जयपुर. राजस्थान में अभी प्रशासन शहरों के संग और प्रशासन गांव के संग अभियान चल रहा है. प्रशासन गांव के संग अभियान में पंचायती राज ग्रामीण विकास विभाग की ओर से पट्टा वितरण का काम भी चल रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इस महत्वाकांक्षी योजना में पट्टा वितरण कार्यक्रम में जो जिले सबसे पीछे हैं उन 5 जिलों में राजधानी जयपुर और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला जोधपुर शामिल है. जबकि, पट्टा देने में जो जिले आगे हैं, उनमें पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का टोंक जिला, यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का कोटा और स्वास्थ्य मंत्री का अजमेर जिला है.
दरअसल, प्रशासन गांव के संग अभियान के तहत 11307 ग्राम पंचायतों में से 1658 ग्राम पंचायतों में चुनाव आचार संहिता के चलते अभी कैंप नहीं लगाए जा रहे हैं. बाकी बचे 9649 ग्राम पंचायतों में अभी पट्टे वितरण का काम चल रहा है. प्रशासन गांव के संग अभियान के तहत प्रदेश में 2952 गांवो में कैंप लगाए गए है.
प्रशासन गांव के संग अभियान के तहत लग रहे कैंपों के जरिए पट्टा वितरण करना, घुमंतू-अर्ध घुमंतू की 32 जातियों को पट्टा जारी करना, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत उन 12000 लोगो को पट्टा जारी करना जो घर के लिए एलिजिबल तो हैं लेकिन उनके पास जमीन नहीं है, जनता जल योजना संबंधी शिकायतों का निवारण, जहां अब तक शौचालय नहीं बन सके हैं, उन घरों में शौचालय बनवाना और जिनके शौचालय निर्माण हो चुके हैं, उनको पैसा देने का काम प्रशासन गांव के संग अभियान में किया जा रहा है.
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पट्टा वितरण में जयपुर, जोधपुर पिछड़े तो बांसवाड़ा और कोटा सबसे आगे...
राजस्थान में प्रशासन गांव के संग अभियान के तहत अब तक कैंपों के जरिये 1 लाख 78 हजार 11 पट्टों के आवेदन विभाग को मिले थे. जिनमें से अब तक 1 लाख 48 हजार 139 पट्टे जारी कर दिए हैं, बाकी बचे पट्टों के लिए कार्रवाई जारी है.
इसके साथ ही आपको बता दें कि पट्टा वितरण कार्यक्रम में सर्वाधिक पट्टे देने में बांसवाड़ा, कोटा, टोंक और अजमेर सबसे आगे हैं तो वहीं जयपुर, बारां, हनुमानगढ़, चूरू और जोधपुर सबसे पीछे.