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प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में लोक अदालतों का आयोजन...49 हजार से अधिक मुकदमों का निस्तारण

प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में 49 हजार 898 मुकदमों का निस्तारण किया गया. वहीं तीन सौ करोड़ रुपए की अवार्ड राशि जारी की गई. निस्तारित होने वाले मुकदमों में दस हजार 394 प्रिलिटिगेशन से जुड़े प्रकरण भी शामिल हैं.

राष्ट्रीय लोक अदालत में मुकदमों का निस्तारण, Settlement of cases in National Lok Adalat
राष्ट्रीय लोक अदालत में मुकदमों का निस्तारण
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Published : Dec 12, 2020, 10:45 PM IST

जयपुर. प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में 49 हजार 898 मुकदमों का निस्तारण किया गया. वहीं तीन सौ करोड़ रुपए की अवार्ड राशि जारी की गई. निस्तारित होने वाले मुकदमों में दस हजार 394 प्रिलिटिगेशन से जुड़े प्रकरण भी शामिल हैं. वहीं घरेलु हिंसा के कुछ मामलों में अलग रह रहे दंपत्तियों का राजीनामा करवाकर एक साथ रहने के लिए भेजा गया.

प्राधिकरण के निदेशक ने बताया कि लोक अदालत प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में 640 बैंचों का गठन किया गया है. जिनमें कुल 2 लाख 16 हजार से अधिक मुकदमे सूचीबद्ध किए गए. लोक अदालत में धन वसूली प्रकरण, चैक अनादरण, मोटर दुर्घटना प्रकरण, तलाक को छोड़कर अन्य वैवाहिक और भरण पोषण, घरेलू हिंसा, श्रम और राजीनामा योग्य आपराधिक प्रकरणों को सूचीबद्ध किया गया था.

पढे़ं- जयपुर : कोरोना की भेंट चढ़ी आमेर को आईकॉनिक टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने की योजना

प्राधिकरण निदेशक ने बताया कि लोक अदालत में आपसी राजीनामे से मुकदमा तय होता है. दोनों पक्षों की सहमति होने के चलते मुकदमे में आगे अपील भी नहीं होती है. जिससे प्रकरण अंतिम रूप से तय हो जाता है. वहीं तय होने वाले मामलों में कोर्ट फीस भी लौटा दी जाती है.

जयपुर. प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में 49 हजार 898 मुकदमों का निस्तारण किया गया. वहीं तीन सौ करोड़ रुपए की अवार्ड राशि जारी की गई. निस्तारित होने वाले मुकदमों में दस हजार 394 प्रिलिटिगेशन से जुड़े प्रकरण भी शामिल हैं. वहीं घरेलु हिंसा के कुछ मामलों में अलग रह रहे दंपत्तियों का राजीनामा करवाकर एक साथ रहने के लिए भेजा गया.

प्राधिकरण के निदेशक ने बताया कि लोक अदालत प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में 640 बैंचों का गठन किया गया है. जिनमें कुल 2 लाख 16 हजार से अधिक मुकदमे सूचीबद्ध किए गए. लोक अदालत में धन वसूली प्रकरण, चैक अनादरण, मोटर दुर्घटना प्रकरण, तलाक को छोड़कर अन्य वैवाहिक और भरण पोषण, घरेलू हिंसा, श्रम और राजीनामा योग्य आपराधिक प्रकरणों को सूचीबद्ध किया गया था.

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प्राधिकरण निदेशक ने बताया कि लोक अदालत में आपसी राजीनामे से मुकदमा तय होता है. दोनों पक्षों की सहमति होने के चलते मुकदमे में आगे अपील भी नहीं होती है. जिससे प्रकरण अंतिम रूप से तय हो जाता है. वहीं तय होने वाले मामलों में कोर्ट फीस भी लौटा दी जाती है.

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