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फोन टैपिंग मामला : स्पीकर से वार्ता के बाद निकला हल...अब सदन में होगी चर्चा, सरकार देगी जवाब

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Published : Mar 16, 2021, 8:53 PM IST

फोन टैपिंग मामले में दिन भर हंगामे के बाद स्पीकर से वार्ता के बाद हल निकल आया है. अब फोन टैपिंग के मामले में सदन में चर्चा होगी. जिस पर सरकार भी जवाब देगी. वहीं भाजपा विधायक मदन दिलावर का निलंबन वापस लेने पर अंतिम फैसला भी कल ही होगा.

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फोन टैपिंग मामला

जयपुर.राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को फोन टैपिंग विवाद पर जमकर हंगामा हुआ. हालात ये हुए कि एक के बाद एक करके स्पीकर को चार बार विधानसभा स्थगित करनी पड़ी. लेकिन हंगामा समाप्त नहीं हुआ. नतीजा ये हुआ कि भाजपा के विधायक मदन दिलावर को 7 दिन के लिए निलंबित किया गया और मंत्री अशोक चांदना और भंवर सिंह भाटी के जवाब भी हंगामे के बीच ही हुए.

फोन टैपिंग मामले में स्पीकर से वार्ता के बाद निकला हल

हालांकि जब विधानसभा स्थगित हुई उसके बाद भी भाजपा के विधायक वेल में ही बैठे रहे तो इससे ये लगा कि भाजपा विधायक मंगलवार की रात को भी विधानसभा में ही रुकेंगे. लेकिन स्थिति को संभालने के लिए आखिर स्पीकर सीपी जोशी ने नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और विधायक सतीश पूनिया के साथ बात की और इस मामले में हल निकला.

अब स्पीकर से बात होने के पश्चात भाजपा ने विधानसभा में अपना धरना समाप्त कर दिया है और अब यह तय हुआ है कि इस विषय पर पहले चर्चा होगी. जिसके बाद सरकार भी अपना जवाब भी पेश करेगी. तो वहीं विधायक मदन दिलावर का निलंबन अभी वापस नहीं लिया गया है. हालांकि उन्हें बुधवार को ना पक्ष लॉबी तक जाने की इजाजत स्पीकर सीपी जोशी ने दे दी है. कल विधानसभा जब शुरू होगी तो उनके निलंबन को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा.

पढ़ें- राजस्थान में 3 सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का एलान, 17 अप्रैल को मतदान, 2 मई को आएंगे परिणाम

इस मामले पर बोलते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि अगस्त में जो सवाल पूछा गया था फोन टैपिंग को लेकर उसमें सरकार ने एडमिट किया है कि प्रदेश में फोन टैपिंग हुई और फोन टैपिंग का एडमिशन अपने आप में सरकार की नीयत पर संदेह पैदा करता है. क्योंकि जो एफआईआर एसओजी में 47, 48 और 49 नंबर की नामजद हुई थी, वह विधायकों के नाम से थी.

तो वहीं ये मामला राजद्रोह होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था. ऐसे में इसमें तमाम तथ्य थे जो बता रहे थे कि फोन टैपिंग राजस्थान में हुई थी और सरकार की मजबूरी है कि वह इसे उजागर नहीं कर सकती थी. हमने आज भी सरकार का जवाब इस पर मांगा था लेकिन स्थगन को रिजेक्ट किया गया. जिसके बाद यह गतिरोध स्पीकर और नेता प्रतिपक्ष के बीच था अब यह गतिरोध टूट गया है.

सरकार पहले इस पर विधानसभा में चर्चा कर आएगी उसके बाद जवाब भी देगी. सतीश पूनिया ने कहा कि यह अपने आप में एक गंभीर किस्म का मामला है क्योंकि ऐसे ही एक मामले में 1988 में रामकृष्ण हेगड़े को अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी. वहीं उन्होंने मंगलवार को हुई सदन में हंगामे की स्थिति पर भी कहा कि सदन में कई अवसरों पर ऐसा हो जाता है जिसका बाद में समाधान भी होता है.

जयपुर.राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को फोन टैपिंग विवाद पर जमकर हंगामा हुआ. हालात ये हुए कि एक के बाद एक करके स्पीकर को चार बार विधानसभा स्थगित करनी पड़ी. लेकिन हंगामा समाप्त नहीं हुआ. नतीजा ये हुआ कि भाजपा के विधायक मदन दिलावर को 7 दिन के लिए निलंबित किया गया और मंत्री अशोक चांदना और भंवर सिंह भाटी के जवाब भी हंगामे के बीच ही हुए.

फोन टैपिंग मामले में स्पीकर से वार्ता के बाद निकला हल

हालांकि जब विधानसभा स्थगित हुई उसके बाद भी भाजपा के विधायक वेल में ही बैठे रहे तो इससे ये लगा कि भाजपा विधायक मंगलवार की रात को भी विधानसभा में ही रुकेंगे. लेकिन स्थिति को संभालने के लिए आखिर स्पीकर सीपी जोशी ने नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और विधायक सतीश पूनिया के साथ बात की और इस मामले में हल निकला.

अब स्पीकर से बात होने के पश्चात भाजपा ने विधानसभा में अपना धरना समाप्त कर दिया है और अब यह तय हुआ है कि इस विषय पर पहले चर्चा होगी. जिसके बाद सरकार भी अपना जवाब भी पेश करेगी. तो वहीं विधायक मदन दिलावर का निलंबन अभी वापस नहीं लिया गया है. हालांकि उन्हें बुधवार को ना पक्ष लॉबी तक जाने की इजाजत स्पीकर सीपी जोशी ने दे दी है. कल विधानसभा जब शुरू होगी तो उनके निलंबन को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा.

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इस मामले पर बोलते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि अगस्त में जो सवाल पूछा गया था फोन टैपिंग को लेकर उसमें सरकार ने एडमिट किया है कि प्रदेश में फोन टैपिंग हुई और फोन टैपिंग का एडमिशन अपने आप में सरकार की नीयत पर संदेह पैदा करता है. क्योंकि जो एफआईआर एसओजी में 47, 48 और 49 नंबर की नामजद हुई थी, वह विधायकों के नाम से थी.

तो वहीं ये मामला राजद्रोह होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था. ऐसे में इसमें तमाम तथ्य थे जो बता रहे थे कि फोन टैपिंग राजस्थान में हुई थी और सरकार की मजबूरी है कि वह इसे उजागर नहीं कर सकती थी. हमने आज भी सरकार का जवाब इस पर मांगा था लेकिन स्थगन को रिजेक्ट किया गया. जिसके बाद यह गतिरोध स्पीकर और नेता प्रतिपक्ष के बीच था अब यह गतिरोध टूट गया है.

सरकार पहले इस पर विधानसभा में चर्चा कर आएगी उसके बाद जवाब भी देगी. सतीश पूनिया ने कहा कि यह अपने आप में एक गंभीर किस्म का मामला है क्योंकि ऐसे ही एक मामले में 1988 में रामकृष्ण हेगड़े को अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी. वहीं उन्होंने मंगलवार को हुई सदन में हंगामे की स्थिति पर भी कहा कि सदन में कई अवसरों पर ऐसा हो जाता है जिसका बाद में समाधान भी होता है.

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