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Special : शहरों से पहले किसानों को बिजली देने की मांग...सरकार बोली- पूरे देश में यही हालात, हम मजबूर - राजस्थान जयपुर की खबर

राजस्थान में किसानों के सामने बड़ी चुनौती आ खड़ी हुई है. कोरोना, अतिवृष्टि और अनावृष्टि झेल रहे किसानों के होश बिजली संकट ने उड़ा दिए हैं. ऐसे में अब किसान संगठनों ने प्रदेश सरकार से शहरों की जगह पहले किसानों को बिजली देने की मांग की है, जबकि गहलोत सरकार ने पूरे देश में बिजली संकट का हवाला दे मजबूरी जाहिर की है. देखिये जयपुर से ये खास रिपोर्ट...

farmer problems in rajasthan
पहले किसानों को बिजली दे सरकार
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Published : Oct 12, 2021, 8:26 PM IST

जयपुर. राजस्थान में बिजली संकट गहराया हुआ है. हालात यह हैं कि राजस्थान की रोजाना की जरूरत 24 कोयले की रैक की है, जबकि अभी 10 रैक ही मिल रहे हैं. ऐसे में दिन-ब-दिन राजस्थान में कोयले की कमी के चलते बिजली संकट गहराता जा रहा है. अभी राजस्थान में डिमांड और सप्लाई के बीच छह करोड़ यूनिट का फर्क है. ऐसे में किसानों की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं.

दरअसल, रोजाना 25 करोड़ यूनिट की जगह अभी राजस्थान में 19 करोड़ यूनिट बिजली मिल रही है, लेकिन सबसे ज्यादा चिंता की बात है कि जब आगामी 10 दिनों बाद किसानों को बिजली की जरूरत के चलते डिमांड 10 से 15 फीसदी तक बढ़ जाएगी, जो रोजाना करीब 27 से 28 करोड़ यूनिट होगी. ऐसे में रबी फसल की बुवाई किसान कैसे करेगा, इसे लेकर सरकार के सामने बड़ी समस्या आने वाली है.

बिजली संकट ने उड़ाए किसानों के होश, गहलोत सरकार मजबूर...

अब किसानों के साथ ही किसान संगठन के नेताओं की ओर से भी यह मांग की जाने लगी है कि बिजली कटौती में गांव शहरों में जो अंतर है और अभी जो गांव से ज्यादा शहरों को बिजली मिलती है, उसे किसानों की अतिरिक्त जरूरत को देखते हुए सरकार शहरों में बिजली की कटौती करे.

किसान को बिजली नहीं मिली तो सिंचाई नहीं होगी और रकबा भी कम होगा...

इधर बिजली कटौती से किसान प्रदेश में आने वाले नुकसान को लेकर आशंकित हो गए हैं. पहले 14 जिलों में अनावृष्टि और फिर जयपुर समेत हाड़ौती और सवाई माधोपुर में अतिवृष्टि से नुकसान झेल चुका किसान बुवाई से पहले सिंचाई के लिए पानी चाहता है. लेकिन बिना बिजली उसे सिंचाई करने में परेशानी हो रही है. कृषि वैज्ञानिक पद्मश्री प्राप्त जगदीश पारीक ने कहा कि
बिजली कटौती से किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है.

पढ़ें : Special: विकास की बाट जोहता भरतपुर, जिम्मेदारों की नज़र-ए-इनायत का इंतजार!

इस समय आगामी फसल के लिए किसानों को तैयारी करनी होती है तो दूसरा सब्जी को भी पानी नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अगर किसानों को बिजली की कटौती के चलते पानी नहीं मिला तो रकबा भी आगामी फसल के समय कम हो जाएगा. ऐसे में सरकार किसान को आठ घंटे से अधिक बिजली दे, क्योंकि किसान दो साल से कोरोना के चलते आर्थिक तौर पर जूझ रहा है. वहीं, किसान नरेंद्र गुर्जर का कहना है कि पहले तो किसानों को बरसात से नुकसान हो गया, अब बिजली की कटौती से नुकसान हो रहा है. फसल बुवाई का समय आ गया और बिजली नहीं आ रही है तो फसल की बुवाई कैसे होगी.

