जयपुर. राजस्थान का बजट सत्र 9 फरवरी से शुरू होने जा रहा है, क्योंकि बजट सत्र है ऐसे में इसे सबसे महत्वपूर्ण सत्र माना जाता है. इस सत्र से पहले भाजपा सत्ता पक्ष को किसान कर्ज माफी, प्रदेश में अपराध और दुष्कर्म के बढ़ते मामलों को लेकर घेरने की पूरी तैयारी कर रहा है. वहीं, अब प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सरकार के बचाव के लिए इस बार पूरे 29 मंत्री दिखाई देंगे, लेकिन कैबिनेट विस्तार में सरकार ने विधानसभा में फ्लोर मैनेजमेंट का काम संभाल रहे महेश जोशी को पीएचईडी मंत्री बना दिया है.
इसलिए सरकार के सामने नई मुश्किल यह आ खड़ी हुई है कि विधानसभा में अब बिना मुख्य सचेतक के फ्लोर मैनेजमेंट का काम (Gehlot Government Preperation for Budget Session) कौन संभालेगा. क्योंकि अब तक के काम मुख्य सचेतक के तौर पर महेश जोशी संभाल रहे थे, लेकिन अब महेश जोशी क्योंकि पीएचईडी मंत्री (Floor Management Problem For Gehlot Government) बन गए हैं तो सरकार को नया मुख्य सचेतक ढूंढना होगा.
पायलट कैंप के दावे से भी अटक सकता है मुख्य सचेतक पद, महेंद्र चौधरी को दिया जा सकता है चार्ज...
राजस्थान विधानसभा में उपाध्यक्ष और मुख्य सचेतक के पद खाली हैं. दोनों में से एक पद पर पायलट कैंप भी अपना दावा पेश करेगा. ऐसे में लगता नहीं है कि आसानी से इन दोनों पदों पर नियुक्ति हो सकेगी. इस स्थिति में सरकार के पास दो ही रास्ते हैं कि या तो उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी को अधिकारिक रूप से मुख्य सचेतक बना दिया जाए या फिर महेंद्र चौधरी को ही मुख्य सचेतक का चार्ज दे दिया जाए. लेकिन अभी के राजनीतिक हालातों में यही लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी राजस्थान में किसी भी विवादित निर्णय से बचेगी. ऐसे में उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी को ही मुख्य सचेतक ना बनाकर मुख्य सचेतक की भूमिका दे दी जाए.
महेश जोशी ने दिए ये संकेत...
अब तक प्रदेश में मुख्य सचेतक की भूमिका निभा रहे महेश जोशी ने भी पीएचईडी मंत्री बनने के बाद यह संकेत दिया है कि बजट सत्र से पहले मुख्य सचेतक बनाना सरकार के लिए आवश्यक नहीं होता है. उन्होंने कहा कि मुख्य सचेतक का पद संवैधानिक पद नहीं होता. ऐसे में सरकार अपने कामों से विपक्ष का सामना करेगी और जहां तक मुख्य सचेतक के पद की बात है तो इसे उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी (Mahendra Choudhary May Play Important Role in Rajasthan) संभालने में पूरी तरीके से सक्षम हैं.
मुखसचेतक न सही, लेकिन 3 साल में पहली बार पूरे मंत्रिमंडल के साथ विधानसभा में होगी सरकार...
सरकारी मुख्य सचेतक की नियुक्ति हो या नहीं हो, लेकिन 3 साल में पहली बार इस बजट सत्र में यह देखने को मिलेगा कि सरकार पूरे मंत्रिमंडल (पूरी संख्या) के साथ विधानसभा सत्र में दिखाई देगी. आपको बता दें कि इससे पहले भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब अपना पहला मंत्रिमंडल बनाया था उसमें 25 मंत्री थे, जबकि राजस्थान में मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत कुल 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं. लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार में इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरे 29 मंत्री बना दिए हैं. ऐसे में सरकार के पास भले ही आधिकारिक रूप से मुख्य सचेतक ना हो, लेकिन अपने 29 मंत्रियों के सहारे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विपक्ष से किसानों के कर्ज माफी प्रदेश में अपराध और दुष्कर्म जैसी घटनाओं पर अपने मंत्रियों के तर्कों के साथ मुकाबला करती दिखाई देगी.
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राजनीतिक नियुक्तियों और राज्यसभा चुनाव से पहले मुख सचेतक या उपाध्यक्ष बनाने से हो सकती है नाराजगी...
विधानसभा सत्र से पहले मुख्य सचेतक और उपाध्यक्ष बनाए जाने की संभावनाएं इसलिए भी कमजोर है, क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस कार्यकर्ता पिछले 3 साल से अपने लिए राजनीतिक नियुक्ति की बाट जोह रहा है. लेकिन अब तक उसका राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार पूरा नहीं हुआ है. लेकिन अगर सरकार राजनीतिक नियुक्तियों से पहले विधायकों को मुख्य सचेतक या उपाध्यक्ष पद दे देती है तो इससे कांग्रेस नेताओं में नाराजगी पैदा हो सकती है. वहीं, दूसरी दिक्कत सरकार के सामने यह है कि राजस्थान में जुलाई में राज्यसभा चुनाव भी होने हैं. ऐसे में चुनाव से पहले अगर किसी को यह पद दिए जाएंगे तो इससे बाकी विधायकों के नाराज होने का भी खतरा हो सकता है. वहीं, सचिन पायलट कैंप भी अपने लिए एक पद की मांग करेगा तो ऐसे में इन सभी विवादों से बचने के लिए लगता नहीं है कि सरकार विधानसभा सत्र में कोई नियुक्ति देगी.