जयपुर. प्रदेश की कांग्रेस सरकार में राजनीतिक नियुक्तियों की आस लगाए बैठे कार्यकर्ताओं को लगता है कि अब फरवरी तक इंतजार करना होगा. कारण है प्रदेश में आए निकाय चुनाव और निकाय चुनाव के परफॉर्मेंस को देखकर ही कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तियां दी जाएंगी. यह नियुक्तियां भी कम नहीं, बल्कि 1 लाख 2 हजार होंगी.
कांग्रेस महासचिव और राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा कि निकाय चुनाव के परफॉर्मेंस के आधार पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तियां दी जाएंगी. हालांकि उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि कुछ संवैधानिक नियुक्तियां राजस्थान में निकाय चुनाव से पहले की जाएंगी, क्योंकि यह नियुक्तियां देना जरूरी है. वहीं, प्रदेश की कांग्रेस सरकार ना केवल अपनी सरकार की मजबूती, बल्कि निकाय चुनाव में बेहतर परफॉर्मेंस के लिए बसपा के 6 और 12 निर्दलीय विधायकों को अपने साथ रखने के लिए राजनीतिक नियुक्तियां देने की तैयारी कर रही है. जल्द ही इनमें से कई विधायकों को सत्ता में भागीदार बनाने के लिए बोर्ड और आयोगों के पदों की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
बहुमत के आंकड़े पर फोकस ...
हालांकि इन पदों को लेकर पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी सक्रियता दिखा रहे हैं. कांग्रेस अभी 200 सदस्यों वाली विधानसभा में अपने सहयोगी दल की 1 सीट के साथ 101 सीटों पर है. ऐसे में कांग्रेस 6 बसपा और 12 निर्दलीयों को भी सत्ता में भागीदार बनाकर 119 के बहुमत के आंकड़े पर फोकस कर रही है. बसपा ने कांग्रेस को फिलहाल बाहरी रूप से समर्थन दे रखा है, जबकि 13 में से 12 निर्दलीय विधायक राज्य में सरकार बनने के बाद जयपुर में आयोजित राहुल गांधी के एक कार्यक्रम में कांग्रेस के साथ आए थे. वहीं, हाल ही में हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के राज्यसभा सदस्य के लिए भरे गए फॉर्म पर बसपा और निर्दलीय विधायकों के हस्ताक्षर करवाए गए थे. ऐसे में साफ है कि बसपा और निर्दलीय विधायक फिलहाल कांग्रेस की प्राथमिकता में हैं और कुछ मलाईदार पद भी इन्हें जल्द ही राज्य सरकार की ओर दिए जा सकते हैं.
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'कलंक' हटाने की जद्दोजहद...
इसका कारण यह है कि पार्टी चाहती है कि निकाय चुनाव में यह निर्दलीय और बसपा के विधायक अपने क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों की सहायता करें. जिससे कि लोकसभा चुनाव में 25 की 25 सीटें हारने का कलंक कांग्रेस सरकार पर से हट सके. हालांकि निर्दलीय और बसपा के विधायकों के अलावा जो भी राजनीतिक नियुक्तियां होंगी उनमें 12 संवैधानिक पदों को छोड़कर बाकी नियुक्तियां अब निकाय चुनाव तक के लिए टल गई हैं. पहले विधानसभा में अच्छा परफॉर्मेंस करने के बाद नियुक्तियां नहीं पा सका कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद फिलहाल नियुक्तियां मांगने की स्थिति में नहीं है. वहीं, अब निकाय चुनाव का परफॉर्मेंस तय करेगा कि किस कार्यकर्ता को सरकार में जगह मिलती है. जबकि बोर्ड और निगमों में कुल मिलाकर करीब 1 लाख 2 हजार ऐसे पद हैं जिन्हें राजनीतिक नियुक्ति की श्रेणी में माना जाता है.
इन बोर्डों में हो सकती है निर्दलीय और बसपा के विधायकों की एंट्री...
जानकारों की मानें तो कांग्रेस सरकार जल्द राजस्थान आवासन मण्डल अध्यक्ष, राजस्थान डांग विकास बोर्ड, राज्य महिला आयोग, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान पर्यटन विकास निगम, अनुसूचित जाति आयोग, युवा बोर्ड, किसान आयोग, जन अभाव अभियोग निराकरण समिति, वित्त आयोग, समाज कल्याण बोर्ड, मगरा क्षेत्रीय विकास बोर्ड अध्यक्ष और बीस सूत्री कार्यक्रम उपाध्यक्ष के अलावा एकेडमियों में अध्यक्ष बनाए जाने पर फोकस कर रही है. वहीं, ऐसा भी नहीं है कि केवल बसपा और निर्दलीयों को ही इन बोर्ड, निगमों में स्थान मिलेगा, बल्कि कई बड़े कांग्रेसी नेता भी बड़े आयोग और निगमों में मनोनयन को लेकर लॉबिंग में जुटे हैं.