जयपुर. प्रदेश सरकार आमजन को बेहतर इलाज देने के वादे कर रही है. लेकिन राजस्थान में स्वास्थ्य कर्मियों (Health workers recruitment in Rajasthan) की लगातार कमी बनी हुई हैं. इसके अलावा मौजूदा समय में प्रदेश में मौसमी बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ रहा है लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों की कमी होने के कारण समय पर मरीजों को इलाज उपलब्ध नहीं हो पाता है. समय-समय पर सरकार की ओर से स्वास्थ्य कर्मियों के विभिन्न पदों पर भर्ती को लेकर प्रस्ताव तो दिए जाते हैं लेकिन चिकित्सा विभाग समय पर भर्तियां पूरी नहीं कर पा रहा.
मौजूदा समय में प्रदेश में चिकित्सा अधिकारी नर्स ग्रेड द्वितीय, लैब टेक्नीशियन, रेडियोग्राफर समेत कई पदों पर भर्तियां अटकी हुई हैं. हालात यह हैं कि चिकित्सा विभाग भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए तीन बार अधीनस्थ बोर्ड को फाइल भेजी चुकी है. जिसमें 2 बार एमएनआईटी और 1 बार टीसीएस और आईबीपीएस एजेंसी ने भर्ती से जुड़ी प्रक्रिया करने से मना कर दिया. जिसके बाद लंबे समय से भर्ती से जुड़ी फाइलें चकरघिन्नी की तरह इधर से उधर हो रही हैं. इसका खामियाजा बेरोजगारों को भुगतना पड़ रहा है.
यह भर्तियां अटकी
चिकित्सा अधिकारी | 850 पद |
नर्स ग्रेड द्वितीय | 1250 पद |
हॉस्पिटल केयरटेकर | 55 पद |
ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट | 24 पद |
जूनियर साइंटिफिक असिस्टेंट | 22 पद |
लैब टेक्नीशियन | 900 पद |
सहायक रेडियोग्राफर | 800 पद |
महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता | 1155 पद |
फार्मासिस्ट | 1736 पद |
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विभाग के अधिकारी नहीं दे रहे जवाब: मामले को लेकर अभ्यर्थियों का कहना है कि भर्तियों से जुड़ी वित्तीय (Health workers Scarcity in Rajasthan) स्वीकृति मिलने के बाद भी बेरोजगारों को विभाग के अधिकारी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे हैं. कई बार विरोध प्रदर्शन भी किए गए, लेकिन आश्वासन के अलावा बेरोजगारों को कुछ नहीं मिला. ऐसे में अभ्यर्थियों ने चेतावनी दी है कि यदि आने वाले कुछ समय में भर्तियों को लेकर सरकार कोई कदम नहीं उठाती है तो फिर आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी.
इसके अलावा राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि चिकित्सा विभाग की भर्तियों से जुड़े मामले अटक गए हैं. हालात यह है कि विभाग अभी तक एजेंसी ही तय नहीं कर पाया है. जब भर्तियों को लेकर आंदोलन किया जाता है तो सरकार की ओर से मुकदमे दर्ज कर दिए जाते हैं. ऐसे में यदि समय पर भर्तियों को लेकर विभाग या सरकार कोई कदम नहीं उठाती है तो एक बार फिर से बेरोजगार सड़कों पर आंदोलन करेगा.