जयपुर. आरएलपी संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने बुधवार को लोक सभा में नियम 377 के तहत राजस्थान के लंबित जल विवादों के शीघ्र निस्तारण की मांग उठाई. बेनीवाल ने कहा कि वर्ष 1981 में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों के मध्य रावी व्यास नदियों आदि के जल के बंटवारे को लेकर जो समझौता हुआ, उसके अनुसार आज भी राजस्थान को उसके हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल रहा (Hanuman Beniwal on interstate water dispute related to Rajasthan) है. सांसद ने कहा कि समझौते के विरुद्ध जब पंजाब सरकार पंजाब समझौता समाप्ति अधिनियम 2014 लेकर आई, तो उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने पूर्व के समझौते को सही ठहराया.
यमुना बेसिन राज्य से हुए समझौते की मांग: बेनीवाल ने राजस्थान को यमुना बेसिन राज्य से हुए समझौते के अनुसार आवंटित जल नहीं मिलने का मसला भी सदन में उठाया. साथ ही कहा कि इस मामले में ताजेवाला हेड से राजस्थान को उसके हिस्से का पानी प्राप्त नहीं हो रहा है. बेनीवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा से अनाधिकृत रूप से यमुना का पूरा पानी भरतपुर जिले को प्राप्त नहीं हो रहा है. साथ ही इंदिरा गांधी फीडर के हेड वर्क्स रेगुलेटर की क्षमता भी 15000 क्यूसेक से बढ़ाकर 18500 क्यूसेक करने की आवश्यकता है. जिसमें भारत सरकार को पंजाब सरकार को निर्देशित करना आज भी अपेक्षित है. बेनीवाल ने कहा कि राजस्थान की विस्तृत भौगोलिक स्थिति में मरुस्थल को देखते हुए राजस्थान के लंबित जल विवादों का जल्द से जल्द निस्तारण करने की आवश्यकता है, ताकि राज्य में पानी की कमी को दूर किया जा सके.
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इस बिल पर रखी बात: बेनीवाल ने लोकसभा में सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरुद्ध क्रियाकलापों का प्रतिशेध) संशोधन विधेयक 2022 की चर्चा में कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा को सशक्त करने के लिए अवैध हथियारों के कारोबार पर लगाम लगाने और अवैध रूप से बन रहे हथियारों के लाइसेंस पर कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है. सांसद ने राजस्थान के गंगानगर जिले में प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से बनाए गए अवैध हथियारों के लाइसेंस तथा अलवर जिले में जिला कलेक्टर के फर्जी मोहर से बनाया गए हथियारों के अवैध लाइसेंस का मुद्दा भी उठाया. वहीं राजस्थान एटीएस की ओर से जम्मू कश्मीर में वहां के गलत दस्तावेजों के आधार पर बनाए गए हथियारों के अवैध लाइसेंस का मुद्दा भी उठाया. साथ ही जिला स्तर पर हथियारों का लाइसेंस जारी करने वाले ढांचे में केंद्र का प्रतिनिधि शामिल करने की मांग की.