किसान नरेंद्र गुर्जर का कहना है कि काश्तकार का ये समय सिंचाई का समय है. किसान सिंचाई के बाद ही बुवाई और जुताई करता है. उसके बाद गेहूं की पैदावार होगी. अगर किसान समय पर खेत नहीं सिंचेगा तो पैदावार कैसे होगी. पहले ही किसान दूखी है. ऐसे में सरकार किसानों की पीड़ा समझे और बिजली कटौती को रोके.

किसान नेता रामपाल जाट बोले- पहले किसानों को मिले बिजली...

राजस्थान में बिजली कटौती को लेकर किसान संगठन भी आगे आए हैं. किसान नेता रामपाल जाट ने कहा है कि 2002 में जो समझौता राज्य सरकार का किसानों के साथ हुआ था, उसके अनुसार किसानों को पहले बिजली दी जानी थी. वह समझौता लागू हो. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर किसानों को आवश्यकता हो तो पहले शहरों की जगह गांव में बिजली दी जाए.

अतिवृष्टि से किसानों की 3 लाख 69 हजार हेक्टेयर में किसान झेल चुका है नुकसान...

कृषि विभाग की प्रारंभिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार राज्य में अब तक 3 लाख 69 हजार 174 हेक्टेयर क्षेत्र में फसल प्रभावित होना आंका गया है. भारी बारिश से हाड़ौती अंचल एवं सवाई माधोपुर जिले में फसलों को काफी नुकसान हुआ है. कोटा, बारां एवं बूंदी जिलों में सोयाबीन एवं उड़द तथा सवाई माधोपुर जिले में बाजरा एवं उड़द की फसल में नुकसान हुआ है.

पढ़ें : Special : आधुनिकता की होड़ में फीकी पड़ रही गुलाबी नगरी की चमक, धूमिल हो रही ऐतिहासिक विरासत

जयपुर, सीकर, नागौर, करौली, झालावाड़, अलवर, टोंक एवं भरतपुर जिलों में भी कहीं-कहीं ज्यादा बारिश होने से फसलों को नुकसान हुआ है. इसी तरीके से 14 जिलों सिरोही, बांसवाड़ा, बाड़मेर, बीकानेर, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, श्रीगंगानगर, जालोर, झुंझुनू, जैसलमेर, राजसमंद और पाली में कम बारिश से किसानों को नुकसान हुआ.

जयपुर. राजस्थान में बिजली संकट गहराया हुआ है. हालात यह हैं कि राजस्थान की रोजाना की जरूरत 24 कोयले की रैक की है, जबकि अभी 10 रैक ही मिल रहे हैं. ऐसे में दिन-ब-दिन राजस्थान में कोयले की कमी के चलते बिजली संकट गहराता जा रहा है. अभी राजस्थान में डिमांड और सप्लाई के बीच छह करोड़ यूनिट का फर्क है. ऐसे में किसानों की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं.

दरअसल, रोजाना 25 करोड़ यूनिट की जगह अभी राजस्थान में 19 करोड़ यूनिट बिजली मिल रही है, लेकिन सबसे ज्यादा चिंता की बात है कि जब आगामी 10 दिनों बाद किसानों को बिजली की जरूरत के चलते डिमांड 10 से 15 फीसदी तक बढ़ जाएगी, जो रोजाना करीब 27 से 28 करोड़ यूनिट होगी. ऐसे में रबी फसल की बुवाई किसान कैसे करेगा, इसे लेकर सरकार के सामने बड़ी समस्या आने वाली है.

बिजली संकट ने उड़ाए किसानों के होश, गहलोत सरकार मजबूर...

अब किसानों के साथ ही किसान संगठन के नेताओं की ओर से भी यह मांग की जाने लगी है कि बिजली कटौती में गांव शहरों में जो अंतर है और अभी जो गांव से ज्यादा शहरों को बिजली मिलती है, उसे किसानों की अतिरिक्त जरूरत को देखते हुए सरकार शहरों में बिजली की कटौती करे.

