जयपुर. प्रदेश में एनटीटी भर्ती परीक्षा का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. महिला एवं बाल विकास विभाग की इस भर्ती में लगातार घमासान जारी है. दस्तावेज सत्यापन के 5 महीने बाद भी नियुक्तियों की अंतिम सूची जारी नहीं की गई, जिसके बाद सोमवार को अभ्यर्थियों का गुस्सा विभाग के दफ्तर पर फूट पड़ा. चयनित अभ्यर्थियों ने विभाग के आईसीडीएस दफ्तर के अंदर ही धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. अभ्यर्थियों का कहना है कि जब तक नियुक्तियां नहीं मिलेगी तब तक दफ्तर के अंदर ही धरना जारी रहेगा.
दो साल में 1300 अभ्यार्थियों की नियुक्ति अटकी
सरकार ने एनटीटी परीक्षा की घोषणा 12 फरवरी 2018 को की थी. वहीं, 21 अगस्त 2018 को कर्मचारी चयन बोर्ड ने विज्ञापन जारी किया और 29 सितंबर 2018 को आवेदन मांगे गए. इसके बाद 24 फरवरी 2019 को परीक्षा का आयोजन हुआ, जिसके बाद 31 जुलाई 2019 को परीक्षा का परिणाम जारी किया गया. फिर 3 सितंबर 2019 को अभ्यार्थियों के दस्तावेज सत्यापन किए गए, लेकिन पांच से छह महीने बीत गए पर ना ही अंतिम सूची निकाली गई और ना ही नियुक्ति की गई.
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परीक्षा में फर्जीवाड़े का हुआ बड़ा खेल
इस भर्ती में सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि 9 साल पहले जो डिग्री सरकार बंद कर चुकी थी, वहीं डिग्री लेकर फर्जी अभ्यर्थी परीक्षा में बैठे. सरकार ने केवल उन्हीं अभ्यर्थियों के लिए यह परीक्षा आयोजित की थी, जिन्होंने पहले से ही एनटीटी का कोर्स कर रखा था. अब पात्र अभ्यर्थियों को आशंका है कि कहीं दस्तावेज सत्यापन में कही घालमेल ना हो जाए. क्योंकि, 4 महीने बाद भी अंतिम चयन सूची जारी नहीं की गई.
इस दौरान अभ्यर्थियों ने महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश, सचिव के के पाठक और आईसीडीएस डायरेक्टर से मुलाकात की, लेकिन अब तक उनका कोई समाधान नहीं निकला है. सभी जिम्मेदार यह कहते है कि जल्द नियुक्तियां दी जाएगी, लेकिन यह कोई नहीं कहता है कि कब अंतिम चयन सूची जारी होगी, वहीं दूसरी ओर कर्मचारी चयन बोर्ड पर भी सवाल उठने लगे है.