जयपुर. बाल विवाह सामाजिक कुरीति ही नहीं, एक बहुत बड़ा अपराध भी है. यह ऐसा अपराध है जो न केवल बच्चों से उनके शिक्षा का अधिकार, बल्कि उनका बचपन भी छीन लेता है. देश में राजस्थान बाल विवाह के मामलों में शीर्ष पर है. इसके बाद भी बाल विवाह के खिलाफ दर्ज होने वाले प्रकरणों में राजस्थान पूरे देश में फिसड्डी साबित हो रहा है. जानकारों की माने तो बाल विवाह के मामले प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन पुलिस तक उनकी शिकायतें काफी पहुंच रही है, जो कि काफी चिंता का विषय है.
जागरूकता की कमी के चलते जबरन बाल विवाह कराने की शिकायतें प्रशासन को काफी कम मिलती हैं. बाल विवाह का विरोध करने वालों को भी डरा-धमका कर चुप करा दिया जाता है जिस कारण भी शिकायतें प्रशासन तक नहीं पहुंच पाती हैं.
राजस्थान के ग्रामीण इलाके और पिछड़े इलाकों में 18 वर्ष से कम उम्र के किशोर और किशोरी की शादी समाज और पारिवारिक दबाव के चलते जबरन करवाई जाती है. पूरे भारत में राजस्थान बाल विवाह कराने के मामले में पहले स्थान पर है तो वहीं आसाम, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, गुजरात समेत विभिन्न राज्यों में भी इस तरह के मामले देखने को मिलते हैं. राजस्थान की तुलना में अन्य राज्यों में बाल विवाह को लेकर लोग अधिक जागरूक हैं जिसके चलते प्रशासन को इसकी शिकायतें भी ज्यादा प्राप्त होती हैं. प्रशासन भी जबरन बाल विवाह कराने वाले लोगों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करता है.
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2006 में चाइल्ड मैरिज एक्ट आने के बावजूद राजस्थान में शिकायतें बेहद कम
समाजसेवी विजय गोयल ने बताया कि वर्ष 2006 में चाइल्ड मैरिज एक्ट आने के बावजूद राजस्थान में बाल विवाह कराने वाले लोगों के खिलाफ बेहद कम शिकायतें दर्ज की जा रही हैं. जबकि जानकारों की माने तो पूरे देश में सर्वाधिक बाल विवाह राजस्थान में ही हो रहे हैं. राजस्थान की तुलना में अन्य राज्यों में चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत दर्ज होने वाले प्रकरणों की संख्या काफी अधिक है. इसको लेकर सरकार भी काफी चिंतित है और सरकार की ओर से अलग-अलग स्थानों पर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को चाइल्ड मैरिज एक्ट के बारे में बताया जा रहा है और लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है.
समझाइश के साथ कानूनी कार्रवाई बेहद जरूरी
विजय गोयल ने बताया कि प्रदेश में बाल विवाह रोकने के लिए जागरूकता और लोगों से समझाइश के साथ कानूनी कार्रवाई भी बेहद जरूरी है. वर्तमान में बाल विवाह कराने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कम की जा रही है. यही कारण है कि बाल विवाह कराने को लेकर लोगों में कानून या सजा का कोई भय नहीं दिख रहा है. यदि बाल विवाह कराने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए तो प्रदेश में बाल विवाह के प्रकरणों में काफी कमी दर्ज की जा सकती है. एनसीआरबी की ओर से जारी किए गए आंकड़ों पर यदि नजर डाली जाए तो वर्ष 2019 में राजस्थान में चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत जबरन बाल विवाह कराने वालों के विरुद्ध महज 20 प्रकरण ही दर्ज किए गए हैं, जबकि वास्तविकता इससे काफी अलग है.
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एनसीआरबी के चाइल्ड मैरिज एक्ट के तहत वर्ष 2019 में बाल विवाह के दर्ज हुए प्रकरणों की राज्यवार स्थिति
- आसाम- 115
- कर्नाटक-105
- पश्चिम बंगाल-70
- तेलंगाना- 35
- गुजरात- 21
- हरियाणा- 20
- महाराष्ट्र- 20
- राजस्थान- 20