किसान को बिजली नहीं मिली तो सिंचाई नहीं होगी और रकबा भी कम होगा...

इधर बिजली कटौती से किसान प्रदेश में आने वाले नुकसान को लेकर आशंकित हो गए हैं. पहले 14 जिलों में अनावृष्टि और फिर जयपुर समेत हाड़ौती और सवाई माधोपुर में अतिवृष्टि से नुकसान झेल चुका किसान बुवाई से पहले सिंचाई के लिए पानी चाहता है. लेकिन बिना बिजली उसे सिंचाई करने में परेशानी हो रही है. कृषि वैज्ञानिक पद्मश्री प्राप्त जगदीश पारीक ने कहा कि
बिजली कटौती से किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है.

पढ़ें : Special: विकास की बाट जोहता भरतपुर, जिम्मेदारों की नज़र-ए-इनायत का इंतजार!

इस समय आगामी फसल के लिए किसानों को तैयारी करनी होती है तो दूसरा सब्जी को भी पानी नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अगर किसानों को बिजली की कटौती के चलते पानी नहीं मिला तो रकबा भी आगामी फसल के समय कम हो जाएगा. ऐसे में सरकार किसान को आठ घंटे से अधिक बिजली दे, क्योंकि किसान दो साल से कोरोना के चलते आर्थिक तौर पर जूझ रहा है. वहीं, किसान नरेंद्र गुर्जर का कहना है कि पहले तो किसानों को बरसात से नुकसान हो गया, अब बिजली की कटौती से नुकसान हो रहा है. फसल बुवाई का समय आ गया और बिजली नहीं आ रही है तो फसल की बुवाई कैसे होगी.

किसान नरेंद्र गुर्जर का कहना है कि काश्तकार का ये समय सिंचाई का समय है. किसान सिंचाई के बाद ही बुवाई और जुताई करता है. उसके बाद गेहूं की पैदावार होगी. अगर किसान समय पर खेत नहीं सिंचेगा तो पैदावार कैसे होगी. पहले ही किसान दूखी है. ऐसे में सरकार किसानों की पीड़ा समझे और बिजली कटौती को रोके.

किसान नेता रामपाल जाट बोले- पहले किसानों को मिले बिजली...

राजस्थान में बिजली कटौती को लेकर किसान संगठन भी आगे आए हैं. किसान नेता रामपाल जाट ने कहा है कि 2002 में जो समझौता राज्य सरकार का किसानों के साथ हुआ था, उसके अनुसार किसानों को पहले बिजली दी जानी थी. वह समझौता लागू हो. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर किसानों को आवश्यकता हो तो पहले शहरों की जगह गांव में बिजली दी जाए.

अतिवृष्टि से किसानों की 3 लाख 69 हजार हेक्टेयर में किसान झेल चुका है नुकसान...

कृषि विभाग की प्रारंभिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार राज्य में अब तक 3 लाख 69 हजार 174 हेक्टेयर क्षेत्र में फसल प्रभावित होना आंका गया है. भारी बारिश से हाड़ौती अंचल एवं सवाई माधोपुर जिले में फसलों को काफी नुकसान हुआ है. कोटा, बारां एवं बूंदी जिलों में सोयाबीन एवं उड़द तथा सवाई माधोपुर जिले में बाजरा एवं उड़द की फसल में नुकसान हुआ है.

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जयपुर, सीकर, नागौर, करौली, झालावाड़, अलवर, टोंक एवं भरतपुर जिलों में भी कहीं-कहीं ज्यादा बारिश होने से फसलों को नुकसान हुआ है. इसी तरीके से 14 जिलों सिरोही, बांसवाड़ा, बाड़मेर, बीकानेर, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, श्रीगंगानगर, जालोर, झुंझुनू, जैसलमेर, राजसमंद और पाली में कम बारिश से किसानों को नुकसान हुआ.

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