जयपुर. राजस्थान में कैबिनेट पुनर्गठन (Cabinet Re-organization in Rajasthan) के बाद अब हर किसी की नजर राजस्थान में संगठन विस्तार (Organization Expansion in Rajasthan) पर है. इसके लिए उम्मीद जताई जा रही थी कि राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) के 39 जिला अध्यक्षों में से आधे जिला अध्यक्षों की घोषणा पहले चरण में नवंबर के अंतिम सप्ताह या दिसंबर के पहले सप्ताह तक हो जाएगी. लेकिन इसी बीच कांग्रेस पार्टी ने 12 दिसंबर को दिल्ली में महंगाई और केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ बड़ी रैली की घोषणा कर दी है.
ऐसे में अब यह साफ हो गया है कि 12 दिसंबर से पहले किसी हालत में जिला अध्यक्षों की घोषणा नहीं होगी. कारण साफ है कि अगर 12 दिसंबर से पहले जिला अध्यक्षों की घोषणा होती है तो ऐसे में जिलाध्यक्ष नहीं बन पाए नाराज नेता और उनके समर्थक दिल्ली की रैली से दूरी बना सकते हैं. जिसके चलते कांग्रेस पार्टी की ओर से दिल्ली जाने वाले कार्यकर्ताओं की संख्या पर असर पड़ सकता है.
अब राजस्थान कांग्रेस में होंगे 42 जिला अध्यक्ष
राजस्थान में इस बार जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगम के दो हिस्से किए गए. जिसके चलते इन तीनों नगर निगम में तीन की बजाय 6 महापौर बने. अब यही फॉर्मूला राजस्थान में कांग्रेस पार्टी अपने जिला अध्यक्षों को लेकर भी अपनाने जा रही है. जयपुर, जोधपुर और कोटा शहर में अब तीन की जगह 6 जिला अध्यक्ष बनाए जाएंगे. इस फार्मूले के जरिए कांग्रेस पार्टी चाहती है कि वह अपने उन प्रमुख नेताओं को जिला अध्यक्ष बना सके जो योग्य है. लेकिन एक ही जिला अध्यक्ष बनने के चलते उनका नंबर कट जाता. ऐसे में अब राजस्थान में जहां कांग्रेस संगठन के अब तक 39 जिला अध्यक्ष बनते थे तो अब यह संख्या बढ़कर 42 हो जाएगी.
जिला अध्यक्ष बनाने का बना फार्मूला
राजस्थान में जयपुर, जोधपुर और कोटा में अब 2-2 जिला अध्यक्ष बनाए जाएंगे. इसके जरिए कांग्रेस पार्टी अपने और मुस्लिम वोट बैंक को साधने का भी प्रयास कर रही है. कांग्रेस पार्टी ने जो नया फॉर्मूला जिला अध्यक्षों को लेकर बनाया है, उसके तहत इन तीनों जिलों में 1-1 जिला अध्यक्ष मुस्लिम अल्पसंख्यक बनाया जाएगा.
लेकिन इस फार्मूले के लागू होने के बाद जहां एक ओर कांग्रेस अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने की कवायद कर रही है, तो दूसरी ओर जिस सॉफ्ट हिंदुत्व पर कांग्रेस पार्टी अब तक काम कर रही थी उस पर एक झटका कांग्रेस को लग सकता है. इसका कारण यह है कि खुद कांग्रेस के ही अंदर खाने से नेता नाराज हो गए हैं और वे तीन जिलाध्यक्ष मुस्लिम अल्पसंख्यक बनाए जाने के फॉर्मूले को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं.