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मदरसा शिक्षा पर आहूजा की टिप्पणी से अल्पसंख्यक समाज में रोष, FIR दर्ज करवाने की मांग

बीजेपी के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा की ओर से मदरसा शिक्षा पर की गई टिप्पणी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. आहूजा की टिप्पणी से अल्पसंख्यक समाज नाराज हैं और उन पर एफआईआर दर्ज करवाने की मांग कर रहा है.

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ज्ञानदेव आहूजा की टिप्पणी से अल्पसंख्यक समाज में नाराजगी
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Published : Aug 28, 2020, 4:47 PM IST

जयपुर. पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा के खिलाफ राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ ने नाराजगी जाहिर की है. राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ प्रदेश अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने बताया कि मदरसा शिक्षक भर्ती में शामिल पाठ्यक्रम बच्चों की शिक्षा के लिए बेहतर है. उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग की है कि पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए. अन्यथा उनके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा.

ज्ञानदेव आहूजा की टिप्पणी से अल्पसंख्यक समाज में नाराजगी

पढ़ें: देश की संस्कृति के लिहाज से शिक्षा और ज्ञान दिया जाता है तो हमें मदरसों से ऐतराज नहीं: सतीश पूनिया

अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष हारून खान ने भी आहूजा के बयान की निंदा की है. साथ ही कहा है कि शिक्षा प्राप्त करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है. मदरसे भी शिक्षा के केंद्र हैं. ज्ञानदेव आहूजा को शिक्षा के केंद्र को लेकर इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. अल्पसंख्यक समुदाय का गरीब और वंचित एक बड़ा तबका शिक्षा के लिए मदरसों पर ही निर्भर है. मदरसों में अच्छे पैराटीचर हैं, जो अच्छी क्वॉलिटी की शिक्षा देते हैं. मदरसों को वैधानिक दर्जा देने पर महासंघ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार भी जताया और आहूजा के बयान को पूरी तरह से शिक्षा विरोधी बयान बताया.

पढ़ेंः ज्ञानदेव आहूजा ने मदरसा की शिक्षा नीति को लेकर दिया विवादित बयान

हारून खान ने कहा कि आहूजा का यह बयान शिक्षा विरोधी नफरत की राजनीति फैलाने वाला बयान है. इस तरह के बयानों से गरीब और वंचित बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के अधिकार से वंचित करने की कोशिश की जा रही है. मदरसों पर सरकारी नियंत्रण से बच्चों को काफी फायदा होगा. मदरसा बोर्ड द्वारा प्राइमरी, मिडिल सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी मदरसे संचालित किए जा रहे हैं.

पढ़ेंः जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए भाजपा ने छेड़ी मुहिम, आहूजा ने की 'हम दो, हमारे दो' की पैरवी

गौरतलब है कि बीजेपी के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने मदरसा शिक्षा को लेकर विवादित बयान दिया था. आहूजा ने मदरसा बोर्ड विधेयक के माध्यम से मदरसों को वैधानिक दर्जा दिए जाने का विरोध किया था. आहूजा ने कहा कि मैंने दो महीने पहले ही राज्य सरकार से मांग की थी कि तबलीगी जमात और मदरसों पर प्रतिबंध लगाई जाए. क्योंकि इनकी शिक्षा और पाठ्यक्रम की पद्धति में राष्ट्रद्रोह हैं. मदरसों को वैधानिक दर्जा देने के बाद मदरसा बोर्ड कक्षा का वर्गीकरण, सिलेबस और टीचर्स मदरसा बोर्ड खुद तय करेगा. इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ नहीं हो सकता. आहूजा ने गहलोत सरकार पर मुस्लिमों के लिए खुशामद करने और तुष्टिकरण की नीति अपनाने का आरोप भी लगाया था.

जयपुर. पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा के खिलाफ राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ ने नाराजगी जाहिर की है. राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ प्रदेश अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने बताया कि मदरसा शिक्षक भर्ती में शामिल पाठ्यक्रम बच्चों की शिक्षा के लिए बेहतर है. उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग की है कि पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए. अन्यथा उनके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा.

ज्ञानदेव आहूजा की टिप्पणी से अल्पसंख्यक समाज में नाराजगी

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अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष हारून खान ने भी आहूजा के बयान की निंदा की है. साथ ही कहा है कि शिक्षा प्राप्त करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है. मदरसे भी शिक्षा के केंद्र हैं. ज्ञानदेव आहूजा को शिक्षा के केंद्र को लेकर इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. अल्पसंख्यक समुदाय का गरीब और वंचित एक बड़ा तबका शिक्षा के लिए मदरसों पर ही निर्भर है. मदरसों में अच्छे पैराटीचर हैं, जो अच्छी क्वॉलिटी की शिक्षा देते हैं. मदरसों को वैधानिक दर्जा देने पर महासंघ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार भी जताया और आहूजा के बयान को पूरी तरह से शिक्षा विरोधी बयान बताया.

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हारून खान ने कहा कि आहूजा का यह बयान शिक्षा विरोधी नफरत की राजनीति फैलाने वाला बयान है. इस तरह के बयानों से गरीब और वंचित बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के अधिकार से वंचित करने की कोशिश की जा रही है. मदरसों पर सरकारी नियंत्रण से बच्चों को काफी फायदा होगा. मदरसा बोर्ड द्वारा प्राइमरी, मिडिल सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी मदरसे संचालित किए जा रहे हैं.

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गौरतलब है कि बीजेपी के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने मदरसा शिक्षा को लेकर विवादित बयान दिया था. आहूजा ने मदरसा बोर्ड विधेयक के माध्यम से मदरसों को वैधानिक दर्जा दिए जाने का विरोध किया था. आहूजा ने कहा कि मैंने दो महीने पहले ही राज्य सरकार से मांग की थी कि तबलीगी जमात और मदरसों पर प्रतिबंध लगाई जाए. क्योंकि इनकी शिक्षा और पाठ्यक्रम की पद्धति में राष्ट्रद्रोह हैं. मदरसों को वैधानिक दर्जा देने के बाद मदरसा बोर्ड कक्षा का वर्गीकरण, सिलेबस और टीचर्स मदरसा बोर्ड खुद तय करेगा. इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ नहीं हो सकता. आहूजा ने गहलोत सरकार पर मुस्लिमों के लिए खुशामद करने और तुष्टिकरण की नीति अपनाने का आरोप भी लगाया था.

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