जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सामाजिक सुरक्षा सहित अन्य योजनाओं में महिलाओं के लिए परित्यक्ता और निराश्रित सहित बांझ जैसे आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग करने के मामले में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव और महिला आयोग सहित अन्य से जवाब मांगा (PIL on use of objectionable words for women) है. सीजे एसएस शिंदे और जस्टिस अनूप ढंड की खंडपीठ ने यह आदेश कुणाल रावत की जनहित याचिका पर दिए.
याचिका में मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा गया कि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में महिलाओं के लिए परित्यक्ता और निराश्रित शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा सरकारी पोर्टल पर भी बांझ जैसा शब्द भी महिलाओं के उपयोग में लाया जा रहा है. जबकि संविधान के आर्टिकल 51 ए ई में महिलाओं के लिए सम्मानजनक शब्दों का उपयोग करने का प्रावधान है. इसके बावजूद राज्य सरकार की कई योजनाओं में ऐसे शब्दों का उपयोग किया जा रहा है. इसलिए अदालत राज्य सरकार को निर्देश दे कि वह सरकारी योजनाओं में महिलाओं के लिए सम्मानजनक व गरिमापूर्ण शब्दों का इस्तेमाल करे. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.