जयपुर. मोदी सरकार के तीन तलाक से जुड़े निर्णय को 1 साल हो चुका है. जिसकी पहली वर्षगांठ पर मुस्लिम समाज की महिलाओं ने प्रदेश भाजपा मुख्यालय पहुंचकर मोदी सरकार का आभार जताया. भाजपा नेता अमीन पठान, मुनव्वर खान और अल्पसंख्यक मोर्चा के महामंत्री हामिद मेवाती के नेतृत्व में पहुंची इन महिलाओं ने पहले यहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, रविशंकर प्रसाद और स्मृति ईरानी से संवाद किया. जिसके बाद पार्टी मुख्यालय के बाहर गीत-संगीत के साथ मोदी सरकार को धन्यवाद दिया.
भाजपा मुख्यालय के बाहर महिलाएं हाथों में तख्ती लेकर मोदी सरकार को धन्यवाद देती नजर आईं. साथ ही यहां कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी हुआ. महिलाओं का कहना है कि मोदी सरकार ने उन्हें सालों से चली आ रही तीन तलाक जैसी कुप्रथा से मुक्ति दिलाई है. बीते एक डेढ़ साल के कार्यकाल में महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर कई अहम निर्णय लिए और इन नियमों को धर्म विशेष के साथ जोड़कर नहीं देखना चाहिए.
प्रदेश संगठन महामंत्री ने भी किया संबोधित
इससे पहले प्रदेश भाजपा मुख्यालय में हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाहर प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने भी इन महिला और अल्पसंख्यक मोर्चे से जुड़े नेताओं को संबोधित किया. चंद्रशेखर ने इस दौरान केंद्र की मोदी सरकार के अहम फैसले और योजनाओं से महिलाओं को अवगत कराया. साथ ही कोरोना महामारी के इस दौर में किस तरह सफाई और अन्य सावधानियां रखना चाहिए, उसके बारे में भी विस्तार से जानकारी दी.
यह भी पढे़ं : जैसलमेर बना नया सियासी 'अखाड़ा', जाखड़ बोले- सिर्फ भ्रमण के लिए आए विधायक
क्या कहता है तीन तलाक कानून :
- मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से पति अगर एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा.
- तीन तलाक देने पर पत्नी स्वयं या उसके करीबी रिश्तेदार ही इस बारे में केस दर्ज करा सकेंगे.
- महिला अधिकार संरक्षण कानून 2019 बिल के मुताबिक एक समय में तीन तलाक देना अपराध है. इसलिए पुलिस बिना वारंट के तीन तलाक देने वाले आरोपी पति को गिरफ्तार कर सकती है.
- एक समय में तीन तलाक देने पर पति को तीन साल तक कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है. मजिस्ट्रेट कोर्ट से ही उसे जमानत मिलेगी.
- मजिस्ट्रेट बिना पीड़ित महिला का पक्ष सुने बगैर तीन तलाक देने वाले पति को जमानत नहीं दे पाएंगे.
- तीन तलाक देने पर पत्नी और बच्चे के भरण पोषण का खर्च मजिस्ट्रेट तय करेंगे, जो पति को देना होगा.
- तीन तलाक पर बने कानून में छोटे बच्चों की निगरानी और रखावाली मां के पास रहेगी.
- नए कानून में समझौते के विकल्प को भी रखा गया है. हालांकि पत्नी के पहल पर ही समझौता हो सकता है लेकिन मजिस्ट्रेट की ओर से उचित शर्तों के साथ.