जयपुर. प्रदेश में पक्षियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. बर्ड फ्लू से ज्यादातर कौओं की मौत हो रही है. पूरे प्रदेश में शुक्रवार को एक दिन में 244 पक्षियों की मौत हुई है, जिनमें 134 कौए, 14 मोर, 49 कबूतर और 47 अन्य पक्षी शामिल हैं. प्रदेश में अब तक 4,915 पक्षियों की मौत हो चुकी है. जिनमें 3495 कौए, 261 मोर, 367 कबूतर और 792 अन्य पक्षियों की मौत हुई हैं.
जयपुर चिड़ियाघर में भी बर्ड फ्लू की पुष्टि हो चुकी है, जिसके बाद चिड़ियाघर के पक्षियों की जान को भी खतरा बढ़ गया है. 15 जनवरी को प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 16 जिलों में 66 नमूने पॉजिटिव पाए गए हैं. राजस्थान में करीब 16 जिले बर्ड फ्लू से प्रभावित हुए हैं. प्रदेश में 27 जिलों से 266 सैंपल जांच के लिए भोपाल लैब में भेजे जा चुके हैं. जयपुर में एक दिन में ही 95 पक्षियों की मौत हुई है, जिनमें से 73 कौए, 17 कबूतर और 5 अन्य पक्षियों की मौत हुई है। जयपुर में अब तक 968 पक्षियों की मौत हो चुकी है, जिनमें 854 कौए, 4 मोर, 53 कबूतर, 4 मुर्गी और 53 अन्य पक्षी शामिल हैं.
पूरे प्रदेश की बात की जाए तो जयपुर में 95, अलवर में 02, दौसा में 0, झुंझुनू में 26, सीकर में 03, अजमेर में 0, नागौर में 02, कुचामन सिटी में 02, टोंक में 06, भरतपुर में 08, सवाई माधोपुर में 01, बीकानेर में 6, श्रीगंगानगर में 02, जोधपुर में 15, बाड़मेर में 04, जैसलमेर में 03, जालौर में 02, पाली में 08, कोटा में 16, बारां में 12, बूंदी में 03, झालावाड़ में 16, बांसवाड़ा में 01, चित्तौड़गढ़ में 11 पक्षियों की मौत हुई है. प्रदेश के सभी चिड़ियाघरों में विशेष निगरानी और सतर्कता बरती जा रही है. मृत पक्षियों के डिस्पोजल और सैंपल कलेक्शन के दौरान पूर्ण सावधानी बरती के भी निर्देश दिए गए हैं.
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पशुपालन विभाग, वन विभाग और स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ाई है. पोल्ट्री फार्म पर विशेष निगरानी रखी जा रही है. सबसे पहले झालावाड़ में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी. 25 दिसंबर को पहली बार झालावाड़ में कौए के मरने की सूचना मिली थी. जिसके बाद 27 दिसंबर को मरने के कारणों की जांच के लिए सैंपल भोपाल में भेजे गए. जहां बर्ड फ्लू होने की पुष्टि हुई. इसके बाद लगातार प्रदेश में कौओं के मरने के मामले सामने आ रहे हैं.
जयपुर चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद वन विभाग ने विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं. साथ ही जू में हाइपोक्लोराइट सोडियम का छिड़काव भी किया जा रहा है और पर्यटकों के लिए चिड़ियाघर को बंद भी किया गया है. इसके साथ ही वन कर्मियों को भी पीपीई किट पहनकर पक्षियों की देखरेख करने के लिए निर्देशित किया गया है.
पतंगबाजी से 300 से ज्यादा पक्षी हुए घायल
जहां एक तरफ बर्ड फ्लू का खतरा तो वहीं बेजुबान परिंदों के लिए मकर संक्रांति पर पतंगबाजी भी जान पर आफत बन गई. 14 जनवरी को मकर सक्रांति के दिन जयपुर शहर में 400 से ज्यादा पक्षी घायल हुए थे. मकर सक्रांति के दूसरे दिन 15 जनवरी को करीब 300 से ज्यादा पक्षी जयपुर शहर में घायल हुए हैं. वहीं करीब तीन दर्जन पक्षियों की मौत भी हुई है. घायल पक्षियों के इलाज के लिए वन विभाग ने स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से जयपुर में 4 जगहों पर पक्षी उपचार केंद्र बनाए हैं. इस बार कोरोना, बर्ड फ्लू के चलते ज्यादा शिविर लगाने की अनुमति नहीं मिली. निर्धारित चुनिंदा स्थानों पर ही पक्षी उपचार शिविर लगाए गए. हालांकि स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा पक्षियों को उपचार देने के लिए काफी बेहतर प्रयास किए गए. 13 जनवरी से 15 जनवरी तक के लिए जयपुर शहर में पक्षी उपचार शिविर लगाए गए.
पिछले वर्षों में पक्षियों के उपचार के लिए 50 से अधिक शिविर जयपुर शहर में लगाया जाते थे, लेकिन इस बार बर्ड फ्लू के चलते केवल 4 जगह पर ही शिविर लगाए गए हैं. क्योंकि इंसानों में बर्ड फ्लू फैलने का खतरा रहता है. इसी को देखते हुए कम शिविर लगाए गए हैं और सावधानीपूर्वक पक्षियों को रेस्क्यू करने के लिए निर्देशित किया गया है.