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जयपुर में हीरा, पन्ना और रूबी से जड़ी पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान...18,600 कैरेट एमरल्ड स्टोन से बनी प्रतिमा

करीब 18600 कैरेट वजन पन्ना ( एमरल्ड) की पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा (Swetambar Jain Parshvanath temple in Jaipur) को जयपुर के लाल मंदिर में विराजमान करवाया गया है. दावा किया जा रहा है कि रत्नों से जड़ी ये प्रतिमा देश की सबसे बड़ी मूर्ति है, जिसका निर्माण 18600 कैरेट एमरल्ड स्टोन से किया गया है.

Shri Jain Shwetambar Sangha Red Stone Jain Temple in Jaipur
जयपुर में पन्ने से बनी पार्श्वनाथ जैन की प्रतिमा स्थापित
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Published : May 9, 2022, 6:15 PM IST

Updated : May 9, 2022, 7:27 PM IST

जयपुर. जवाहर नगर स्थित लाल मंदिर का पूरे देश के जैन समाज में अपना एक विशिष्ट स्थान है. श्वेतांबर जैन समाज के (Parshvanath idol made of Emerald placed in Jaipur) अनुयायी एक ही धर्म स्थान पर अपने-अपने धार्मिक मान्यता के अनुसार क्रियाएं कर सकें, इस उद्देश्य से 40 वर्ष पहले श्री जैन श्वेतांबर संघ लाल पत्थर जैन मंदिर की स्थापना की गई. यहां नीचे दादाबाड़ी, ऊपर लाल मंदिर और उसके बाद समय-समय पर गुरु भगवंत, आचार्य भगवंत, गच्छाधिपतियों के सानिध्य में अनेक आयोजन होते रहे हैं. वहीं 1997 से प्रतिवर्ष चातुर्मास का आयोजन हो रहा है.

शनिवार से एक तीन दिवसीय आयोजन हुआ, जिसमें पहले दिन प्रतिमाओं का अठारह अभिषेक, दूसरे दिन मूर्ति स्थापना और सोमवार को दादा गुरुदेव की वृहद पूजा का आयोजन किया गया. संघ के महामंत्री नितिन जैन ने मंदिर की विशेषता बताते हुए कहा कि जयपुर के 400 किलोमीटर के रेडियस में लाल पत्थर का त्रिखण्डीय मंदिर देखने को नहीं मिलता. जहां शिखर पर आदिनाथ भगवान, पार्श्वनाथ भगवान, मूलनायक महावीर स्वामी, नीचे गुरू मंदिर है. वहीं चपलावत परिवार को यहां भगवान पार्श्वनाथ की रत्न जड़ित मूर्ति विराजमान कराने का लाभ मिला. अध्यात्मिक योगी महेंद्र सागर, युवा मनीषी मनीष सागर सहित कई साधु-संत और साध्वी इस दौरान मौजूद रहे.

जयपुर में 18600 कैरेट पन्ने से बनी पार्श्वनाथ जैन की प्रतिमा स्थापित

पढ़ें. थार के रेगिस्तान में 534 साल पहले बना यह जैन मंदिर, देसी घी से भरी गई थी नींव

एमरल्ड स्टोन ने बनी प्रतिमा: इस मूर्ति को बनवाने वाले ललित चपलावत ने बताया कि 3 अगस्त 2021 को उन्हें भगवान पार्श्वनाथ (Swetambar Jain Parshvanath temple in Jaipur) की प्रतिमा बनवाने की भावना आई. उन्होंने उनके पास रखें एमरल्ड (पन्ने) स्टोन की प्रतिमा बनवानी शुरू की. ये प्रतिमा 18600 कैरेट की बनकर तैयार हुई. वहीं ललित चपलावत के पुत्र की भावना पर भगवान पार्श्वनाथ के साथ आदिनाथ भगवान, महावीर स्वामी और देवी पद्मावती की प्रतिमा को भी एक ही देहरी में विराजमान कराया गया है.

