जयपुर. प्रदेश में बजरी की किल्लत से निजात दिलाने के लिए प्रदेश की नई सेंड नीति नीति राज्य सरकार 25 जनवरी को जारी करने जा रही है. इस नीति को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है. इसके तहत अब 2 करोड़ से अधिक निवेश वाले उद्योगों को नीति में बड़ी राहत देने के साथ ही सरकारी भवनों के निर्माण में 25 से 50 फीसदी तक एम सेंड अनिवार्य रूप से उपयोग में लाए जाने के लिए बाध्य किया जा सकता है.
एम सेंड इकाइयों की स्थापना जल्द हो, इसके लिए 120 दिन में सभी स्वीकृति जारी करने का प्रावधान भी इस नीति में होगा. दरअसल बजरी पर लगी न्यायालय की रोक जल्द ही हट तो सकती है, लेकिन बीते 3 सालों से बजरी पर रोक जारी है. इसके चलते एम सेंड नीति लाई जा रही है.
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इस एम सेंड नीति के जरिए नदियों की बजरी पर निर्भरता कम होगी और सस्ता विकल्प एम सेंड बनेगी. खानों से निकलने वाले मलबे का एम सेंड में उपयोग होगा, तो पर्यावरण को संरक्षण भी मिलेगा. कैबिनेट में दो कुछ दिनों पहले ही इस एम सेंड नीति को मंजूरी दी थी. अब कहा जा रहा है कि सोमवार को एम सेंड नीति मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जारी कर देंगे.