जयपुर. प्रदेश में उर्दू तालीम को बंद करने और मदरसा पैरा टीचर्स को नियमित करने को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय इस बार बजट से आस लगाए हुए है. उर्दू तालीम को बंद करने पर कई संगठन सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं.
अल्पसंख्यक समुदाय चाहता है कि सरकार उर्दू तालीम को जारी रखा जाए और मदरसा पैराटीचर्स को नियमित किया जाए. पिछले दिनों अल्पसंख्यक समुदाय ने जयपुर शहर में एक बड़ी रैली भी निकाली थी. सरकार से उनकी वार्ता भी हुई. लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. फिलहाल प्रदेश में उर्दू तालीम को बंद करने पर अल्पसंख्यकों का विरोध लगातार जारी है.
राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2020-21 के बजट में अल्पसंख्यक समुदाय को कुछ भी नहीं दिया था. बजट का जवाब देते समय उन्होंने मदरसा पैराटीचर्स का मानदेय 15 फीसदी जरूर बढ़ाया था. आने वाले बजट को लेकर कायमखानी ने कहा कि सरकार को फर्स्ट सेकंड और थर्ड ग्रेड के उर्दू टीचर के पदों पर भर्ती निकालनी चाहिए.
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उर्दू तालीम को लेकर मांग
- कक्षा 1 से 5 तक की उर्दू तालीम को फिर से शुरू किया जाए.
- कक्षा 1 से 5 तक प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में उर्दू तालीम के लिए किताबों की व्यवस्था की जाए
- मदरसा पैरा टीचर्स को नियमित किया जाए
- मदरसा पैरा टीचर्स को थर्ड ग्रेड टीचर के बराबर वेतन दिया जाए
- मदरसों की स्थिति सुधारी जाए और सरकारी मदरसों के लिए भूमि आवंटित की जाए
- अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों के लिए स्कॉलरशिप का सरलीकरण किया जाए
- उर्दू भाषा के लिए अलग से बजट जारी किया जाए
हज वेलफेयर सोसायटी के जनरल सेक्रेटरी शेख हाजी निजामुद्दीन ने कहा कि सरकार हर साल बजट पेश करती है और लोग लुभावने सपने भी दिखाती है. लेकिन वह धरातल पर सपने पूरे करने में खरी नहीं उतरती.
अल्पसंख्यकों की अन्य उम्मीदें
- पेट्रोल डीजल के मूल्यों को नियंत्रित किया जाए
- पेट्रोल डीजल से सरकार टैक्स कम करे
- घरेलू गैस की कीमत कम की जाए
कर्बला युवा शांति और सुधार समिति के अध्यक्ष सलीम अहमद ने कहा कि कर्बला इलाके में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. यहां दूर-दूर तक कोई अस्पताल या डिस्पेंसरी नहीं है. उन्होंने कर्बला इलाके में डिस्पेंसरी अस्पताल खोलने की मांग की.