरिज एक्ट आने के बावजूद राजस्थान में बाल विवाह कराने वाले लोगों के खिलाफ बेहद कम शिकायतें दर्ज की जा रही हैं. जबकि जानकारों की माने तो पूरे देश में सर्वाधिक बाल विवाह राजस्थान में ही हो रहे हैं. राजस्थान की तुलना में अन्य राज्यों में चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत दर्ज होने वाले प्रकरणों की संख्या काफी अधिक है. इसको लेकर सरकार भी काफी चिंतित है और सरकार की ओर से अलग-अलग स्थानों पर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को चाइल्ड मैरिज एक्ट के बारे में बताया जा रहा है और लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है.

Lack of education is the main reason for child marriage
शिक्षा का अभाव बाल विवाह मुख्य कारण

समझाइश के साथ कानूनी कार्रवाई बेहद जरूरी

विजय गोयल ने बताया कि प्रदेश में बाल विवाह रोकने के लिए जागरूकता और लोगों से समझाइश के साथ कानूनी कार्रवाई भी बेहद जरूरी है. वर्तमान में बाल विवाह कराने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कम की जा रही है. यही कारण है कि बाल विवाह कराने को लेकर लोगों में कानून या सजा का कोई भय नहीं दिख रहा है. यदि बाल विवाह कराने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए तो प्रदेश में बाल विवाह के प्रकरणों में काफी कमी दर्ज की जा सकती है. एनसीआरबी की ओर से जारी किए गए आंकड़ों पर यदि नजर डाली जाए तो वर्ष 2019 में राजस्थान में चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत जबरन बाल विवाह कराने वालों के विरुद्ध महज 20 प्रकरण ही दर्ज किए गए हैं, जबकि वास्तविकता इससे काफी अलग है.

यह भी पढ़ें: SPECIAL: ये कैसी मजबूरी...करनी पड़ रही मजदूरी, नेशनल खेल चुके जूडो खिलाड़ी ढो रहे बोरियां

एनसीआरबी के चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत वर्ष 2019 में बाल विवाह के दर्ज हुए प्रकरणों की राज्यवार स्थिति

  • आसाम- 115
  • कर्नाटक-105
  • पश्चिम बंगाल-70
  • तेलंगाना- 35
  • गुजरात- 21
  • हरियाणा- 20
  • महाराष्ट्र- 20
  • राजस्थान- 20
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.