जयपुर. लंबे समय बाद प्रदेश कांग्रेस ने अपनी कार्यकारिणी घोषित की है. कार्यकारिणी की घोषणा के बाद उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से कई वर्गों में रोष व्याप्त हो गया है. उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से ही अलपसंख्यक समाज भी नाराज हैं और उन्होंने अपनी नाराजगी भी व्यक्त की है.
कार्यकारिणी की घोषणा के बाद कई मुस्लिम संगठनों ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उनका कहना है कि सालों से अल्पसंख्यक समुदाय कांग्रेस का वोट बैंक रहा है. इसके बावजूद भी अलपसंख्यक समाज को कार्यकारिणी में अधिक तवज्जो नहीं दी गई.
प्रदेश कार्यकारिणी में अल्पसंख्यक समुदाय से तीन लोगों को ही जगह दी गई है. इस मामले में राजस्थान हज वेलफेयर सोसाइटी के महासचिव हाजी निजामुद्दीन ने कहा कि प्रदेश कार्यकारिणी में 39 लोगों को जगह दी गई है और इन 39 लोगों में केवल 3 लोग ही अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जबकि 70 सालों का इतिहास गवाह है कि मुस्लिम समाज कांग्रेस की ही सेवा करता आया है.
मुसलमानों के साथ कार्यकारिणी को लेकर नाइंसाफी की गई है. यह नाइंसाफी इतनी ना बढ़ जाए कि मुस्लिम समाज का कांग्रेस से बिखराव हो जाए. हाजी निजामुद्दीन ने कहा है कि सरकार से हमारी मांग है कि मुस्लिम समाज को उसके हक के मुताबिक तवज्जो दी जाए. राजस्थान स्टेट औकाफ काउंसिल के जनरल सेक्रेटरी एम फारुख खान का कहना है कि कार्यकारिणी में कम से कम मुस्लिम समाज के 5 लोगों को जगह दी जानी चाहिए थी. कार्यकारिणी में तीन मुस्लिम लोगों को ही जगह दी गई है, जो मुस्लिम समाज के अनुपात में कम है.
उन्होंने कहा कि फतेहपुर के विधायक हाकम अली और पूर्व मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ को कार्यकारिणी में जगह दी गई है. इसे लेकर भी एम फारुख खान ने आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार से इनको दूर कर कार्यकारिणी में जगह दी गई है, जबकि हकीम अली खान को कैबिनेट में जगह मिलनी चाहिए थी और नसीम अख्तर को राज्य मंत्री बनाकर कोई राजनीतिक पद देना चाहिए था. अल्पसंख्यक समुदाय के दोनों ही जनप्रतिनिधियों को मंत्रिमंडल से दूर कर कार्यकारिणी में जगह दे दी गई है.