जयपुर. वेतन विसंगति, वेतन सुधार, पदोन्नति के अवसरों, भत्तों की निरंतरता और उपयोगिता जैसे मामलों में कर्मचारियों की मांगों पर सुनवाई करने के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार ने एक बार फिर कमेटी का गठन कर दिया. रिटायर्ड आईएएस खेमराज चौधरी (Khemraj Choudhary) की अध्यक्षता में यह कमेटी बनी है.
कमेटी में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी विनोद पंड्या (Vinod Pandya) सदस्य होंगे. इसके साथ वित्त विभाग के अधिकारी कमेटी में शामिल होंगे. लेकिन कमेटी की रिपोर्ट कब आएगी और सरकार इस पर कब एक्शन लेगी, यह बड़ा सवाल है. इसी को लेकर कर्मचारी संगठनों (staff organization) में नाराजगी है.
राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के प्रदेश महामंत्री तेज सिंह राठौड़ (Tej Singh Rathore) ने कहा कि कर्मचारी ढाई साल से सरकार के समक्ष अपनी मांग रखते आ रहे हैं. लेकिन सरकार मांगों पर द्विपक्षीय वार्ता नहीं कर रही है. बल्कि कमेटी बना कर जुमला पकड़ा दिया. उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि सरकार कमेटी को भंग करे और कर्मचारियों से वार्ता कर समाधान निकाले. नहीं तो 14 अगस्त को महासंघ उच्च स्तरीय बैठक कर आंदोलन की रणनीति तय करेगा.
कर्मचारियों की नाराजगी इस बात को लेकर ज्यादा है कि पिछले 5 साल में यह पांचवीं कमेटी है, जो कर्मचारियों की मांगों पर सुनवाई करने के लिए गठित की गई है. एक कमेटी सिफारिश (committee recommendation) करती है तो उस मामले को आगे बढ़ने के लिए इसका परीक्षण करने के लिए दूसरी कमेटी बना दी जाती है. दूसरे के लिए तीसरी और तीसरी चौथी कमेटी बन गई.
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पिछली सरकार में कर्मचारियों की मांगों पर सुनवाई करने के लिए सामंत कमेटी और एसके सोलंकी कमेटी बनी थी. तत्कालीन केबिनेट मंत्री राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathod ) और राजपाल सिंह शेखावत (Rajpal Singh Shekhawat) की अध्यक्षता में भी दो उच्च स्तरीय मंत्री मंडल कमेटी गठित की गई थी. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. डीसी सामंत कमेटी (DC Samant Committee) का गठन वसुंधरा सरकार (vasundhara Government) ने 2017 में किया था.
कमेटी ने मौजूदा सरकार के कार्यकाल में 31 जुलाई 2019 को तत्कालीन एसीएस वित्त निरंजन आर्य (Niranjan Arya) को रिपोर्ट सौंपी थी. अब 2 साल से ज्यादा वक्त बीत जाने पर भी रिपोर्ट स्टेटस परीक्षण के स्तर पर है. राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के हित में नहीं सोच रही है. सरकार को प्रदेश स्तरीय आंदोलन का सामना करना होगा.
सोलंकी कमेटी ने 2018 में तो सामंत कमेटी ने जुलाई 2019 में रिपोर्ट सौंप दी थी. लेकिन रिपोर्ट में क्या सुझाव दिए, उसे सार्वजनिक नहीं किया गया. अब प्रदेश की गहलोत सरकार ने एक और कमेटी गठित कर कर्मचारियों के गुस्से को बढ़ा दिया है. ऐसे में ढाई साल से शांत बैठे कर्मचारियों की नाराजगी साफ़ दिख रही है.