श्रद्धालुओं ने दावा किया कि ये देश ही नहीं, विश्व की सबसे बड़ी और सबसे पहली प्रतिमा है. इसका निर्माण 18600 कैरेट एमरल्ड से किया गया है. मूर्ति का पर्रिकर रोज क्वार्ड्ज का बनाया गया है. जबकि देहरी वियतनाम के सफेद मार्बल से निर्मित की गई है. इस पर किशनगढ़ के कारीगरों से नक्काशी कराई गई है. इसके साथ ही पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा के हार में 11 हीरे, ताज में तीन गुलाबी रंग के रूबी (माणिक) भी जुड़े हुए हैं. भगवान के दाई ओर कमल के आसन पर आदिनाथ भगवान, बाई तरफ महावीर स्वामी और बीच में देवी पद्मावती की 350-350 कैरेट पन्ने की प्रतिमा भी विराजमान करवाई गई है.

जयपुर. जवाहर नगर स्थित लाल मंदिर का पूरे देश के जैन समाज में अपना एक विशिष्ट स्थान है. श्वेतांबर जैन समाज के (Parshvanath idol made of Emerald placed in Jaipur) अनुयायी एक ही धर्म स्थान पर अपने-अपने धार्मिक मान्यता के अनुसार क्रियाएं कर सकें, इस उद्देश्य से 40 वर्ष पहले श्री जैन श्वेतांबर संघ लाल पत्थर जैन मंदिर की स्थापना की गई. यहां नीचे दादाबाड़ी, ऊपर लाल मंदिर और उसके बाद समय-समय पर गुरु भगवंत, आचार्य भगवंत, गच्छाधिपतियों के सानिध्य में अनेक आयोजन होते रहे हैं. वहीं 1997 से प्रतिवर्ष चातुर्मास का आयोजन हो रहा है.

शनिवार से एक तीन दिवसीय आयोजन हुआ, जिसमें पहले दिन प्रतिमाओं का अठारह अभिषेक, दूसरे दिन मूर्ति स्थापना और सोमवार को दादा गुरुदेव की वृहद पूजा का आयोजन किया गया. संघ के महामंत्री नितिन जैन ने मंदिर की विशेषता बताते हुए कहा कि जयपुर के 400 किलोमीटर के रेडियस में लाल पत्थर का त्रिखण्डीय मंदिर देखने को नहीं मिलता. जहां शिखर पर आदिनाथ भगवान, पार्श्वनाथ भगवान, मूलनायक महावीर स्वामी, नीचे गुरू मंदिर है. वहीं चपलावत परिवार को यहां भगवान पार्श्वनाथ की रत्न जड़ित मूर्ति विराजमान कराने का लाभ मिला. अध्यात्मिक योगी महेंद्र सागर, युवा मनीषी मनीष सागर सहित कई साधु-संत और साध्वी इस दौरान मौजूद रहे.

जयपुर में 18600 कैरेट पन्ने से बनी पार्श्वनाथ जैन की प्रतिमा स्थापित

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एमरल्ड स्टोन ने बनी प्रतिमा: इस मूर्ति को बनवाने वाले ललित चपलावत ने बताया कि 3 अगस्त 2021 को उन्हें भगवान पार्श्वनाथ (Swetambar Jain Parshvanath temple in Jaipur) की प्रतिमा बनवाने की भावना आई. उन्होंने उनके पास रखें एमरल्ड (पन्ने) स्टोन की प्रतिमा बनवानी शुरू की. ये प्रतिमा 18600 कैरेट की बनकर तैयार हुई. वहीं ललित चपलावत के पुत्र की भावना पर भगवान पार्श्वनाथ के साथ आदिनाथ भगवान, महावीर स्वामी और देवी पद्मावती की प्रतिमा को भी एक ही देहरी में विराजमान कराया गया है.

श्रद्धालुओं ने दावा किया कि ये देश ही नहीं, विश्व की सबसे बड़ी और सबसे पहली प्रतिमा है. इसका निर्माण 18600 कैरेट एमरल्ड से किया गया है. मूर्ति का पर्रिकर रोज क्वार्ड्ज का बनाया गया है. जबकि देहरी वियतनाम के सफेद मार्बल से निर्मित की गई है. इस पर किशनगढ़ के कारीगरों से नक्काशी कराई गई है. इसके साथ ही पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा के हार में 11 हीरे, ताज में तीन गुलाबी रंग के रूबी (माणिक) भी जुड़े हुए हैं. भगवान के दाई ओर कमल के आसन पर आदिनाथ भगवान, बाई तरफ महावीर स्वामी और बीच में देवी पद्मावती की 350-350 कैरेट पन्ने की प्रतिमा भी विराजमान करवाई गई है.

Last Updated : May 9, 2022, 7:27 PM IST
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